सहारनपुर हिंसा : योगी सरकार के खिलाफ बड़ी साजिश का खुलासा! छह नेताओं ने पैसे देकर कराये दंगे!
उत्तर प्रदेश – सहारनपुर हिंसा की आग में सुलग रहा है। सहारनपुर हिंसा से योगी सरकार के काम-काज पर सवाल उठ रहे हैं। इस हिंसा का सबसे ज्यादा शिकार इलाके के किसान और मजदूर बने हैं। लेकिन, जिस तरह से जातीय हमलों को अंजाम दिया जा रहा है, उससे यह बात साफ हो गई है कि यह सोची-समझी साजिश है। इस बात का अंदेशा और बढ़ जाता है जब हम भींड के व्यवहार को ध्यान से देखते हैं। सहारनपुर में जहां भी हिंसा हुई है वहां हमलावर अचानक आते हैं, खून-खराबा करते हैं और ऐसे गायब हो जाते हैं कि पुलिस प्रशासन को भनक ही नहीं लगती। ऐसी जगहों पर हमला किया गया है जहां पुलिस की मौजूदगी कम हो और सनसनी ज्यादा फैले। जो कहीं न कहीं सहारनपुर में भड़की हिंसा में साजिश की ओर इशारा करते हैं। Saharanpur caste violence.
छह नेताओं ने भीम सेना को दिये लाखों रुपए –
सहारनपुर में मौजूद प्रदेश के आला अफसरों और खुफिया विभाग ने शासन को एक रिपोर्ट भेजी है। इस रिपोर्ट के मुताबिक, जातीय हिंसा की वजह राजनीतिक षड्यंत्र है। यह हिंसा दलित-मुस्लिम गठजोड़ को मजबूत करने के लिए साजिश है। इसमें घटनास्थल, हिंसा का प्रारूप, समय-सीमा और लोग, सब कुछ तय था। इन दंगों में बाहरी उपद्रवियों का प्रयोग भी किया गया है।
पुलिस की जांच में खुलासा हुआ है कि भीम सेना को विभिन्न दलों के छह नेताओं ने आर्थिक सहायता दी है। इन छह नेताओं में एक अल्पसंख्यकों का कद्दावर नेता भी शामिल है। विभिन्न जनपदों से सहारनपुर में पहुंचे 18 अपर पुलिस अधीक्षकों, एसटीएफ व एटीएस ने इन नेताओं और उपद्रवियों की कुंडली तैयार कर ली है और इनपर जल्द ही कार्रवाई होगी।
भीम सेना के नक्सलियों से जुड़े होने का शक –
सुभाष चंद दूबे को सहारनपुर हिंसा के बाद एसएसपी की पोस्ट से सस्पेंड कर दिया गया था। उन्होंने कहा है कि, भीम सेना एक गैरकानूनी संगठन है, जिसके मेंबर पर्सनल बैंक खातों में चंदा जमा करते हैं। जांच में इसके तीन पर्सनल बैंक खातों का पता चला है। संगठन की एक्टिविटीज को देखते हुए ऐसा इनके नक्सलियों से भी जुड़े होने के संकेत मिले हैं। आपको बता दें कि यह संगठन सहारनपुर के 700 गांवों में एक्टिव है।
भीम सेना नाम के इस संगठन का गठन 2013 में हुआ था जो दलितों को लीड करती है। इसका चीफ एडवोकेट चंद्रशेखर आजाद है और वह हिंसा के बाद से ही फरार है। ऐसा खुलासा हुआ है कि हर गांव में भीम सेना के 8 से 10 मेंबर मौजूद हैं। ये सभी अपने सिर पर नीला कपड़ा बांधें दिखते हैं। भीम सेना के बढ़ते प्रभाव से मायावती के राजनीतिक भविष्य को अधिक खतरा है।
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