ये हैं भारत के सब से महंगे बोर्डिंग स्कूल, जिनकी फीस है आमलोगों की जेब से बाहर…
देश के सात सबसे अच्छे और अत्याधुनिक तकनीक से लैस स्कूल, जहां सिर्फ़ पढ़ सकते हैं अमीर परिवार के बच्चे...
यह तो हम सभी को पता है कि प्राचीन काल में भारतीय शिक्षा व्यवस्था काफ़ी अच्छी थी। भारत का नाम शिक्षा के क्षेत्र में प्राचीन समय में काफ़ी अव्वल था, लेकिन बीच में एक समय ऐसा आया। जब भारतीय शिक्षा व्यवस्था चरमरा गई। फ़िर देश की आजादी के बाद पुनः शिक्षा व्यवस्था में सुधार का दौर आया। धीरे-धीरे शिक्षा व्यवस्था पटरी पर आने लगी। फ़िर वह दौर आया जब देश की सरकार ने मुफ़्त शिक्षा और आरटीई (RTE) को बढ़ावा देना शुरू किया।
वहीं आज की बात करे। तो 21वीं सदी के भारत में शिक्षा का स्तर बेहद उन्नत और एडवांस्ड हो चला है। आज हमारे स्कूलों में शिक्षा का विकास काफी ज्यादा हो चुका है और हमारे देश का पढ़ा हुआ बच्चा दुनिया के हर बड़े क्षेत्र में शिखर पर है। बता दें कि एक समय था। जब माता-पिता अपने बच्चों के लिए सुविधाओं, शिक्षा की गुणवत्ता और निश्चित रूप से शुल्क संरचना के बारे में पूर्व शोध किए बिना स्कूलों का चयन कर लेते थे।
आज हर व्यक्ति अपने बच्चों को सर्वोत्तम गुणवत्ता की शिक्षा देने का सपना देखता है, माता-पिता अपने बच्चों की शिक्षा के बारे में अधिक बुद्धिमान और जागरूक हो गए हैं और वे सर्वश्रेष्ठ स्कूल खोजने के लिए शिक्षण मॉड्यूल, स्थान और शैक्षणिक परिवेश आदि जैसे सभी पहलुओं की जांच करते हैं। हालांकि, भारत में शीर्ष स्कूलों में से कोई एक का चुनाव करना इतना भी आसान नहीं होता है क्योंकि किसी स्कूल के बेहतर होने के कई मापदंड होते हैं।
ऐसे में बेहतर स्कूलों का चयन छात्रों और उनके अभिवावकों के लिए कठिन हो जाता है। तो चलिए आज हम आपको देश के 7 शीर्ष स्कूलों के बारें में बताते हैं। उससे पहले हम आपको बता दें कि अच्छे स्कूल का चुनाव वहां की शैक्षणिक गुणवत्ता, सुविधाओं, स्थापना और फीस के आधार पर करते हैं।
वुडस्टॉक स्कूल मैसूरी ( Woodstock School, Mussoorie)…
भारत के उत्तराखण्ड में स्थित यह स्कूल मानो धरती के स्वर्ग में है। मसूरी भारत के मशहूर पर्यटन स्थल के लिए दुनिया भर में बेहद लोकप्रिय हैं। घने जंगलों के बीच पहाड़ों के ऊपर बना यह स्कूल अपने स्वच्छ वातावरण के लिए भी काफी पसंद किया जाता है। यह स्कूल क्रिश्चियन धर्म के आधार पर चलता है और इसका माध्यम अंग्रेजी है।
बता दें कि यह स्कूल हिमालय की पहली श्रेणी में 2000 मीटर से लेकर 2300 मीटर तक फैला हुआ है। इस स्कूल की स्थापना वर्ष 1854 में हुआ। आज से 166 साल पहले इस स्कूल की नींव रखी गई थी। आजादी के समय से यह स्कूल भारत का सबसे पुराना स्कूल माना जाता है।
साथ ही साथ इसे भारत के सबसे महंगे स्कूलों की सूची में सबसे ऊपर माना जाता है, क्योंकि परिसर में पढ़ने के इच्छुक छात्रों को प्रवेश के लिए न्यूनतम 15 लाख रुपए और 4 लाख रुपए (गैर-वापसी योग्य), और 2 लाख (वापसी योग्य) सुरक्षा के रूप में भुगतान करना पड़ता है। मशहूर भारतीय अभिनेता ‘टॉम ऑल्टर’ भी यहां से पढ़ें हुए हैं। यह स्कूल 250 एकड़ में फैला हुआ है।
सिंधिया स्कूल, ग्वालियर…
ज्योतिरादित्य सिंधिया आज़कल काफ़ी चर्चा में हैं। उन्हीं के परिवार के सदस्यों ने इस स्कूल को खोला था। बता दें कि ग्वालियर के महाराजा ‘माधो राव सिंधिया’ के द्वारा इस स्कूल की स्थापना वर्ष 1897 में की गई। ग्वालियर के ऐतिहासिक किले में स्थित यह स्कूल 110 एकड़ में फैला हुआ है। सिंधिया स्कूल सिर्फ लड़कों का बोर्डिंग स्कूल है। यहां प्रत्येक 10 बच्चों पर 1 टीचर पढ़ाता है। साथ ही यहां की सुंदरता और पहाड़ी माहौल भी काफी ख़ुशनुमा है।
बता दें कि सिंधिया स्कूल में पांचवी से लेकर बारहवीं तक के छात्रों को पढ़ाया जाता है। इस स्कूल के डायरेक्टर ‘ज्योतिरादित्य माधो राव सिंधिया’ है। यह स्कूल शुरुआत में सिर्फ राजा महाराजाओं के राजकुमारों और बड़े बड़े राजनीतिज्ञ और बिजनेसमेन लोगों के बच्चों को पढ़ाने के लिए ही चालू किया गया था। लेकिन बाद में यह पब्लिक स्कूल में बदल गया।
यहां प्रवेश लेने के लिए आपको सिंधिया स्कूल एप्टीट्यूड एनालिसिस टेस्ट को क्लियर करना होगा, जिसमें गणित, अंग्रेजी, हिंदी और सामान्य ज्ञान जैसे विषयों पर प्रश्न पूछे जाते हैं। मालूम हो कि यह एक धर्मनिरपेक्ष स्कूल है इसमे हर धर्म जाति के लोग पढ़ते हैं। सिंधिया स्कूल में कई बड़े नेताओं और ऐक्टर, डायरेक्टर सहित कई मशहूर हस्तियों ने शिक्षा प्राप्त की है। रिलायंस इंडस्ट्रीज के मालिक मुकेश अंबानी, सलमान खान, अरबाज खान, अनुराग कश्यप इत्यादि कई बड़े व्यापारी, कलाकारों ने यहां से शिक्षा प्राप्त की है ।
यह स्कूल भारत के सबसे महंगे और प्रख्यात विद्यालयों में से एक है। इस स्कूल में बच्चों की सुविधाएं और उनका अध्ययन क्षमता बढ़ाने के लिए हर सम्भव प्रयास किया गया है। भारत में अपनी खास सुविधाओं और सुरक्षा के लिए यह स्कूल भारत के सबसे महंगे स्कूलों की सूची में दूसरे स्थान पर आता है।
एकोले मांडाले वर्ल्ड स्कूल, मुम्बई (Ecole Mondiale World School)…
मुंबई सिर्फ़ माया नगरी और घूमने की जगह के रूप में ही नहीं प्रसिद्ध है। मुंबई शिक्षा के लिए भी जाना जाता है। मुंबई में स्थित यह स्कूल अपनी शिक्षा के लिए बेहद मशहूर है। यहां शिक्षा जगत से जुड़ी हर सुविधाएं उपलब्ध कराई गई हैं। यह स्कूल 2004 में स्थपित हुआ । बता दें यह मुंबई का पहला सबसे बड़ा और अच्छा स्कूल है। जो आईबी (अंतर्राष्ट्रीय बैकलौरीएट) बोर्ड द्वारा मान्यता प्राप्त है।
यह स्कूल कैम्ब्रिज इंटरनेशनल परीक्षाओं के माध्यम से 10 वीं कक्षा में माध्यमिक शिक्षा का अंतर्राष्ट्रीय सामान्य प्रमाणपत्र (IGCSE) प्रदान करता है। भारत में यह स्कूल काफी ज्यादा प्रख्यात है। इस स्कूल में भी बड़े बड़े अमीर लोगों के बच्चे ही पढ़ते है। इस स्कूल की फीस आम आदमी के बजट से बाहर है। यहां पढ़ाए जाने वाले सभी विषय अंतरराष्ट्रीय स्तर के होते हैं। यह स्कूल महंगे स्कूलों के लिस्ट में तीसरे नंबर पर आता है।
द दून स्कूल, देहरादून…
यह स्कूल भी उत्तराखंड राज्य में स्थित है। दून स्कूल भारत के जाने माने स्कूल में से एक है। इसकी प्रसिद्धि दुनिया भर में और भारत में भी काफी अधिक है। इसके विद्यार्थियों की बात की जाए तो इसमें भारत के बड़े बड़े राजनीतिज्ञ और साइंटिस्ट्स ने शिक्षा प्राप्त की है।यह स्कूल 72 एकड़ में फैला हुआ है। यह स्कूल अपनी विशेष भौगोलिक स्थिति के कारण भी काफी सराहा जाता है। शुद्ध हवा और पहाड़ों के बीच स्थित यह स्कूल किसी पर्यटन क्षेत्र जैसा प्रतीत होता है।
यह स्कूल सिर्फ लड़कों के लिए है। इस स्कूल की स्थापना वर्ष 1935 में 10 सितम्बर को हुई थी। इस स्कूल की नींव सतीश रंजन दास ने रखी थी। जिनके भाई चितरंजन दास स्वतंत्रता सेनानी थे। दून स्कूल के पूर्व विद्यार्थियों में दिवंगत भारतीय प्रधानमंत्री राजीव गांधी, ज्योतिरादित्य सिंधिया जैसे राजनेता कलाकार अनीश कपूर, उपन्यासकार विक्रम सेठ और अमिताव घोष आदि शामिल हैं।
मेयो कॉलेज, अजमेर…
राजस्थान सिर्फ़ रेत की वज़ह से प्रसिद्ध नहीं। यहां की शिक्षा व्यवस्था भी काफ़ी बेहतर है। भारत के इतिहास और राजपूत क्षेत्र राजस्थान के अरावली पहाडियों, अजमेर में स्थित यह स्कूल अपने आप में अलग पहचान बनाए हुए है। यह स्कूल सिर्फ लड़कों का बोर्डिंग स्कूल है। यह 1875 में मेयो के 6वें अर्ल रिचर्ड बोरके द्वारा स्थापित किया गया था। यह भारत के सबसे पुराने सार्वजनिक बोर्डिंग स्कूलों में से एक है। जो 387 एकड़ जमीन पर फैला हुआ है। इसमे करीब 750 छात्रों को पढ़ाया जाता है। शिक्षा का माध्यम अंग्रेजी भाषा में है। यह स्कूल दिल्ली बोर्ड द्वारा मान्यता प्राप्त है। यहां भी 10 विद्यार्थियों पर एक शिक्षक है।
यह स्कूल बेहतरीन संस्थानों में से एक है जो हॉर्स राइडिंग, स्क्वैश और कई अन्य खेल गतिविधियों से भी बच्चों को रूबरू कराते हैं। यहां पढ़ने वाली महान हस्तियों में जम्मू कश्मीर के आखिरी शासक महाराज हरि सिंह बहादुर, महान राजनीतिज्ञ के.नटवर सिंह, लेखक इंद्र सिन्हा, टीनू आनंद (फ़िल्म निर्देशक), अभिनेता विवेक ओबेरॉय और भारतीय नौसेना प्रमुख सुनील लांबा शामिल हैं।
वेल्हम बॉय स्कूल, देहरादून…
यह स्कूल देहरादून में स्थित है। यह भारत के सबसे प्रतिष्ठित विद्यालयों में से एक है। यह एक पब्लिक स्कूल है। जो कि करीब 35 एकड़ भूमि पर विस्तारित रूप से फैला हुआ है।
यह स्कूल सीबीएसई बोर्ड द्वारा मान्यता प्राप्त है और अपने खास शिक्षा वितरण के लिए देश में काफी मशहूर है। शिक्षा में सुधार के लिए यहा भर्ती होने वालों छात्रों को एक परीक्षा देनी पड़ती है जिसमें उत्तीर्ण होने वाले छात्रों को ही स्कूल में दाखिला मिल पाता है। भारत के मशहूर राजनीतिज्ञ राजीव गांधी, मणिशंकर अय्यर, नवीन पटनायक, संजय गांधी, विक्रम सेठ, कैप्टन अमरिंदर सिंह, मंसूर अली खान पटौदी और जायद खान आदि ने यहां से शिक्षा ग्रहण की है।
बिरला पब्लिक स्कूल, पिलानी…
यह स्कूल करीब 100 एकड़ जमीन पर फैला हुआ है। जिसकी स्थापना वर्ष 1944 में हुई थी। यह स्कूल विद्या निकेतन के नाम से प्रसिद्ध है। राजस्थान के पिलानी में स्थित यह स्कूल भारत के प्रमुख विद्यालयों में से एक है।
इसकी विशेषता यह है कि यहां पढ़ने वाला हर विद्यार्थी हिन्दी भाषा में काफी अधिक निपुण है। यह एक भारतीय सांस्कृतिक स्कूल है। जिसमें आज के आधुनिक युग के साथ भारतीय संस्कृति और संस्कारों का विशेष ध्यान रखा जाता है। इस स्कूल का मोटो है- ‘श्रद्धा ज्ञान कर्म।’
बता दें कि इस स्कूल को तीन हिस्सों में बांटा गया है। जूनियर सेक्शन, मिडल सेक्शन और सीनियर सेक्शन। इस स्कूल में पढ़ने वाले छात्रों में भारत की कई महान हस्तियां शामिल है। जिनमें जनरल विजय कुमार सिंह, पूर्व थल सेनाध्यक्ष, विनोद राय, भारत के पूर्व नियंत्रक और महालेखा परीक्षक, और विवेक चंद सहगल शामिल हैं। वही इसके संस्थापक ‘मोथरसन के’ हैं।