किसी भी रत्न को पहनते समय ध्यान रखें ये 6 बातें, वरना लाभ की बजाय हो जाएगा नुकसान
दुख और समस्याएं हर किसी के जीवन में आते हैं। ज्योतिष शास्त्र की माने तो इनके पीछे की वजह आपकी जन्म कुंडली में ग्रहों का दोष या उनका कमजोर होना होता है। ऐसे में इन ग्रहों को मजबूत बनाने के लिए रत्न (Ratna) और उप-रत्न पहनने की सलाह दी जाती है। रत्न शास्त्र (Gemology) के अनुसार अपनी राशि के अनुसार सही रत्न धारण करने से आपकी लाइफ में कई अच्छे बदलाव होते हैं। जीवन में दुख खत्म होते हैं और सुखों की वृद्धि होती है। ये रत्न आपकी किस्मत भी चमका देते हैं। इन्हें पहनने के बाद दुर्भाग्य आपके आसपास भी नहीं भटकता है। इतना ही नहीं आर्थिक तंगी से छुटकारा पाने के लिए भी इन रत्नों को धारण किया जा सकता है।
हालांकि ये रत्न धारण करने का भी अपना एक सही तरीका और समय होता है। यदि आप गलत रत्न पहनते हैं या फिर सही रत्न को गलत ढंग से पहनते हैं तो ये आपको पूर्ण लाभ नहीं देगा। यही वजह है कि कई लोगों को सही रत्न पहनने पर भी इसका पूर्ण लाभ नहीं मिलता है। ऐसे में आज हम आपको कुछ ऐसी काम की बातें बताने जा रहे हैं जिनका ध्यान आपक रत्न पहनते समय अच्छे से रखना चाहिए।
रत्न पहनते समय ये बताएं दिमाग में बैठा लें
1. रत्न धारण करने से पहले उसका शुद्धिकरण करना जरूरी होता है। इसके लिए आप रत्न जिस भी आभूषण (जैसे अंगूठी, माला) में धारण कर रहे हैं, उसे दूध में डालकर, पानी से धोकर उसका शुद्धिकरण कर लें। इस दौरान एक बात याद रहे कि आप रत्न को ज्यादा देर तक दूध में न डालें। इसकी वजह ये है कि कुछ रत्न दूध सोख भी लेते हैं। ऐसे में रत्न की अशुद्धि हो जाती है। फिर यह रत्न आपके किसी काम का नहीं रहेगा।
2. जब भी रत्न धारण करें तो उसे पहले अपने ईष्ट देवी-देवता की मूर्ति से स्पर्श करा दें। ऐसा करने से रत्न की ताकत और भी बढ़ जाएगी।
3. चतुर्थी, नवमीं या चतुर्दशी के दिन रत्न पहनने से हर हाल में बचे। अमावस्या, ग्रहण और संक्रान्ति के दिन भी रत्न धारण करने से बचना चाहिए। इसके अलावा जिस दिन रत्न पहने उस दिन चेक कर लें कि उस तारीख में चंद्रमा आपकी राशि से 4,8,12 वें भाव में ना हो।
4. रत्न धारण करने का एक विशेष समय होता है। ये समय हर रत्न के लिए अलग होता है। इसकी जानकारी आप किसी विशेषज्ञ से जरूर लें।
5. मोती, मूंगा जैसे समुद्र से मिलने वाले रत्न को रेवती, अश्विनी, रोहिणी, चित्रा, स्वाति और विशाखा नक्षत्र में धारण करना चाहिए। इससे अधिक लाभ मिलता है। सुहागिन महिलाएं पुनर्वसु, पुष्य नक्षत्र में रत्न पहनने से बचे। आप इसे रेवती, अश्विनी, हस्त, चित्रा, अनुराधा नक्षत्र में धारण कर सकती हैं।
6. मूंगा और मोती को छोड़ दिया जाए तो बाकी सभी रत्न जैसे माणिक्य, पन्ना, पुखराज, हीरा, नीलम इत्यादि की लाइफ कभी खत्म नहीं होती है। मतलब आप इन्हें जीवनभर पहन सकते हैं। इसे बदलने कि जरूरत नहीं होती है। दूसरी तरफ मोती की चमक फीकी पड़ जाए या मूंगा में खरोंच आ जाए तो इसे बदल देना चाहिए।