द ग्रेट गामा : दोबारा नहीं जन्मा ऐसा धाकड़ ‘पहलवान’ – देखें उनका ये खास वीडियो!
नई दिल्ली – आपने अक्सर अपने घर वालों से या अपने बुजुर्गों से ‘गामा पहलवान’ के बारे में सुना होगा। लेकिन, हममें से बहुत कम उनके बारे में जानते होंगे, क्योंकि वो हमारे टाइम के पहलवान नहीं बल्कि उस टाइम के पहलवान थे जब पहलवानी आज के मुकाबले काफी मुश्किल होती थी। गामा पहलवान के बारे में कहा जाता था कि 1,200 किलो वजन का पत्थर उठाकर पहलवानी की दुनिया में नया कीर्तिमान रचा था। जो आजकल किसी के लिए असंभव है। गामा एक बार में लगभग एक हजार दण्ड बैठक करते थे। उनकी डाइट में छह देशी मुर्गें, 10 लीटर दूध, आधा किलो घी और बादाम होता था। आज हम आपको गुलाम मुहम्मद उर्फ ‘द ग्रेट गामा’ के बारे में इसलिए बता रहे हैं क्योंकि आज उनका जन्मदिवस है। Story of great gama pahalwan.
आखिर कौन थे ‘द ग्रेट गामा’ पहलवान –
गामा पहलवान के बारे में बात करने से पहले आपको बता दें कि भारत को दोबारा ऐसा धाकड़ पहलवान नहीं मिल सका। गामा का जन्म पंजाब के अमृतसर में 22 मई, 1878 को एक कश्मीरी परिवार में हुआ था। उनके पिता का नाम मोहम्मद अजीज बख्श था जो एक जाने-माने रेसलर थे। गामा का पूरा नाम गुलाम मोहम्मद था, जिन्हें रेसलिंग की दुनिया में ‘द ग्रेट गामा’ के नाम से जाना जाता है। बचपन में ही पिता की मौत के बाद उन्हें दतिया के महाराजा ने गोद लिया और पहलवानी की बेजोड़ ट्रेनिंग दी। उन्होंने महज 10 साल की उम्र में ही कई बड़े-बड़े पहलवानों को धूल चटा दी।
गामा के बारे में सबसे चर्चित बात यह है कि करीब 50 साल के कैरियर में उन्हें कोई हरा नहीं सका। गामा की ट्रेनिंग और डाइट का पूरा ख्याल रखा जाता था। ऐसा सुनने को मिलता है कि उनकी एक वक्त की खुराक में 10 किलो दूध और 600 ग्राम बादाम हुआ करता था। पीने से पहले 10 किलों दूध को इतना उबाला जाता था कि वो 7.5 किलो किया जाता था। पूरी दुनिया में कोई भी गामा को हरा न सका, इसीलिए उन्हें वर्ल्ड चैम्पियन का खिताब दिया गया था। गामा ने पहलवानी कैरियर के दौरान देश और विदेश में कुल 50 नामी पहलवानों से कुश्ती लड़ी और सभी को चितकर सारे खिताब जीते।
ऐसा था ‘द ग्रेट गामा’ के जीत का सफर –
वैसे तो गामा पहलवान ने देश और विदेशों तक अपनी कुश्ती की कारीगरी के झंडे गाड़े, लेकिन साल 1910 में वो अपने रेसलर भाई इमाम बख्श के साथ जब लंदन गये तो उन्होंने वहां इंटरनेशनल चैंपियनशिप में भाग लेने से मना कर दिया गया। लेकिन, गामा ने लंदन में सभी बड़े पहलवानों को ओपन चैलेंज दिया कि वो किसी को भी पराजित कर सकते हैं। उनके चैंलेज को अमेरिकी चैंपियन बेंजामिन रोलर ने स्वीकार किया, जिसे गामा ने महज 1 मिनट, 40 सेकंड में ही चित कर दिया।
इससे पहले गामा का मुकाबला 1895 में उस वक्त देश के सबसे बड़े पहलवान रुस्तम-ए-हिंद रहीम बक्श सुल्तानीवाला से हुआ था। जिसकी लंबाई 6 फुट 9 इंच थी, जबकि गामा पहलवान की लंबाई महज 5 फुट 7 इंच की थी। इसके बावजूद उन्होंने रहीम से कुश्ती लड़ी और यह मैच बराबरी पर छूटा। इसी लड़ाई के बाद गामा का शोर पूरे देश में फैल गया। 1947 में देश के बंटवारे के बाद गामा पाकिस्तान में बस गए और जहां उनकी लंबी बीमारी के बाद साल 1963 में मौत हो गई।