अध्यात्म

साल में केवल पांच घंटे ही खुलते हैं इस मंदिर के कपाट, अचानक से जलती है चमत्कारी ज्योत

भारत में कई सारे मंदिर स्थित हैं, जो कि काफी प्राचीन हैं। दूर-दूर से लोग इन मंदिरों में आकर भगवान के दर्शन किया करते हैं। ये मंदिर लगभग हर दिन खुले रहते हैं। हालांकि एक ऐसी भी प्राचीन मंदिर भारत में स्थित है, जो कि साल में केवल पांच घंटे ही खुलता है। ये अनोखा मंदिर छत्तीसगढ़ में है। इस मंदिर का नाम निरई माता मंदिर है। मंदिर के कपाट को कुछ ही घंटों के लिए भक्तों के लिए खोला जाता है।

nirai mata temple

करोड़ों लोगों की आस्था निरई माता मंदिर पर है और यहां पर भारी संख्या में भक्त आकर मां के दर्शन किया करते हैं। मान्यता है कि इस मंदिर में आकर मां की पूजा करने से हर कामना पूर्ण हो जाती है। हालांकि ये मंदिर साल में केवल पांच घंटे के लिए ही खोला जाता है। ऐसे में जब भी ये मंदिर खुलता है। तो काफी संख्या में भक्तों का जमावड़ा लग जाता है।

nirai mata temple

इस मंदिर से कई तरह के नियम जुड़े हुए हैं और इन नियमों के तहत मां को नारियल और अगरबत्ती ही अर्पित की जा सकती है। इसके अलावा कोई ओर चीज मां को चढ़ना वर्जित माना गया है। इस मंदिर को केवल चैत्र नवरात्रि में ही खोला जाता है। ये मंदिर दिन में 5 घंटे ही खुलता है। मंदिर को केवल एक दिन सुबह 4 बजे खोल जाता है और सुबह 9 बजे इस बंद कर दिया जाता है। फिर एक साल बाद इस को खोला जाता है।

nirai mata temple

साल में केवल एक दिन ही मंदिर खुलने की वजह से यहां पर हजारों लोग जमा होते हैं। वहीं साल में केवल एक दिन ही मंदिर को खोलने के पीछे एक खास वजह बताई जाती है। मंदिर में पुजारी के अनुसार, ये मंदिर निरई माता को समर्पित है। हर साल चैत्र नवरात्र के दौरान ही मां अपनी ज्योति को प्रज्जवलित करती हैं। ये ज्योति साल में केवल एक बार ही जलती है और फिर अपने आप ही शांत हो जाती है। जिसके कारण इस मंदिर को तभी खोला जाता है जब ये ज्योति जलती है।

nirai mata temple

भक्त इस मंदिर में आकर ज्योति के दर्शन करते हैं। वहीं ये चमत्कार कैसे होता है, ये आज तक पहेली ही बना हुआ है। ग्रामीणों का कहना है कि निरई देवी ही इस ज्योति को जलती हैं। ये ज्योति बिना तेल के नौ दिनों तक जलती रहती है। जो लोग इस ज्योति के दर्शन कर लेते हैं उनकी हर कामना मां पूरी कर देती हैं।

महिला नहीं करती पूजा पाठ

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निरई माता मंदिर में महिला को प्रवेश करने की अनुमित नहीं है और न ही इनके द्वारा पूजा यहां की जा सकती हैं। ऐसे में सिर्फ पुरुष ही पूजा-पाठ की रीतियों को निभाते हैं। इतना ही नहीं मंदिर में जो प्रसाद दिया जाता है। उसे महिलाओं को देना वर्जित माना गया है। माना जाता है कि अगर कोई महिला मंदिर के प्रसाद को खा लेती है। तो उसके जीवन का बुरा दौर शुरू हो जाता है और अनहोनी उसके साथ होने लग जाती है। जिसके कारण महिलाएं इस मंदिर के प्रसाद को छूती तक नहीं हैं।

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