पूरी दुनिया कर रही है भारत की कोवैक्सीन की तारीफ, WHO के चीफ साइंटिस्ट ने कही ये बड़ी बात
भारत की स्वदेशी “कोवैक्सीन” पर कई देशों द्वारा शोध किया जा रहा है और कई सारे शोधों में कोरोना की इस वैक्सीन को काफी कारगर माना गया है। जिससे की जल्द ही इस वैक्सीन को WHO की ओर से हरी झंडी मिलने की उम्मीद बढ़ गई है। इतना ही नहीं “कोवैक्सीन” की तारीफ बृहस्पतिवार को विश्व स्वास्थ्य संगठन की चीफ साइंटिस्ट द्वारा भी की गई है। डॉ. सौम्या स्वामीनाथन (Soumya Swaminathan) ने इस वैक्सीन की तारीफ करते हुए कहा है कि कोवैक्सीन के तीसरे फेज के ट्रायल के डेटा अच्छे हैं।
वैक्सीन की उपलब्धता के लिए बने वैश्निक संगठन GAVI पर प्रकाशित एक लेख में कोवैक्सीन को उम्मीद जगाने वाली वैक्सीन बताया गया है। गावी की वेबसाइट पर प्रकाशित एक लेख में कोवैक्सीन को हाई-एफिकेसी रेट वाली वैक्सीन बताया गया है। इस लेख में लिखा गया है कि कोवैक्सीन से वैक्सीनेशन के बाद बुखार और शरीर दर्द जैसे सामान्य लक्षण उभरते हैं। इससे कोई गंभीर साइड इफेक्ट अभी तक नहीं देखा गया है।
लेख में आगे लिखा गया है कि कोवैक्सीन पारंपरिक तरीके से बनी है। इसमें डेड वायरस को शरीर के अंदर डाला जाता है। जिससे शरीर वायरस को पहचानता है और उसके खिलाफ एंटीबॉडी बनाता है। इसे इनैक्टिवेटेड होल वायरस ( inactivated whole virus vaccine) वैक्सीन कहा जाता है। गावी कम और मध्यम आय वाले देशों को वैक्सीन मुहैया कराने के लिए पब्लिक-प्राइवेट ग्लोबल हेल्थ पार्टनरशिप का काम करता है।
15 देशों ने दी है मंजूरी
भारत द्वारा बनाई गई कोवैक्सीन के इस्तेमाल को अभी तक 15 देशों द्वारा इमरजेंसी यूज के लिए अप्रूवल मिल चुका है। इन 15 देशों में जिंबाब्वे, ईरान, मेक्सिको, फिलपिन्स, ग्वातेमाला और बोत्सवाना जैसे देश शामिल हैं। वहीं गावी में छपे लेख में जिस तरह से इस वैक्सीन की तारीफ की गई है। उसको देखकर लग रहा है कि जल्दी ही WHO की ओर से इस वैक्सीन के इस्तेमाल को मंजूरी मिल जाएगी। जिसके बाद इस वैक्सीन का उपयोग अन्य देश कोरोना की जंग में कर सकेंगे।
आपको बाता दें कि मई महीने में ही WHO के पास आवेदन भेजी गई थी। इस वैक्सीन के इमरजेंसी यूज लिस्टिंग के लिए WHO के पास ये आवेदन भारत बायोटेक ने भेजी थी। दरअसल इस वैक्सीन को भारत बायोटेक द्वारा ही बनाया गया है।
कहा जा रहा है कि इस वैक्सीन को जुलाई-सितंबर तक सूची में शामिल किया जा सकता है। 23 जून को WHO और भारत बायोटेक के बीच एक प्री-सबमिशन मीटिंग भी हुई थी। एक बार भारत बायोटेक कोवैक्सीन के फेज-3 ट्रायल का पूरा डेटा जमा कर देता है। तो डोजियर पूरा हो जाएगा और फिर संगठन इसकी समीक्षा करेगा। भारत बायोटेक को उम्मीद है कि कोवैक्सीन की EULआवेदन की समीक्षा प्रक्रिया एफिकेसी स्टडी डेटा के जमा किए जाने के बाद जुलाई में शुरू हो जाएगी।
1410 रुपये है कीमत
भारत के प्राइवेट अस्पताल में ये वैक्सीन 1410 रुपये में लगाई जा रही है। जबकि सरकारी अस्पताल में ये वैक्सीन फ्री में लगाई जा रही हैं। वहीं कोविशील्ड की क़ीमत 780 रुपये है जबकि स्पुतनिक-V की क़ीमत 1145 रुपये रखी गई है।