रेड लाइट एरिया में जन्मी भारतीय लड़की अमेरिका के लिए बनी प्रेरणा, 25 श्रेष्ठ महिलाओं में शामिल
कमाठीपुरा से उठकर अमेरिका तक का सफ़र। जिसके बाद उसकी मेहनत को सलाम कर रहें लोग...
कहते है कि जीवन ना तो भविष्य में है, ना ही अतीत में है, जीवन है तो केवल वर्तमान में। जी हां आपके साथ अतीत में क्या हुआ है। यह सिर्फ़ आपको पता होता है। वहीं भविष्य में क्या होगा? यह भविष्य के ही गर्भ में होता है। आज हम एक ऐसी लड़की की कहानी बताने जा रहें जिसका अतीत बहुत धुंधला रहा है, लेकिन उसने अपने वर्तमान में ऐसी मिसाल पेश की है। जिसकी चहुंओर तारीफ़ हो रही है।
जी हां हमने सदैव यह बात अपने बड़े-बुजुर्गों के मुंह से सुनी है कि व्यक्ति को वर्तमान में जीना चाहिए। ऐसी ही यह कहानी है मुंबई के एक रेड लाइट एरिया में जन्मी श्वेता की। जिसमें आगे बढ़ने की ऐसी ललक थी कि उसने अपने अतीत को भूला दिया और अपनी मेहनत और लगन से वह कर दिखाया। जिसके बारे में बहुत सारे सोचकर ही रह जाते हैं।
बता दें कि इस लड़की का जन्म एक ऐसे जगह पर हुआ था। जिसे नर्क कहा जाता है, लेकिन उसने उस नर्क के इलाके से उठकर अमेरिका के सबसे महंगे कॉलेज तक की उड़ान भरी। जिसकी इस उड़ान के बाद लाखों लोग उसे सलाम कर रहें हैं। आइए जानते हैं 18 साल की उम्र में 28 लाख की स्कॉलरशिप ले कर अमेरिका जाने वाली श्वेता के जीवन के बारे में…
कमाठीपुरा से उठकर अमेरिका तक का सफ़र…
बता दें कि श्वेता कट्टी का जन्म मुंबई के एक रेडलाइट एरिया कमाठीपुरा में हुआ। इसी बस्ती में वह पली बढ़ी। यह तो सभी को पता है कि कमाठीपुरा एशिया का जाना माना रेडलाइट एरिया है। श्वेता अपनी तीन बहनों में सबसे छोटी हैं। जहां से श्वेता आती हैं वो जगह भले ही पढ़ाई और बड़े सपने देखने के अनुकूल नहीं थी लेकिन श्वेता की आंखों ने सपने देखने की हिम्मत की। श्वेता का बचपन कमाठीपुरा के सेक्स वर्कर्स के बीच गुज़रा। वे लगातार श्वेता को पढाई करने के लिए प्रेरित करती रहती थी। जिससे कि वह पढ़-लिखकर उस माहौल से निकल सके और कुछ बनकर उन्हें भी यहां से बाहर निकाल सके।
तीन बार हुई यौन शोषण का शिकार…
कमाठीपुरा में रह रहा श्वेता का परिवार उसकी मां की कमाई से चलता था। काफी समय तक वह 5500 प्रति माह वेतन पर एक फैक्ट्री में काम करती रहीं। कहने को तो श्वेता के पिता भी थे लेकिन एक तो वह सौतेले थे और दूसरे शराबी। श्वेता के अनुसार वह हमेशा घर में मार पिटाई और झगड़े करते थे। जब तक वह साथ रहे श्वेता कभी भी अच्छा महसूस नहीं कर पाई।
श्वेता ने बचपन में ही वो सब भी झेला जो किसी भी महिला के लिए सबसे बड़ा डर होता है। वह बचपन में तीन बार यौन शोषण का शिकार हुईं। मात्र नौ साल की उम्र में ही श्वेता को उसके एक करीबी की गलत हरकत सहनी पड़ी थी। श्वेता के रंग के लिए भी उनका काफी मजाक उड़ाया गया। वो बताती हैं कि स्कूल में उन्हें बच्चे गोबर कहकर चिढ़ाते थे।
हाँ लेकिन कहते हैं न कि कर गुज़रने का जज़्बा जिसके भीतर होता है। वह किसी भी विपरीत परिस्थितियों से लड़कर अपने लिए राह बना लेता है। ऐसा ही कुछ इस लड़की ने किया, लेकिन श्वेता को समय-समय पर यह एहसास जरूर होता था कि वह भले ही बहुत कुछ करना चाहती लेकिन उसे ना तो कोई मदद मिल रही और ना ही उसके आत्मविश्वास को मजबूती। इतना सब सहने के बाद वो इतना कमजोर महसूस करने लगी थी कि किसी प्रतियोगिता में भाग लेने से भी डरती थी। लेकिन कहते हैं ना जहां चाह होती है वहां राह भी मिल ही जाती है।
16 साल की श्वेता को उसकी मंजिल की राह तब मिली जब उन्होंने 2012 में क्रांति नामक एक एनजीओ जॉइन किया। यहीं से उनकी ज़िंदगी में नया मोड़ आया। जिन हालातों में श्वेता बड़ी हुई थी, उसकी वजह से वह खुद से ही नफरत करने लगी थी। लेकिन, इस संस्था ने उसे खुद से प्यार करना सिखाया। श्वेता ने इस संस्था की मदद से सिर्फ खुद को ही नहीं, बल्कि अपने जैसी अन्य लड़कियों को भी मजबूती दी।
रेड लाइट एरिया से न्यूज़वीक पत्रिका में छपने का सफ़र…
इन सब परेशानियों को झेलने में बाद श्वेता के जीवन मे वह पल आया। जब उसके सराहनीय प्रयासों की वजह से अमेरिकी मैगज़ीन न्यूज़वीक ने 2013 में उन्हें अपने अप्रैल अंक में 25 साल से कम उम्र की उन 25 महिलाओं की सूची में शामिल किया था जो समाज के लिए प्रेरणास्त्रोत बनी। इस सूची में पाकिस्तान की मलाला यूसुफज़ई का नाम भी था। यह लड़की यही नहीं रुकी, क्योंकि उसकी मंजिल तो कुछ और थी। ऐसे में इसके बाद श्वेता को वो मिला जिसके बारे में वह कभी सपने में सोचने की हिम्मत भी नहीं कर सकती थी। उस समय अमेरिका के दस सबसे महंगे कॉलेजों में से एक माने जाने वाले ‘बार्ड कॉलेज’ की चार साल स्नातक डिग्री की फीस लगभग 30 लाख रुपए थी। श्वेता को यहां पढ़ने के लिए 28 लाख की छात्रवृत्ति मिली थी।
ऐसे मिली श्वेता को छात्रवृत्ति…
बता दें कि श्वेता लगातार इंटरनेट पर अमेरिकी विश्वविद्यालय के बारे में सर्च करती रहती थी। इसी दौरान उनकी बात बार्ड कॉलेज के एक पूर्व छात्र से हुई। वह छात्र श्वेता से इतना प्रभावित हुआ कि उसने बार्ड कॉलेज मे श्वेता के नाम की सिफारिश कर दी। कठिनाइयों से लड़ कर अपने सपने की ओर आगे बढ़ रही श्वेता की कहानी ने कॉलेज के एडमिशन अफसरों का दिल छू लिया। बाकी का काम न्यूज़वीक पत्रिका ने कर दिया। जिसमें श्वेता को 25 श्रेष्ठ महिलाओं में चुना गया था। इन्हीं कारणों से बार्ड कॉलेज ने खुशी खुशी श्वेता की छात्रवृत्ति को मंजूरी दे दी।