बॉलीवुड इंडस्ट्री के लिहाज़ से मौसमी चटर्जी का नाम एक जाना- पहचाना नाम है। उनकी अदाओं का एक समय हर कोई दीवाना था। इतना ही नहीं बॉलीवुड में मौसमी चटर्जी को एक ऐसी अभिनेत्री के तौर पर शुमार किया जाता है जिन्होंने 70 और 80 के दशक में अपनी रूमानी अदाओं से दर्शकों पर अपनी एक अलग ही छाप छोड़ी थी। बता दें कि 26 अप्रैल 1953 को कलकत्ता में जन्मी मौसमी ने अपने अभिनय करियर की शुरूआत वर्ष 1967 में प्रदर्शित बंगला फ़िल्म ‘बालिका वधू’ से की थी। वही उनके पारिवारिक पृष्ठभूमि को देखें तो इनके पिता प्रांतोष चट्टोपाध्याय आर्मी ऑफीसर थे। मौसमी का असली नाम “इंदिरा चटर्जी” है। बाद में जब वह बंगाली फिल्मों में अभिनय करने लगी तो डायरेक्टर तरुण मजूमदार ने उनका नाम बदलकर मौसमी रख दिया था।
मौसमी चटर्जी यानी कि इंदिरा चटर्जी ने ‘अंगूर’, ‘मंजिल’ और ‘रोटी कपड़ा और मकान’ जैसी हिट फ़िल्मे दी है। मौसमी चटर्जी के बारे में एक बात कही जाती है कि वो बिना ग्लिसरीन के ही रो पड़ती थी। बिना ग्लिसरीन के ही रो पड़ने के सवाल पर एक बार मौसमी ने बातचीत में कहा था कि, “हां ये सच है। ये भी ऊपरवाले का दिया हुआ एक वरदान है। जब किसी दृश्य में मुझे रोना होता था तो मैं सोचती थी कि ये मेरे साथ सच में हो रहा है और मैं रो पड़ती थी।”
बता दें कि मौसमी चटर्जी ने न सिर्फ़ हिंदी फिल्मों में जबरदस्त काम किया, बल्कि उन्होंने बंगाली सिनेमा में भी ख़ूब शोहरत कमाई। इसके बाद उन्होंने राजनीति में भी हाथ आजमाया। मालूम हो कि मौसमी पहले कांग्रेस पार्टी के साथ थीं अब बीजेपी में हैं। मौसमी चटर्जी ने बहुत छोटी उम्र में शादी कर ली थी और मां भी बन गई थीं। आइए आज चर्चा करते है इस अभिनेत्री सह राजनीतिक महिला के निजी जिंदगी से जुड़े कुछ अनछुए पहलुओं की…
बता दें कि कोलकाता में जन्मीं मौसमी चटर्जी ने अपने फिल्मी करियर की शुरुआत शादी के बाद की थी। वह जब 10 वीं में पढ़ती थीं तभी उनकी शादी हो गई थी। तब वह महज 15-16 साल की थीं। इसका मतलब यह हुआ कि उनकी शादी नाबालिग रहते हुए ही हो गई थी। इतना ही नहीं 18 साल की होने से पहले ही मौसमी चटर्जी मां भी बन गई थीं। वहीं जब वह प्रेग्नेंट थीं तब एक हादसे का शिकार हो गई थीं। गौरतलब हो कि मौसमी जब प्रेग्नेंट थीं तभी फिल्म “रोटी कपड़ा और मकान” में काम भी कर रही थीं। इस फिल्म में मौसमी चटर्जी पर फिल्माया गया रेप सीन काफी चर्चा में रहा था। इस सीन को फिल्माने के दौरान ढेर सारा आटा मौसमी चटर्जी के ऊपर गिर गया था। इससे उन्हें ब्लीडिंग होने लगी थी। मौसमी डर गईं कि कहीं उनका मिसकैरेज तो नहीं हो गया। जिसके बाद वह फूट-फूट कर रोने लगी थी।
जिसके बाद आनन-फ़ानन में उन्हें तुरंत अस्पताल पहुंचाया गया। गनीमत रही कि हादसे के बाद भी वह और उनके गर्भ में पल रहा बच्चा दोनों सुरक्षित थे। एक बार अपने अनुभव साझा करते हुए मौसमी चटर्जी ने यह बात कही थी कि, ” वह काफ़ी खुशकिस्मत हैं कि उन्हें अच्छा पति और बेटियां मिलीं। ससुर हेमंत कुमार ने मुझे मुंबई में कभी अहसास नहीं होने दिया कि माता-पिता मेरे पास नहीं है। मैंने अपने पैसे से मर्सिडीज कार भी खरीदी थी। 18 साल की उम्र में एक बेटी की मां बन गई थी। मुझे याद है कि डॉक्टर मुझसे कह रहे थे कि मेरे नर्सिंग होम में पहली बार एक बेबी ने बेबी को जन्म दिया। सभी ने उस समय मुझे मां न बनने की नसीहत दी थी।”
जानकारी के लिए बता दें कि 2004 में कांग्रेस के टिकट पर मौसमी चटर्जी ने लोकसभा चुनाव लड़ा था, लेकिन हार का सामना करना पड़ा था। उसके बाद वह सक्रिय राजनीति से लंबे समय तक दूर रही थी। उसके बाद उन्होंने कैलाश विजयवर्गीय के नेतृत्व में 2019 में भाजपा को जॉइन किया था।
वहीं गौरतलब हो कि मौसमी चटर्जी की शादी भी यूँ ही कम उम्र में नही हो गई थी। इसके पीछे भी एक अजीबोगरीब कहानी है। मौसमी चटर्जी आगे पढ़ना चाहती थी, लेकिन हुआ कुछ ऐसा की उनकी ऑन्टी की जिद्द की वज़ह से उन्हें शादी करनी पड़ी। जी हां उस दौरान मौसमी की एक आंटी बेहद बीमार थी। बिस्तर पकड़ लिया था। बचने की कोई उम्मीद नहीं थी। उन्होंने जिद्द पकड़ ली कि उनकी आखिरी इच्छा है कि मौसमी की शादी देखें।
ऐसा फिल्मों में नहीं बल्कि हकीकत में भी होता है। आखिरकार आंटी की जिद्द के आगे सभी को झुकना पड़ा। आखिरी ख्वाहिश का जो सवाल था। ऐसे में फ़िर मौसमी के पड़ोस में प्रसिद्ध संगीतकार और गायक हेमंत कुमार का घर था। उनके बेटे जयंत मुखर्जी (बाबू) से मौसमी की शादी करा दी गई और वह उसके बाद कम उम्र में मां भी बन गई थी।