1969 में संघ कार्यकर्ता की हत्या की थी मुख्यमंत्री पिनारई विजयन ने। जानिए मामला विस्तार से…
मॉनसून के दौर में गरमाई हुई है केरल की राजनीति। वामी और कांग्रेसी दोनों हुए आमने-सामने। जानिए क्या है वज़ह...
मसालों का बगीचा कहा जाने वाला केरल आज़कल राजनीतिक सरगर्मियों की वज़ह से चर्चा में है। वाम मोर्चे का गढ़ कहें जाने वाले इस राज्य में राजनीतिक हिंसा तो जैसे रच-बस गया हो। वामपंथी यहां पर अपने अस्तित्व को बचाएं रखने के लिए राजनीतिक हत्याएं करने से भी नहीं कतराते। पश्चिम बंगाल और केरल दो ऐसे राज्य हैं, जहां राजनीतिक हिंसा सत्ता की शह पर चलती है। यह कहा जाए तो कतई अतिशयोक्ति नहीं होगी। इसी बीच जो केरल राज्य कभी अपनी संस्कृति और भाषा-वैशिष्ट्य के कारण भारत के दक्षिण में स्थित चार राज्यों में अग्रणी स्थान रखता था। वह आज़कल राजनीतिक रक्तपिपासु राज्य बन गया है। संघ से जुड़े कार्यकर्ताओं की हत्याएं और उनके साथ मारपीट यहां के तो जैसे खून में बस गया हो।
हालिया दौर की बात करें तो वाम मोर्चे की सरकार और कांग्रेस के बीच ही अब राजनीतिक खाई गहराती दिख रही है। जी हां जो कांग्रेस और वाम मोर्चा राज्य में संघ और भाजपा को पनपने देना नहीं चाहती थी। अब वही दोनों दल स्वयं आमने-सामने होते दिख रहे। बता दें कि राज्य के मुख्यमंत्री पिनारई विजयन और प्रदेश कांग्रेस समिति के नवनिर्वाचित अध्यक्ष और सांसद के. सुधाकरन के बीच ज़ुबानी जंग काफ़ी बढ़ गई है, लेकिन इस ज़ुबानी जंग से जो बात निकलकर सामने आ रही। वह मुख्यमंत्री पिनारई विजयन की साख को दांव पर लगा रही है। बता दें कि कन्नूर केरल का एक ऐसा जिला है जहां राजनीतिक हत्या और हिंसा सबसे ज्यादा होती है। अब इसी कन्नूर के पिनारई विजयन पर कन्नूर के ही के. सुधाकरन ने एक बड़ा आरोप लगाते हुए मार्क्सवादी नेता की पृष्ठभूमि का खुलासा किया है। जिसके आधार पर तो आरोप सही पाया जाएं तो मुख्यमंत्री हत्या के दोषी ठहराए जा सकते हैं।
जी हां केरल कांग्रेस के मुखिया के. सुधाकरन ने एक बयान दिया है। जिसे लेकर प्रदेश में राजनीतिक माहौल एक बार फिर गरमाया है। 19 जून को कोच्चि में एक प्रेस वार्ता में सुधाकरन ने कहा कि, ” 1969 में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ कार्यकर्ता ‘वडिक्कल रामकृष्णन’ की हत्या कथित तौर पर पिनारई विजयन ने की थी।” गौरतलब हो कि अपनी बात को साबित करने के लिए सुधाकरन ने एफआईआर की प्रति भी दिखाई। उनका कहना था कि इस मामले में तब दर्ज हुई एफआईआर में पिनारई विजयन का नाम है।
केरल कांग्रेस के अध्यक्ष ने साफ कहा कि कन्नूर में वह पहली राजनीतिक हत्या थी। इधर हाल के दिनों में, सुधाकरन के अनुसार, माकपा कार्यकर्ताओं ने कांग्रेस के 28 से ज्यादा कार्यकर्ताओं की हत्या की है। उनका तो यह भी कहना है कि कम्युनिस्टों ने उनकी हत्या की भी तीन बार कोशिश की है।
केरल के मुख्यमंत्री की ‘आपराधिक पृष्ठभूमि’ के बारे में सुधाकरन ने आगे कहा कि पिनारई विजयन पर उनके खुद के अंगरक्षक बाबू की कथित हत्या का आरोप है। उनके अनुसार पिनारई विजयन की कभी बाबू के साथ खूब छनती थी, लेकिन बाद में रिश्तों में दरार आ गई, उसी का नतीजा निकला उसकी हत्या। आरोपों की एक लंबी फेहरिस्त लगाते हुए, सुधाकरन ने कहा कि बीड़ी बनाने वाले कैंडोथ गोपी की मौत के पीछे भी मुख्यमंत्री कथित जिम्मेदार थे। गोपी ने बयान दिया था, कि वे बीड़ी मजदूरों का कंपनी के प्रबंधन के खिलाफ मोर्चा निकाल रहे थे, तभी पिनारई विजयन के नेतृत्व में हथियारबंद मार्क्सवादियों का एक दल आया और मजदूरों पर टूट पड़ा।
जानकारी के लिए बता दें कि दरअसल ये सारे आरोप के. सुधाकरन ने मार्क्सवादी नेता व मुख्यमंत्री पिनारई विजयन के ऊपर पलटवार करते हुए लगाया। सुधाकरन की यह प्रेस कांफ्रेंस पिनारई विजयन की ठीक एक दिन पहले हुई प्रेस कांफ्रेंस में लगाए गए इस आरोप का जवाब था। जिसमें मुख्यमंत्री पिनारई विजयन कांग्रेस के नए बने प्रदेश अध्यक्ष और उनके दोस्तों पर कभी उनके बच्चों के अपहरण की योजना बनाने का आरोप लगाया था। सुधाकरन ने इस बात पर भी चुटकी ली और कहा कि अगर पिनारई विजयन को पता था कि मैंने उनके बच्चों के अपहरण की योजना बनाई थी तो उन्होंने पुलिस को सूचित क्यों नहीं किया? इतना ही नहीं सुधाकरन ने कहा कि उन्होंने मेरे उस दोस्त का नाम पुलिस को क्यों नहीं बताया जिसने सुधाकरन के उसमें शामिल होने की जानकारी उन्हें दी थी?
वैसे देखें तो दरअसल पिनारई विजयन और सुधाकरन के बीच वाक्य युद्ध कोई नई बात नहीं है। दोनों के बीच ऐसा कई बार हुआ है। असल में दोनों कन्नूर के एक ही कालेज से पढ़े हैं, कन्नूर से ही दोनों ने अपना राजनीतिक करियर शुरू किया था। पिछले विधानसभा चुनावों में कम्युनिस्टों के हाथों केरल में कांग्रेस की दुर्दशा को देखते हुए सुधाकरन को प्रदेश अध्यक्ष बनाकर हालत सुधारने की कवायद है। और अब धुर विरोधी एक-दूसरे से नंबर बढ़ाए रखने की होड़ में लगें हैं।
वही सुधाकरन ने एक फेसबुक पोस्ट के माध्यम से यहां तक कह दिया कि पिनारई एक राजनीतिक अपराधी है और उससे इसी तरह से निपटा जाना चाहिए। सुधाकरन ने यह भी कहा कि मुख्यमंत्री एक तानाशाह हैं और उन्होंने पूर्व मुख्यमंत्री वी.एस. अच्युतानंदन, एम.ए. बेबी और के.के. शैलजा का राजनीतिक जीवन बर्बाद कर दिया।
इसके अलावा कांग्रेस के वरिष्ठ नेता ने कहा कि, ” उन पर राजनीतिक हमला करना और बेनकाब करना जरूरी है, नहीं तो तानाशाही की यह संस्कृति जारी रहेगी। उन्हें राजनीतिक बहस के लिए आने दीजिए, नहीं तो मैं इस जुबानी हमले को जारी रखूंगा।” ऐसे में देखें तो केरल का राजनीतिक ट्रैक रिकॉर्ड वैसे ही ख़राब है और अब दो दल के नेता आमने-सामने है तो इसका भविष्य क्या होगा। यह तो समय ही बताएगा, लेकिन दोनों ही दल दूध से धुले नहीं। यह पब्लिक भी जानती है।