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IPS अधिकारी जो 7 साल रहा जेल में। बाहर निकला तो रिश्वतखोरों को पहुंचा दिया जेल, मिलें सिंघम से

ऐसे आईपीएस अधिकारी की कहानी, जिसके आगे कांपते हैं भ्रष्टाचारी, कई इनकाउंटर कर चुका है ये सिंघम...

एक डिटर्जेंट पाउडर का विज्ञापन हम सभी ने देखा होगा, जिसकी टैगलाइन है कि “दाग अच्छे है।” वास्तव में यह टैगलाइन सिर्फ़ विज्ञापन तक ही सही लगती है। आम जिंदगी में अगर किसी व्यक्ति के ऊपर कोई दाग लग जाएं। फिर वह व्यक्ति किस मनोदशा से गुजरता होगा। यह तो सिर्फ़ वह व्यक्ति ही समझ सकता है। जिसके ऊपर किसी बात का दाग या फ़िर लाँछन लगा हो। यह तो हम सभी को पता है कि जब किसी व्यक्ति पर कोई बदनामी का दाग लगता है। तो कैसे पूरा समाज उक्त व्यक्ति के विरोध में खड़ा हो जाता है। कई बार तो उसका बहिष्कार तक कर दिया जाता है। फिर समाज यह भी नहीं सोचता कि व्यक्ति के ऊपर जो बदनामी का दाग लगा है। वह सही है या ग़लत।

IPS Dinesh MN

आज हम आपको एक ऐसी ही कहानी बताने जा रहें। जिसमें एक अधिकारी के ऊपर बदनामी का दाग लगता है और उसे 7 वर्ष जेल में गुजारने पड़ते हैं। अब आप सोच रहें होंगे कि कौन है यह अधिकारी, क्यों जाना पड़ा उसे जेल। इसके अलावा जेल से छूटने के बाद क्या हुआ? तो सभी सवालों के जवाब आपको मिलेंगे, लेकिन क्रमवार तरीक़े से। जी हाँ यह कहानी जुड़ी है। एक ऐसे आईपीएस (IPS) अफ़सर से जिसे 7 साल जेल में रहना पड़ा, लेकिन जब अधिकारी ने दोबारा अपनी पोस्ट संभाली तो रिश्वतखोरों की नींद हराम कर दी।

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बता दें कि हम यहां बात कर रहे हैं कर्नाटक में जन्मे दिनेश एमएन की। जिनका जन्म 6 सितम्बर 1971 को कर्नाटक के चिक्कबल्लापुर जिले की चिंतामणी तहसील के गांव मुनागनाहल्ली में हुआ। पढ़ाई-लिखाई के बाद ये वर्ष 1995 में राजस्थान कैडर के आईपीएस अधिकारी बनते है। जो इन दिनों राजस्थान एसीबी में एडीजी (ADG) पद पर तैनात हैं। वही मालूम हो कि आईपीएस दिनेश को इलेक्ट्रॉनिक्स एंड टेलीकम्युनिकेशन में बीई की डिग्री प्राप्त है। आईपीएस बनने के बाद इन्हें साल 1999 में राजस्थान पुलिस में दौसा एएसपी का पदभार दिया गया। इसके बाद आईपीएस दिनेश करौली, झुंझुनूं, सवाई माधोपुर, अलवर और उदयपुर में एसपी भी रहें।

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बता दें कि जिस अधिकारी ने आज के समय में राजस्थान में भ्रष्टाचारियों की नींद उड़ा रखी है। उन्हें एक समय 7 साल जेल की सलाखों के पीछे भी बिताना पड़ा था। जिसके बाद आज उन्हें राजस्थान सूबे में ‘सिंघम’ के नाम से जाना जाता है। जेल से बाहर आने के बाद आईपीएस दिनेश ने राजस्थान भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो की कमान संभाली और राज्य की जेलों को रिश्वतखोरों से भर दिया। मीडिया से बात करते हुए आईपीएस ने बताया था कि देश में ऐसा पहली बार हुआ है जब मात्र 6 महीनों के भीतर सरकार की किसी स्टेट एजेंसी ने एक साथ इतने रिश्वतखोरों को जेल भेजा है। जेल भेजे जाने वाले अधिकारियों में एक आईएएस, एक आईपीएस, सात आरएएस व तीन आरपीएस शामिल थे। घूसखोरी के मामले में जेल गए अधिकारियों में से कई कलेक्टर-एसपी और आरएएस अधिकारी अभी भी सलाखों के पीछे ही हैं।

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इन अफ़सरों का किया पर्दाफ़ाश…

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आईपीएस दिनेश ने एक के बाद एक कई अफसरों को घूस लेते रंगे हाथों पकड़ा। आईपीएस ने शाहपुरा सब-डिविजनल मजिस्ट्रेट भारत भूषण गोयल को साढ़े तीन लाख रूपए के साथ पकड़ा था। यह रकम उस रिश्वत की पहली किश्त थी जो गोयल को आयुर्वेदिक औषधियों की फैक्ट्री लगाने के लिए व्यापारी द्वारा दी जाने वाली थी। रिश्वत की पूरी रकम 25 लाख रूपये तय की गई थी। वहीं आईपीएस दिनेश ने आबकारी इंस्पेक्टर पूजा यादव को शराब की दुकान लगाने वाले व्यक्ति से 40 हज़ार रूपए की घूस लेते हुए पकड़ा था। आईपीएस दिनेश की टीम ने पूजा यादव के घर से 5 लाख रूपए और दूसरे राज्यों से लाई गई शराब की 19 बोतलें भी बरामद की थी। इसी तरह इन्होंने जयपुर में नगर निगम के दो अधिकारियों को पकड़ा था जो, इलाके के मालवीय नगर में एक मकान के निर्माण की मंजूरी के लिए 70 हज़ार की घूस ले रहे थे। आईपीएस दिनेश ने हिंगोनिया गोशाला में चारा घोटाले की जांच करते हुए आठ अधिकारियों को गिरफ्तार किया था। इसके अलावा ऐसे कई अधिकारी थे जिन्हें आईपीएस द्वारा घूस लेते हुए पकड़ा गया।

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अब बात उसकी जिससे चर्चा की शुरुआत हुई…

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बता दें कि यह बात साल 2005 की थी। उन दिनों आईपीएस दिनेश उदयपुर के एसपी थे। उन्हीं दिनों राजस्थान और गुजरात पुलिस ने एक ज्वाइंट ऑपरेशन में हिट्रीशीटर सोहराबुद्दीन शेख को एक एनकाउंटर में मार गिराया था। बाद में इस एनकाउंटर को फेक बताया गया और दिनेश एमएन समेत कई पुलिस वालों और अफसरों पर मुकद्दमा हुआ। इसी केस में इन्हें सात साल की जेल हुई थी। सात साल की जेल काटने के बाद ये 2014 में रिहा हुए और 2017 में इन्हें इस मामले से बरी कर दिया गया। जेल से रिहा होने के बाद इन्हें एसीबी में भेजा गया तथा इस विभाग में आते ही इन्होंने हर तरफ तहलका मचा दिया।

फिर आनंदपाल के एनकाउंटर केस से आए चर्चा में…

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मालूम हो कि वह आईपीएस दिनेश ही थे जिन्होंने आईएएस अधिकारी अशोक सिंघवी को ढाई करोड़ की रिश्वत लेने के मामले में पकड़ा था। इसके बाद दिनेश एमएन तब चर्चा में आए जब आनंदपाल का एनकाउंटर हुआ। जिस टीम ने 24 जून 2017 को राजस्थान के चूरू जिले के गांव मालासर में गैंगस्टर आनंदपाल सिंह का एनकाउंटर किया था, बता दें कि उस टीम को आईपीएस दिनेश एमएन ही लीड कर रहे थे।

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वहीं एक तरफ़ आईपीएस दिनेश एमएन को फेक एनकाउंटर के लिए भी याद किया जाता है, तो वहीं दूसरी ओर उनकी ईमानदारी के किस्से भी सुनाए जाते हैं। आईपीएस दिनेश उन अधिकारियों में से एक हैं जिनके प्रति जनता का मत कभी एकमत नहीं होता। ऐसे में इस आईपीएस अधिकारी की यह कहानी पढ़कर आपको कैसा लगा। यह कमेंट कर अवश्य बताएं और इस कहानी को ज़्यादा से ज़्यादा शेयर करना बिल्कुल मत भूलें…

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