12 जुलाई से शुरू होगी जगन्नाथ रथ यात्रा, पढ़ें इससे जुड़ी पौराणिक कथा
जगन्नाथ रथ यात्रा को जोरो शोरों से निकाला जाता है और इस साल 12 जुलाई को ये यात्रा निकाली जाएगी। मंदिर प्रशासन की ओर से यात्रा के लिए रथ बनाने का काम तेजी से किया जा रहा है और कुछ ही दिनों में रथों को तैयार कर लिया जाएगा। जगन्नाथ यात्रा के तहत कुल तीन रथ निकाले जाते हैं। जो कि तलध्वज, नंदीघोष और देवदलाना के नाम से जाने जाते हैं। तलध्वज के रथ में 14 पहिए होते हैं। नंदीघोष के रथ में 16 और देवदलाना के रथ में 12 पहिए लगाए जाते हैं।
इन तीनों रथों को बनाने के लिए केवल लकड़ी का ही प्रयोग किया जाता है। इन रथों को बनाना का कार्य काफी समय पहले ही शुरू कर दिया जाता है।
जानकारी के अनुसार सभी रथों में पहिए लगाने का कार्य पूरा हो चुका है। अब बस फिनिशिंग का काम बचा है। जो कि कुछ ही दिनों में हो जाएगा। जिसके बाद रथों को सुंदर तरीके से सजाया जाएगा।
12 जुलाई सोमवार से शुरू होने वाली ये रथ यात्रा 20 जुलाई को खत्म होगी। इस यात्रा के पहले दिन भगवान जगन्नाथ प्रसिद्ध गुंडिचा माता के मंदिर में जाते हैं।
रथ यात्रा से जुड़ी कथा
कहा जाता है कि स्नान पूर्णिमा यानी ज्येष्ठ पूर्णिमा के दिन श्री जगन्नाथ पुरी का जन्मदिन होता है। उस दिन प्रभु जगन्नाथ को बड़े भाई बलराम जी तथा बहन सुभद्रा के साथ रत्नसिंहासन से उतार कर मंदिर के पास बने स्नान मंडप में ले जाया जाता है। 15 दिनों तक भगवान को एक विशेष कक्ष में रखा जाता है। जिसे ओसर घर कहते हैं। इन 15 दिनों की अवधि में महाप्रभु को मंदिर के प्रमुख सेवकों और वैद्यों के अलावा कोई और नहीं देख सकता है। इस दौरान मंदिर में प्रभु के प्रतिनिधि अलारनाथ जी की प्रतिमा स्थपित की जाती हैं और उनकी पूजा अर्चना की जाती है।
15 दिन बाद भगवान स्वस्थ होकर कक्ष से बाहर निकलते हैं और भक्त इनके दर्शन कर पाते हैं। जिसे नव यौवन नैत्र उत्सव भी कहते हैं। इसके बाद द्वितीया के दिन महाप्रभु श्री कृष्ण और बडे भाई बलराम जी और बहन सुभद्रा जी के साथ बाहर राजमार्ग पर आते हैं। इन्हें बनाए गए रथों पर रखा जाता है और ये रथों पर विराजमान होकर नगर भ्रमण पर निकलते हैं।
जिन रथों पर इनको रखा जाता है। वो बेहद ही विशाल होते हैं। इन रथों का वजन काफी अधिक होता है और इन्हें हाथों से ही खींचा जाता है। रथों को खीचने के लिए काफी लोग लगते हैं। रथ यात्रा के दौरान भारी संख्या में लोग पुरी आते हैं और इस यात्रा का हिस्सा बनते हैं। हालांकि कोरोना के कारण ये यात्रा अब सादगी के साथ निकाली जाती है और लोगों को इसमें शामिल होने की अनुमति नहीं दी गई है।
कोरोना काल को देखते हुए यात्रा में कम ही लोग शामिल हो सकेंगे। शामिल होने वाले अधिकारियों को 4 बार आरटी-पीसीआर जांच करनी होगा। नेगेटिव आने के बाद ही वो रथ यात्रा में शामिल हो सकेंगे। इसके अलावा जो लोग रथों को खींचेंगे उनका भी आरटी-पीसीआर टेस्ट किया जाएगा।