पांच ऐसे द्वीप जो 21 वीं सदी तक हो सकते हैं गायब, जानिए क्या है इसके पीछे की वज़ह …
इन द्वीपों पर मंडरा रहा है डूबने का ख़तरा, जानिए कबतक डूब जाने की वैज्ञानिक कर रहें भविष्यवाणी...
भारत के दक्षिण में हिंद महासागर में छोटे-से देश मालदीव के क़रीब 1100 द्वीप कुदरत के किसी नज़राने से कम नहीं हैं। करोड़ों साल से मूंगे के इकट्ठा होते जाने से बने ये द्वीप हल्के नीले रंग के नज़र आते हैं और सफ़ेद रेत वाले इनके किनारे समंदर में घुलते हुए लगते हैं। मालद्वीप के टापुओं की ख़ासियत है कि ये बेहद साफ़ हैं और इनके किनारे सफ़ेद महीन बालू रेत से बने हैं।
जहां ज़मीन समंदर में उतरती है वहां पानी रंगहीन नज़र आता है। थोड़ा आगे जाने पर हरा, थोड़ी ज़्यादा दूरी पर हल्का नीला, और बीच समंदर में गहरा नीला। समंदर की गहराई बढऩे के साथ पानी का रंग भी बदलता नज़र आता है। जिसे देखने के लिए पर्यटक लालायित रहते हैं। आएं दिन इस द्वीप को देखने और घूमने काफ़ी संख्या में लोग पहुँचते है। इन द्वीपों पर घूमना हर किसी को पसंद आता है, लेकिन अब इन द्वीपों के लिए एक बुरी ख़बर निकलकर आ रही है। जी हां ग्लोबल वार्मिंग के कारण धरती के भीतर लगातार हलचल बढ़ते ही जा रही है। यह तो हम सभी को पता है। जिसकी वज़ह से दुनियाभर में भारी वर्षा, बाढ़, सूखा, तूफान, चक्रवात जैसी आपात की स्थिति बढ़ती ही जा रही हैं।
वहीं अब विशेषज्ञों द्वारा ये भी चेताया जा रहा है कि इससे ध्रुवों पर जमी बर्फ पिघलेगी और समुद्र का पानी बढ़ता जाएगा। इसका नतीजा ये होगा कि समुद्र में बने द्वीपों समेत समुद्र किनारे बसे शहर भी पानी में डूब जाएंगे। काफी समय पहले अमेरिकी वैज्ञानिक ‘बेनो गुटेनबर्ग’ द्वारा की गई स्टडी में ये बात सामने आई थी कि समुद्र का पानी काफी तेजी से बढ़ रहा है। इसके लिए गुटेनबर्ग ने बीते 100 सालों के डाटा का अध्य्यन किया था। ध्रुवीय बर्फ के पिघलने से समुद्र का पानी लगातार बढ़ता जा रहा है। नब्बे के दशक में नासा ने भी इसकी पुष्टि कर दी थी।
ऐसे में अब समुद्र में बढ़ते जलस्तर से सबसे ज्यादा खतरा खूबसूरत द्वीपों के डूबने को लेकर है। ऐसे कई द्वीप हैं, जो अगले 6 दशक से भी कम समय में पानी में समा जाएंगे। तो आइए जानते हैं इन द्वीपों के बारे में कि आख़िर किस किस द्वीप पर डूब जाने का मंडरा रहा है खतरा…
सोलोमन द्वीप…
बता दें कि दक्षिणी प्रशांत महासागर में लगभग 1000 द्वीपों से मिलकर बना ये समूह काफी तेजी से पानी में डूब रहा है। रीडर्स डायजेस्ट की एक रिपोर्ट के मुताबिक, साल 1993 से, यानी जब से इसपर नजर रखने की शुरुआत हुई, इस द्वीप समूह के आसपास का पानी हर साल 8 मिलीमीटर ऊपर आ रहा है। इतना ही नहीं इस द्वीप समूह के 5 द्वीप डूब भी चुके हैं। ऐसे में यह आशंका जताई जा रही कि यह द्वीप 21 वीं सदी तक डूब जाएगा।
मालद्वीप…
भारत मे सैलानियों के लिए स्वर्ग कहलाने वाले इस द्वीप के बारे में लगभग सभी एशियाई जानते होंगे। इस द्वीप को हिंद महासागर की शान भी कहते हैं। यहां घूमने आने वाले पर्यटकों के लिए शानदार रिजॉर्ट और यहां तक कि पानी के भीतर होटल भी बने हुए हैं। लेकिन वर्ल्ड बैंक समेत कई संस्थाओं को इस बात का डर सता रहा है कि जिस हिसाब से आसपास के समुद्रों का पानी बढ़ रहा है, साल 2100 तक ये द्वीप देश पानी में समा सकता है।
बता दें कि मालदीव में 1192 छोटे-छोटे कोरल द्वीप हैं। इन द्वीपों के 26 द्वीपसमूह हैं। कुल दो सौ ही द्वीपों पर स्थानीय आबादी रहती है। वहीं कुल 12 द्वीपसमूहों पर 89 रिसॉर्ट सैलानियों के लिए हैं। मालदीव इस ख़ूबसूरती के साथ समुद्र पर बसा हुआ है कि अगर आप राजधानी माले में न हों तो वहां आपको हर पल समुद्र पर ही होने का अहसास मिलेगा। इस द्वीप से जुड़ी एक ख़ास बात यह है कि इसे 2006 में ‘वर्ल्ड ट्रैवल अवार्ड्स’ में दुनिया की ‘बेस्ट डाइव डेस्टिनेशन’ के ख़िताब से नवाजा गया था।
पलाऊ द्वीप…
प्रशांत महासागर में स्थित द्वीपीय देश पलाऊ भी जलमग्न होने के कगार पर है। साल 1993 से यहां के समुद्र का पानी हर साल लगभग 0.35 इंच बढ़ रहा है। अगर गर्मी इसी रफ्तार से बढ़ती रहेगी, तो आने वाले समय में जलस्तर सलाना 24 मीटर की गति से ऊपर आने लगेगा। विशेषज्ञों के एक अनुमान के मुताबिक, ये हाल 2090 तक हो सकता है। इसके बाद पलाऊ द्वीप को बचाना काफी मुश्किल हो जाएगा।
माइक्रोनेशिया द्वीप…
प्रशांत महासागर में स्थित माइक्रोनेशिया भी एक द्वीपीय देश है। हवाई से लगभग 2500 मील की दूरी बस बसा ये द्वीप समूह 607 द्वीपों से मिलकर बना है। आपको बता दें कि इसका केवल 270 वर्ग मील हिस्सा ही जमीन का है, जिसमें पहाड़ और बीच भी शामिल हैं। माइक्रोनेशिया के भी कई द्वीप समुद्र के जलस्तर बढ़ने की वजह से डूब चुके हैं, जबकि कई द्वीपों का आकार लगातार छोटा होते जा रहा है।
फिजी…
दक्षिण प्रशांत महासागर में स्थित ये खूबसूरत द्वीप भी ग्लोबल वार्मिंग के कारण खतरे में है। यूनाइटेड नेशन्स फ्रेमवर्क कन्वेंशन ऑन क्लाइमेट चेंज के मुताबिक, ध्रुवीय बर्फ पिघलते हुए इसे भी अगले कुछ दशकों में समुद्र के भीतर ले जाएगी।