300 रुपए जेब में लेकर घर से निकलने वाली महिला ऐसे बन गई करोड़ो रुपए की कम्पनी की बॉस…
पारिवारिक कलह की वज़ह से छोड़ा घर। फ़िर कड़ी मेहनत करके खड़ी कर दी करोडों की कंपनी...
15 साल की उम्र कहीं न कहीं टीनएजर्स के पढ़ने-लिखने का समय होता है। इस उम्र में बच्चे सामाजिक ज्ञान सीख ही रहें होते है। ऐसे में सोचिए किसी बच्चे या बच्ची को अगर किसी कारणवश घर-परिवार छोड़ना पड़े तो उस पर क्या बीतेगी? कैसे फ़िर वह बच्चा या बच्ची अपना गुजारा कर पाएंगे। लेकिन क्या कहें होनी को भी तो टाला नहीं जा सकता। जी हां हम आपको जिस लड़की की कहानी बताने जा रहें उसे 15 वर्ष की उम्र में ही अपना घर छोड़कर जाना पड़ा था। बता दें कि यह कहानी है ‘चीनू कला’ नाम की एक लड़की की। जिसने पारिवारिक तनाव के चलते 15 वर्ष की आयु में घर छोड़ दिया था। मुंबई की चीनू घर छोड़ने के साथ ही सड़क पर आ गई थीं, उनके पास कोई रहने का ठिकाना नहीं था और जेब में थे तो महज 300 रुपये।
तीन सौ रुपए की क़ीमत आज के समय में क्या होती है। हम सभी जानते है। ऐसे में चीनू कैसे करके घर छोड़ने के बाद गुजर-बसर करने लगी। चीनू के पास 300 रुपए के अलावा कुछ था। तो वह सिर्फ़ कपड़े और एक जोड़ी चप्पल में घर से निकली थी। जिसके बाद चीनू ने एक ठिकाना ढूंढा। जहां उसे हर रात गद्दे का 20 रुपये किराया देना पड़ता था। कुछ दिन नौकरी ढूढ़ने के बाद चीनू के हाथ एक नौकरी लगी। जिसमें वह घर-घर जाकर चाकू के सेट आदि सामान बेचती थी। सेल्सगर्ल की इस नौकरी से उन्हें हर दिन 20 से 60 रुपये की कमाई होती थी।
ये काम इतना आसान भी नहीं था क्योंकि उनके मुंह पर लोग अपने गेट मार देते थे, लेकिन इससे उन्होंने अपना मनोबल गिरने नहीं दिया। इसके साथ वह पहले से और भी ज्यादा मजबूत होती चली गईं। धीरे धीरे चीनू के काम ने भी जोर पकड़ना शुरू कर दिया और एक साल बाद ही चीनू को प्रमोशन मिल गया। महज 16 साल की उम्र में वह सुपरवाइजर बन अपने अंडर तीन लड़कियों को ट्रेनिंग देने लगीं। अब उन्हें पहले से ज्यादा पैसे मिलने लगे।
15 साल में घर छोड़ने वाली और 16 कि उम्र में सुपरवाइजर बनने वाली चीनू आज क़रीब 40 साल की हो चुकी है। उनका हमेशा से एक बिज़नेस पर्सन बनने का सपना था। हालांकि, एक समय ऐसा भी आया। जब उनके लिए सफलता का मतलब सिर्फ़ दो जून की रोटी थी। 15 साल की उम्र में ही घर छोड़ देने की वजह से चीनू ने शिक्षा प्राप्त नहीं की थी। सेल्सगर्ल के बाद उन्होंने एक रेस्टोरेंट में बतौर वेट्रेस भी काम किया और अगले तीन सालों में उन्होंने खुद को आर्थिक रूप से स्थिर कर लिया।
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फ़िर चीनू की जिंदगी का आता है। वह समय जिसका कहीं न कहीं सबको इंतजार रहता है। साल 2004 में उनकी ज़िन्दगी ने एक नया मोड़ लिया, उन्होंने अमित कला से शादी की। जो आगे चलकर चीनू का एक बड़ा सहारा बने। शादी के बाद चीनू बेंगलुरु शिफ्ट हो गईं और जिसके दो साल बाद उन्होंने अपने दोस्तों के बहुत कहने पर ग्लैडरैग्स (Gladrags) मिसेज इंडिया पेजेंट में भाग लिया। इस प्रतियोगिता में भाग लेने वाले अन्य प्रतिभागी बहुत अच्छे थे जबकि चीनू शिक्षित भी नहीं थी, लेकिन हौसलें बुलंद हो तो बाक़ी की बातें धरी की धरी रह जाती है। ऐसे में चीनू अपने कॉन्फिडेंस से आगे बढ़ती गई और इस पजेंट में वह फाइनल प्रतिभागियों में से एक रही और इसी के साथ उनके लिए कई अवसरों के दरवाजें भी खुले।
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अब चीनू फैशन जगत में एक मॉडल बन चुकी थी। इस दौरान उन्होंने फैशन इंडस्ट्री में फैशन ज्वेलरी के बीच फासले को अनुभव किया। बस फिर क्या था! इसी के साथ उन्होंने अपनी सारी सेविंग्स का इस्तेमाल करके ‘रुबंस’ की शुरुआत कर दी। साल 2014 में रुबंस कंपनी की नींव पड़ी। यहां एथनिक और वेस्टर्न हर प्रकार की ज्वेलरी जिनकी कीमत 229 से 10,000 रुपयों के बीच है। वह मिलते हैं। बेंगलुरु में स्टार्ट हुए इस बिज़नेस का विस्तार अब कोच्चि और हैदराबाद तक हो चुका है।
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ऐसे में कहीं न कहीं शुरुआत में उतार चढ़ाव के बाद अब चीनू ने अपनी पैठ बना ली है और 2018 में उनकी कंपनी का रेवेन्यू कुल 7.5 करोड़ रुपये रहा। आज चीनू क़रीब 25 लोगों को तनख्वाह देने के काबिल हैं और ये उनकी सफलता के बारे में बहुत कुछ बयां करता है। कुल मिलाकर देखें तो ज़मीन से उठकर शिखर तक पहुंचने वाले नामों में चीनू कला का नाम भी बेशक शुमार किया जाएगा। घर-घर जाकर घंटी बजाकर सामान बेचने वाली चीनू ने कभी अपना आत्मबल नहीं खोया और यही वजह है कि उनकी मेहनत और विश्वास की बदौलत आज वह एक सफल महिला हैं, जिनकी कहानी सुनकर हर किसी को प्रेरणा मिलती है।