इन्द्र देव से बात करने अर्थी पर लेटा शख्स हो गया खड़ा, बोला- मैं एक किसान हूं, कई दिनों पहले..
जब भी गली मोहल्लों में कोई अर्थी निकलती है तो हर कोई उदास हो जाता है। इस अर्थी को चार लोग कंधा देते हैं। आमतौर पर ये सफेद रंग की होती है और इसे फूलों से सजाया जाता है। अर्थी के आगे एक शख्स हाथ में मटकी लेकर भी चलता है। इस समय लोग राम नाम सत्य है के नारे भी लगाते हैं। मृतक को चाहने वाले रोते भी हैं। जब अर्थी श्मशान घाट तक पहुंची जाती है तो उसका अंतिम संस्कार होता है।
लेकिन मध्य प्रदेश के झाबुआ जिले में एक अनोखी अंतिम यात्रा देखने को मिली। यहां अर्थी पर लेटा शख्स यात्रा के अंत में अचानक खड़ा हो गया। इसके बाद वह अपनी दुखभरी दास्तान भगवान को सुनाने लगा। अर्थी पर लेटे शख्स ने भगवान से बारिश की गुहार लगाई। दरअसल भारत में कई ऐसे राज्य और जिले हैं जहां जुलाई माह शुरू होने के बाद भी बारिश का नामोनिशान नहीं है। ऐसे में किसानों को बारिश न होने से सबसे ज्यादा नुकसान हो रहा है।
हर किसान अपने खेत में बोई गई फसलों को बेचकर ही परिवार का पेट पालता है। ऐसे में यदि बारिश समय पर न हो तो इसका बहुत बड़ा नुकसान हो जाता है। गांवों में जल्दी बारिश लाने के लिए कई तरह के टोने टोटके किए जाते हैं। हर कोई इन्द्र देवता को खुश करने की कोशिश करता है। बस इसी कड़ी में मध्य प्रदेश के झाबुआ जिले में एक शख्स ने जिंदा होने के बावजूद अपनी अर्थी तक निकाल डाली।
इस जिंदा शख्स की अंतिम यात्रा बिल्कुल ऐसी थी जैसी किसी मृत व्यक्ति की होती है। शख्स के लिए बाकायदा अर्थी तैयार की गई। फिर उसे इस पर लेटाकर पूरे गाँव में घुमाया गया। इस दौरान लोग रोना धोना भी कर रहे थे। कई लोगों को तो ऐसा लगा जैसे सच में किसी व्यक्ति की मौत हो गई है। लेकिन जब अशोक नाम का यह शख्स अर्थी पर से उठा और अपनी दुखभरी कहानी सुनाने लगा तो लोग हैरान रह गए। किसी को समझ नहीं आया कि ये क्या हो रहा है।
हालांकि जब इस किसान ने बोलना शुरू किया तो सभी पूरी बात समझ गए। किसान ने कहा कि – मैं एक किसान हूं, कई दिनों पहले सोयाबीन की फसल की खेत में बोवनी की है। हालांकि बारिश न होने पर सूखने की कगार पर जा पहुंचा हूं। मिन्नतों के साथ ईश्वर से प्रार्थना कर रहा हूँ कि जल्दी बारिश हो जाए। यदि हमे फिर से बोवानी करनी पड़ी तो किसान बर्बाद हो जाएंगे। इसकी वजह ये है कि बीच वाला सोयाबीन 10 से 12 रुपये क्विंटल बिक रहा है। यही कारण है कि हमे ऐसे टोने टोटके करने पड़ रहे हैं।
दरअसल यहां के स्थानीय लोगों का ऐसा मानना है कि यदि जिंदा व्यक्ति की अर्थी निकाली जाए तो पानी की बरसात होती है। इन्द्र देव प्रसन्न होकर बारिश कर देते हैं। बस यही वजह थी कि लोग बारिश की उम्मीद में जिंदा व्यक्ति की अर्थी निकालने को भी तैयार हो गए। वैसे इस पूरे मामले पर आपकी क्या राय है हमे कमेंट कर जरूर बताएं।