देह त्यागने के बाद 12 लाख किलोमीटर तक पैदल चलना पड़ता है आत्मा को, जानें पूरी यात्रा को
गरुड़ पुराण में मरने के बाद की हर स्तिथि का वर्णन किया गया है. इसमें पापी व्यक्ति की मृत्यु के बाद उसकी इतनी भयानक स्थिति का वर्णन किया गया है कि जानकर ही हर किसी की रूह काँप जाएंगी. गरुड़ पुराण की माने तो पिंड दान के बाद व्यक्ति का एक सूक्ष्म शरीर बनता है. इस शरीर में बसकर पापी व्यक्ति की आत्मा को भहुत लम्बी दूरी का भयानक सफर तय करना पड़ता है. इतना वो कभी अपने जीवन काल में भी नहीं चलता है. गरुड़ पुराण जे मुताबिक वयक्ति को मरने के बाद 24 घंटो के लिए यमलोक ले जाया जाता है. इसके बाद यहाँ आकर उसके जीवन भर के कर्मों का हिसाब लगाया जाता है.
यह उसके कर्म का हिसाब होने के बाद उसे स्वर्ग, नर्क या पितृलोक में लें जाया जाता है. इसके बाद उसे दोबारा से 13 दिनों के लिए पितृ लोक भेज दिया जाता है. इन 13 दिनों के दौरान उसके परिजनों द्वारा किए गए पिंडदान से उसका एक सूक्ष्म शरीर तैयार होता है और उसके बाद आत्मा उसमें प्रवेश कर जाती है. इन 13 दिनों के बाद पुण्य कर्म वालों को स्वर्ग के सुख भोगने के लिए भेजा जाता है. वहीं जो लोग पापी होते है उन्हें यमलोक तक की यात्रा पैदल चलकर करनी पड़ती है. इस दौरान उस व्यक्ति को 99 हजार योजन यानी 11 लाख 99 हजार 988 किलोमीटर की यात्रा करनी पड़ती है. इतनी लाभ यात्रा को पूरा करने में उसे एक साल का समय लग जाता है.
कई प्रकार के कष्टों से गुजरना पड़ता है आत्मा को
गरुण पुराण की माने तो इस यात्रा के दौरान आत्मा को तमाम गांवों से होकर गुजरना पड़ता है. इन गांवों में प्रलयकाल के समान कई सूर्य चमकते दिखाई देते है. पापी व्यक्ति की आत्मा को उनसे बचने के लिए न कहीं छाया मिलती है, न कहीं आराम करने की जगह और न ही पीने के लिए कहीं पानी मिलता है. इतना ही नहीं इस रास्ते में असिपत्र नाम का वन भी पड़ता है. इस जंगल में भयानक आग होती है. इसमें कौआ, उल्लू, गिद्ध, मधुमक्खी, मच्छर वगैरह आदि मिलते है. यह आत्मा को रास्ते में काफी परेशान भी करते है. इनसे बचने के लिए आत्मा कभी मल-मूत्र तो कभी खून से भरे कीचड़ और कभी अंधेरे कुंए में गिरकर छटपटाती उसे दर्द और पीड़ा होती है. यदि आपको इन कष्टों से बचना है तो जीवन में हमेशा धर्म के मार्ग पर चलें.
गौरतलब है कि गरुड़ पुराण को 18 महापुराण में से एक माना जाता है. इस पुराण में व्यक्ति की मौत से संबंधित भी कई राज़ का उल्लेख किया गया है. इसके साथ ही इसमें मरने की गति का भी वर्णन किया गया है. इस संसार में सभी प्राणी नश्वर हैं और एक न एक दिन सभी को मरना होता है. मगर सभी अलग-अलग तरह से प्राण त्यागते है. इस पुराण की माने तो मनुष्य चार तरीकों से अपने प्राण त्यागता है. कई बार कई लोगों की मरते समय आंखें उलट जाती हैं तो कुछ का मुंह खुला का खुला रह जाता है. इसके अलावा कई लोग देह त्यागते समय मल-मूत्र तक त्याग देते है. हम किस तरह से प्राण त्यागते है ये भी हमारे कर्मों पर निर्भर करता है.