अध्यात्म

भगवान जगन्नाथ हर साल परिवार के साथ होते है 14 दिन के लिए क्वारंटीन, जानिए कारण

बीते करीब डेढ़ साल से अधिक समय से पूरी दुनिया में कोरोना महामारी तहलका मचा रही है, इसका प्रकोप अब भी कम नहीं हुआ है और लोग अब भी इस वैश्विक महामारी के कारण अपनी जान गंवा रहे हैं. आज कोई भी व्यक्ति कोरोना संक्रमित पाया जाता है तो उसे कम से कम 14 दिनों के लिए पृथक वास (क्‍वारंटीन) में रहना पड़ता है. हालांकि क्या आपको यह पता है कि ब्रह्मांड के स्वामी (भगवान जगन्नाथ) भी बीमार पड़ने पर स्वयं को पृथक कर लेते हैं. पौराणिक कथाओं में इस बात का उल्लेख मिलता है. आइए आपको इसके बारे में विस्तार से बताते हैं…

भगवान भी रहते हैं 14 दिनों तक क्‍वारंटीन…

jagannath ji

कोरोना महामारी की शुरुआत के दौरान जब 14 दिन के क्वारंटीन या सेल्फ आइसोलेशन का नियम बनाया गया तो इसके बारे में जान और सुनकर लोगों को बड़ा आश्चर्य हुआ था, हालांकि आपको यह जानकर हैरानी हो सकती है कि भगवान जगन्नाथ तो सालों से हर साल कुछ दिन पृथक वास में रहते है. बता दें कि, आज के समय में कोरोना महामारी के चक्र को तोड़ने के लिए 14 दिन के क्वारंटीन पीरियड को अहम माना जाता है.

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हिंदू धर्म की मान्यताओं और पौराणिक कथाओं की माने तो भगवान जगन्नाथ, बलराम और देवी सुभद्रा पृथक वास में रह चुके है. प्राचीन कथाओं में इस बात का उल्लेख है, वहीं श्रीजगन्नाथ संस्कृति के शोधकर्ता भास्कर मिश्रा भी इस बारे में बता चुके है. आज के समय में कोरोना संक्रमित मनुष्य जिन चीजों का पालन करता है, उन्हीं चीजों को कभी ब्रह्मांड के स्वामी (भगवान जगन्नाथ) ने भी अपनाया था. ओडिशा के जगन्नाथ मंदिर में आज भी यह परंपरा निभाई जाती है. वहीं ओडिशा की अपनी सालों पुरानी परंपरा को ओडिशा सरकार ने भी लागू किया.

भगवान जगन्नाथ के लिए क्वारंटीन रूम…

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ओडिशा सरकार के प्रमुख प्रवक्ता सुब्रतो बागची ने कहा है कि, “भगवान जगन्नाथ के पृथक-वास का उदाहरण लोगों द्वारा अच्छी तरह से स्वीकार किया जाता है और यह उन्हें घर के अंदर रखा जाता है. राज्य सरकार ने एक नारा भी गढ़ा है-‘घरे रुकंतु सुस्थ रूहंतु’ यानी घर में रहें, स्वस्थ रहें.” आगे उन्होंने बताया कि, “राज्य सरकार इस बात पर जोर देती है कि यदि कोई कोविड-19 संक्रमित पाया जाता है तो उसे कम से कम 14 दिनों के लिए पृथक-वास में रहना चाहिए. यहां तक ​​​​कि ब्रह्मांड के स्वामी (भगवान जगन्नाथ) भी बीमार पड़ने पर स्वयं को पृथक कर लेते हैं.”

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पौराणिक मान्यता के अनुसार भगवान जगन्नाथ और उनके भाई भगवान बलभद्र और उनकी बहन देवी सुभद्रा को स्नान पूर्णिमा के दिन 108 घड़े के पवित्र जल से स्नान कराया गया था. इसके चलते उन्हें बुखार आ गया था और फिर तीनों देवी-देवताओं को ‘अनासर घर’ में उपचार हेतु ले जाया गया. भगवान जगन्नाथ, भगवान बलभद्र और देवी सुभद्रा का बुखार 14वें दिन ठीक हुआ था. गौरतलब है कि, आज भी इस प्रथा को प्रति वर्ष रथ यात्रा से 14 दिन पहले तक मनाया जाता है.

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जानकारी के मुताबिक़, तीनों देवी-देवताओं ने बुखार आने पर आयुर्वेदिक दवाओं का उपयोग किया था. बताया जाता है कि भगवान के अनासर (क्वारंटीन) में रहने के दौरान बंद कमरे में कुछ चुनिंदा सेवकों द्वारा कुछ रस्में आज भी निभाई जाती हैं.

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