नार्थ कोरिया में 3,300 रुपये प्रति किलो केले और कॉफी का पैकेट 7000 रूपये का, जानें वजह
उत्तर कोरिया के सर्वोच्च नेता किम जोंग उन ने स्वीकार किया है कि उनका देश गंभीर खाद्य संकट से गुजर रहा है. सीएनएन की रिपोर्ट के मुताबिक, हाल ही में एक बैठक में किम ने माना कि देश की स्थिति बहुत खराब है और लगातार हालात बिगड़ते जा रहे हैं. देश के हालात यहां तक पहुंच गए हैं कि रोजमर्रा की जरूरत के सामानों की कीमतें भी आसमान छू रही हैं. उत्तर कोरिया के आम लोगों के लिए एक-एक दिन की दाल-रोटी का जुगाड़ करना भी मुश्किल होता जा रहा है. वहीं अनाज की कमी की वजह से उत्तर कोरिया में भुखमरी के हालात भी पनपने लगे है.
यहाँ खाने-पीने की चीजें आम लोगों के पहुंच से बाहर हो गई है. किम ने कहा, “लोगों की खाद्य स्थिति अब तनावपूर्ण हो रही है क्योंकि कृषि क्षेत्र पिछले साल आंधी से हुए नुकसान के कारण अनाज उत्पादन योजना को पूरा करने में विफल रहा है” रिपोर्टों के अनुसार, देश की राजधानी प्योंगयांग में आवश्यक खाद्य पदार्थों की कीमतें आसमान छू रही हैं, एक किलो केले 45 डॉलर (लगभग 3,335 रुपये), काली चाय का एक पैकेट 70 डॉलर (लगभग 5,190 रुपये) और कॉफी का एक पैकेट 100 डॉलर ( 7,414 रुपये) भाव से मिल रहा है.
इसके साथ ही बैठक में किम ने पार्टी के कार्यकर्ताओं से भोजन की कमी को दूर करने के लिए काम करने को कहा है. हालाँकि, यह स्पष्ट नहीं है कि उत्तर कोरिया इस मुद्दे से जल्द से जल्द किस तरह बाहर आ सकता है. क्योंकि देश की सीमाएँ COVID-19 प्रतिबंधों के कारण बंद हैं. वहीं संयुक्त राष्ट्र के खाद्य और कृषि संगठन की हालिया रिपोर्ट के अनुसार, उत्तर कोरिया के पास 8,60,000 टन भोजन की कमी है. इसे इस तरह समझ सकते हैं कि देश में दो महीने की आपूर्ति के बराबर ही अनाज बचा है.
देश के इन चिंताजनक हालात के बावजूद किम ने कहा है कि सीमाएं बंद रहेगी और महामारी के खिलाफ लागू नियम पहले की तरह ही बरकरार रहेंगे. आपको बता दें कि उत्तर कोरिया ने कोरोना महामारी को रोकने के लिए अपनी सीमाएं बंद कर दी हैं. जबकि उत्तर कोरिया कई वस्तुओं जनता का पेट भरने के लिए आयात और चीन पर निर्भर है, जिसका वह उत्पादन नहीं कर सकता, जिसमें भोजन और ईंधन शामिल हैं.
आपको बता दें कि परमाणु कार्यक्रमों की वजह से उत्तर कोरिया पर कई अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंध लगे हुए हैं. इस साल अप्रैल में किम ने आने वाले संकट को स्वीकार करते हुए अधिकारियों को ‘आरडूअस मार्च’ के लिए तैयार रहने के लिए चेताया था. ‘आरडूअस मार्च’ का इस्तेमाल उत्तर कोरिया में 1994 से 1998 के बीच हुए खाद्य संकट के लिए किया गया था. बढ़ती महंगाई के बीच कोरिया ने चावल और ईंधन के दाम स्थिर रखने की कोशिश की है. मगर चीनी, आटा और सोयाबीन तेल जैसी वस्तुएं बहुत महंगी होती जा रही हैं. इन चीजों के लिए उत्तर कोरिया को आयात पर निर्भर रहना पड़ता है. किम जोंग उन ने यह खुलासा नहीं किया है कि अभी देश में कितने अनाज की कमी है. दो महीने बाद उत्तर कोरिया के पास खाने का सबसे बड़ा संकट देखने को मिल सकता है.