ब्रिटेन से बदला लेने के लिए जमशेद टाटा ने बनवाया था होटल ताज, जानिये पूरी कहानी
ताज होटल को मुंबई की शान माना जाता है। जहाँ केवल बड़े-बड़े सेलिब्रिटी और पैसे वाले लोग जा पाते है यहाँ आम इंसान का रहना और खाना किसी सपने से कम नही होता। 2008 का वह आतंकी हमला तो सभी को याद होगा। जिसे 26/11 नाम दिया गया था। बता दें 16 दिसम्बर 1903 को आम जनता के लिए खोल दिया गया था यह होटल। जो कि एक 6 मंजिल होटल है।
वहीं यह तो सभी को पता होगा कि इस होटल को टाटा ग्रुप द्वारा चलाया जाता है। जिसका मालिकाना हक टाटा कंपनी के पास है, लेकिन क्या आपको पता है कि ताज होटल बनने के पीछे की कहानी क्या है? नही पता तो चलिए हम आपको बताते हैं।
उसके पहले जान लेते है हम ताज होटल के साथ जुड़ी उपलब्धि को। बता दें कि दुनिया भर में अपनी अनोखी पहचान बना चुके ताज होटल ग्रुप ने अपने नाम एक नया खिताब जोड़ लिया है। ब्रांड फाइनेंस की ‘होटल्स-50 2021’ की रिपोर्ट के अनुसार, ताज होटल को दुनिया का सबसे मज़बूत होटल ब्रांड घोषित किया गया है। इस रिपोर्ट के मुताबिक, ताज कोरोना महामारी के दौर में सामने आई सभी चुनौतियों के साथ मज़बूती से लड़ा। यही वजह है कि इसे सबसे मजबूत ब्रांड की सूची में शीर्ष पर रखा गया है।
जिसकी सूचना 25 जून को टाटा समूह की हॉस्पिटैलिटी इकाई, इंडियन होटल्स कंपनी लिमिटेड ने दी। मालूम हो कि इससे पहले 2016 में ताज को एक उपलब्धि प्राप्त हुई थी। तब यह 38वें स्थान पर था। कंपनी ने अपनी रिपोर्ट में बताया है कि इन मानदंडों के अनुसार, 29.6 करोड़ डॉलर ब्रांड मूल्य वाला ताज 100 में से 89.3 के ब्रांड मजबूती सूचकांक (बीएसआई) और एएए ब्रांड मजबूती रेटिंग के साथ दुनिया का सबसे मजबूत होटल ब्रांड है।
अब उसकी बात। जिसका आप सभी इंतजार कर रहें। जी हाँ आज दुनिया भर के यात्रियों के बीच अपनी खास पहचान बनाने वाला ये होटल ब्रांड एक अपमान का बदला लेने के लिए बनाया गया था। टाटा समूह के संस्थापक जमशेदजी टाटा ने ताज का पहला होटल 1903 में बनवाया था। बता दें यह बात उस समय की है जब जमशेदजी टाटा ब्रिटेन गए थे। यहां उन्हें उनके एक विदेश एक मित्र ने एक होटल में मिलने बुलाया था। टाटा ग्रुप की वेबसाइट के अनुसार जब जमशेदजी अपने मित्र के साथ उस होटल में पहुंचे तो मैनेजर ने उन्हें अंदर जाने से रोक दिया। मैनेजर का कहना था कि हम भारतीयों को अंदर आने की इजाज़त नहीं देते। भारतीयों का अंदर आना मना है।
जमशेदजी टाटा को यह केवल खुद का नहीं बल्कि पूरे भारत का अपमान लगा। वह इस अपमान को बर्दाश्त नहीं कर सके और उन्होंने निश्चय कर लिया कि वह एक ऐसे होटल का निर्माण करेंगे, जहां भारत ही नहीं, बल्कि विदेशी भी आकर रह सकेंगे, वो भी बिना रोक-टोक के। वो एक ऐसे होटल का निर्माण करेंगे, जो पूरी दुनिया में आकर्षण का केंद्र बनेगा। जिसके बाद ब्रिटेन से मुंबई आने के बाद उन्होंने मुंबई के गेटवे ऑफ इंडिया के सामने पहले ताज होटल का निर्माण कार्य शुरू कर दिया। ये होटल समुद्र के बिल्कुल सामने बना। जिस ब्रिटिश होटल से जमशेदजी टाटा को भारतीय होने की वजह से निकाल दिया गया था आज उस देश के लोग जब भी भारत आते हैं तो ज़्यादातर ताज में ही रुकना पसंद करते हैं।
तो यह थी कहानी होटल ताज के बनने की। आशा करते हैं कि यह कहानी आपको काफ़ी पसन्द आई होगी और अपने भारतीय होने पर भी गर्व महसूस कर रहे होंगे क्योंकि हम ऐसे देश के है। जो तोड़ने में नहीं जोड़ने का काम करते है। बता दें कि होटल ताज से जुड़ा एक दिलचस्प क़िस्सा यह है कि किसी ज़माने में यहां रुकने के सिर्फ़ 13 रुपए लगते थे और आतंकी हमले के बाद बराक ओबामा इस होटल में रुकने वाले पहले विदेशी राष्ट्राध्यक्ष थे।