विकास के लिए छत्तीसगढ़ में जवानों के खून से सींची जा रही हैं सड़कें!
छत्तीसगढ़ का नाम आते ही सबसे पहले जेहन में नक्सलियों का चेहरा सामने आता है। छत्तीसगढ़ देश का सबसे ज्यादा नक्सल प्रभावित प्रदेश है। वहां नक्सलियों का कुछ इलाकों पर कब्जा है। वहां के बारे में जानकार लोगों का कहना है कि पुलिस वाले उनके इलाकों में वर्दी में जा नहीं सकते। अगर किसी नक्सली को गलती से यह पता चल जाए कि अमुक व्यक्ति का सम्बन्ध पुलिस विभाग से है तो उसकी जान जाना तय है।
सड़कों के निर्माण के लिए जवानों को चुकानी पड़ी भारी कीमत:
सरकार आदिवासियों के विकास के लिए सड़कें बनवाने का काम कर रही है। जिसका वहां के नक्सली घोर विरोध करते हैं। यहां सड़कों के निर्माण को लेकर भी कई लड़ाइयां नक्सलियों और जवानों के बीच हो चुकी हैं। छत्तीसगढ़ के सुकमा जिले में दोरनापाल-जगरगुंडा और इंजरम-भेजी दो ऐसे मार्ग हैं, जिनके बारे में कहा जाता है कि इन सड़कों को बनवाने के लिए सुरक्षाबलों को भारी कीमत चुकानी पड़ी है।
3 सालों में नक्सलियों और सुरक्षाबलों के बीच हो चुकी है 25 मुठभेड़ें:
अगर इन सड़कों के इतिहास के बारे में सुरक्षाबलों से पूछा जाए तो इसका बहुत ही भयानक इतिहास सामने आता है। सुरक्षाबलों से प्राप्त आंकड़ों पर नजर डालने पर यह बात साफ हो जाती है कि इन सड़कों पर पिछले 3 सालों में नक्सलियों और सुरक्षाबलों के बीच लगभग 25 मुठभेड़ें हो चुकी हैं और इन मुठभेड़ों में 50 से ज्यादा जवान भी शहीद हो चुके हैं।
पानी से नहीं बल्कि जवानों के खून से सींची जा रही हैं ये सड़कें:
इन सड़कों के लिए 24 अप्रैल को ही सुकमा के बुरकापाल के पास सीआरपीएफ की 74वीं बटालियन के 25 जवानों ने अपने प्राणों की आहुति दे दी। दोरनापाल-जगरगुंडा सड़क जिले की जीवन रेखा के नाम से जानी जाती है। 56 किलोमीटर निर्माणाधीन सड़क के बारे में एक और बात कही जाती है कि इसे पानी से नहीं बल्कि जवानों के खून से सींचा जा रहा है। इन्ही सड़कों पर कई बार नक्सलियों ने जवानों को निशाना बनाया है।
छत्तीसगढ़ के गृहमंत्री रामसेवक पैकरा का कहना है कि सुकमा क्षेत्र के विकास के लिए इन सड़कों का निर्माण बहुत जरूरी है। लेकिन यहां के नक्सली यह नहीं चाहते हैं कि यहां के आदिवासियों तक विकास पहुंचे, इसलिए लगातार हमला करके बाधा डालने का प्रयास करते हैं। पैकरा ने कहा कि कुछ समय से इन सड़कों के निर्माण में तेजी आयी है। इन जगहों पर सुरक्षाबलों की गतिविधियों में तेजी आयी है, जिसे देखकर नक्सली बौखलाए हुए हैं। हाल में हुई घटनाएं नक्सलियों की बौखलाहट का नतीजा है।
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