किसान आंदोलन का स्याह सच। मर्डर, वेश्यावृत्ति और रेप…
किसान आंदोलन का काला सच सभी के सामने क्या अभी भी देश रहेगा किसान आंदोलन के पक्ष में?
किसान आंदोलन एक बार फिर से सवालों के घेरे में आ गया है। जब से यह आंदोलन शुरू हुआ है उसके बाद से ही यह विवादों में बना हुआ है। जिस उद्देश्य को लेकर यह आंदोलन शुरू हुआ था। अब यह आंदोलन उससे कोसों दूर जा चुका है। इस आंदोलन की आड़ में पीछे कुछ शरारती तत्व आएं दिन किसी न किसी असामाजिक कार्यों में संलिप्त पाएं जाते है। पहले इस आंदोलन का नाता लड़की के साथ रेप से जुड़ा। अब मामला इससे आगे बढ़ चुका है।
ताज़ा ख़बर किसान आंदोलन से जुडी हुई है। बहादुरगढ़ में किसान आंदोलन में शामिल लोगों ने एक व्यक्ति को जिंदा जला दिया है। बता दें कि मृतक की पहचान कसार गांव निवासी मुकेश के रुप में हुई है। आरोप है कि मुकेश ने किसान आंदोलन में समर्थन देने से मना कर दिया था, जिसकी वजह से किसान आंदोलन में शामिल चार लोगों ने शख़्स को पेट्रोल डालकर जिन्दा जला दिया। बता दें कि जिसके बाद ग्रामीणों ने रोष स्वरूप नागरिक अस्पताल के बाहर शव रखकर शहर में दिल्ली-रोहतक रोड पर जाम लगा दिया। उन्होंने आरोपियों को तुरंत गिरफ्तार कर कड़ी सजा दिलाने, मृतक की पत्नी को सरकारी नौकरी देने, एकमात्र पुत्र की पढ़ाई का इंतजाम करवाने और पीड़ित परिवार को मुआवजा देने की मांग की। साथ ही कहा कि गांव के पास से आंदोलनकारियों को स्थानांतरित किया जाए।
वही सोशल मीडिया इंस्टाग्राम पर एक अकाउंट है दी डेलीस्वीच इंस्टा (the dailyswitch_insta)। इस पर किसान आंदोलन में महिलाओं के साथ हुई कई घटनाओं का सिलसिलेवार विवरण दिया गया है। इस अकॉउंट के माध्यम से बताया गया है कि आंदोलन स्थल पर महिलाओं के साथ क्या हो रहा है और वह वहां सुरक्षित नहीं हैं। ऐसे में किसान आंदोलन स्थल से वेश्यावृत्ति, रेप और अब एक व्यक्ति को जिन्दा जला देने की वजह से कई सवाल खड़े हो रहें है?
फर्जी किसान आंदोलन में शामिल होने से मना कर दिया,
तो 4 लोगो ने पेट्रोल डाल कर मुकेश को ज़िंदा जला दिया !!#JusticeForMukesh@beingarun28 pic.twitter.com/D98Hz22V5A— Avinash kumar Thakur (@Avinash90164357) June 19, 2021
इतना ही नहीं बता दें कि कुछ दिन पहले किसानों ने हरियाणा राज्य के सीएम मनोहर लाल खट्टर के काफिले पर हिसार में हमला भी किया था। कुल- मिलाकर देखें तो अब किसान आंदोलन के नाम पर चल रहें गंदे खेल का पर्दाफ़ाश हो रहा है। ऐसे में अब वक्त की नज़ाकत तो यही कह रही कि किसान आंदोलन को कैसे भी करके केंद्र सरकार रोके, क्योंकि किसान आंदोलन की आड़ में कहीं न कहीं संविधान और क़ानून सभी को ठेंगा दिखाया जा रहा है और सबसे दुःखद बात यह है कि इस मामले में विपक्ष चुप्पी साधे हुए है। जो विपक्ष किसान आंदोलन का प्रबल समर्थक इस बात को लेकर बना हुआ है, कि इससे उसे राजनीतिक लाभ मिल सकता है। फिर यह समझ नहीं आता कि वह किसान आंदोलन के गलत कामों में चुप कैसे रह सकता है। ऐसे में सवाल यही कहीं विपक्ष का यह मौन होना अनैतिक कार्यों का समर्थन तो नहीं।
इंस्टाग्राम अकाउंट दी डेलीस्वीच-इंस्टा पर किया गया पोस्ट…
सोशल मीडिया इंस्टाग्राम पर एक अकाउंट है दी डेलीस्वीच इंस्टा (the dailyswitch_insta)। इस पर किसान आंदोलन में महिलाओं के साथ हुई कई घटनाओं का सिलसिलेवार विवरण दिया गया है। यह बताया गया है कि आंदोलन स्थल पर महिलाओं के साथ क्या हो रहा है और वह वहां सुरक्षित नहीं हैं।
बता दें कि दी डेलीस्वीच-इंस्टा एकाउंट के मुताबिक जनवरी में इंडिया टुडे की प्रीति चैधरी ने बताया कि महिला रिपोर्टर्स के साथ किस कदर बदतमीजी की गई। वहां किसान आंदोलन में महिला रिपोर्टर सेक्सुअली हैरेस हुईं। इतना ही नहीं टिकरी बार्डर पर 26 साल की एक आर्टिस्ट का गैंगरेप किया गया। छह लोगों के खिलाफ केस दर्ज किया गया। महिला पश्चिम बंगाल की थी। बंगाल में एक पब्लिक मीटिंग के दौरान लोगों से उसकी मुलाकात हुई थी। इस मामले में संयुक्त किसान मोर्चा को महिला आयोग ने नोटिस भी भेजी थी। हरियाणा पुलिस ने छह लोगों के खिलाफ केस दर्ज किया था। जिसके बाद गैंगरेप के कुछ ही दिन बाद महिला कोविड संक्रमण की शिकार हुई और उसकी मौत हो गई। इतना ही दी डेलीस्वीच-इंस्टा एकाउंट की माने तो पुलिस ने टिकरी बार्डर के पास एक टेंट में वेश्यावृत्ति करने वाले गिरोह को भी पकड़ा था।
पता चला है कि टिकरी बॉर्डर पर कुछ लोग शराब पी रहे थे उसमें से एक किसान ने आत्महत्या की। कुछ लोगों ने कहा कि उसे जलाया गया है। यह जांच का विषय है। इसकी पूरी जांच होनी चाहिए। यह बहुत दुखद घटना है: किसान नेता राकेश टिकैत, टिकरी बॉर्डर पर एक किसान की मृत्यु पर pic.twitter.com/k3AU1AzvOS
— ANI_HindiNews (@AHindinews) June 17, 2021
बात हर तरीक़े से स्पष्ट है कि किसान आंदोलन का स्याह पक्ष काफ़ी घिनौना और सभ्य समाज के खिलाफ है। जिसके पीछे शह जिसकी भी हो, लेकिन एक लोकतान्त्रिक देश में यह जायज नहीं। किसान जब तक आंदोलन कर रहें थे। तब तक ठीक था, लेकिन अब किसान आंदोलन के टेंट के भीतर से घिनौना चेहरा निकलरकर आ रहा। जो उचित नहीं। पेट्रोल डालकर किसान आंदोलन में व्यक्ति के जलाएं जाने के पीछे एक तथ्य यह भी निकलकर आ रहा कि उसे किसान आंदोलन के बलिदान के रूप में प्रचारित करना था।ऐसे में हम और आप सभी सोच सकते है कि इन आंदोलनकारियों की नीयत कितनी औछी है। फिर ये देश के बारें में अच्छा कैसे सोच सकते। यह देश को समझना चाहिए!