पिता को खोने के बावजूद नहीं खोई हिम्मत, होनहार बेटे ने IAS बनकर पिता का सपना किया सच
इस संसार में हर व्यक्ति का कोई ना कोई सपना जरूर होता है, जिसको साकार करने के लिए वह दिन-रात मेहनत करता है। ऐसा बताया जाता है कि अगर जीवन में कामयाब होना है तो हर उतार-चढ़ाव का डटकर सामना करना पड़ेगा। कामयाब तो हर इंसान होना चाहता है परंतु सिर्फ सोचने मात्र से कामयाबी नहीं मिलती है। इसके लिए जीवन में कठिन संघर्ष करना पड़ता है। कामयाबी के मार्ग में बहुत सी कठिनाइयां उत्पन्न होती हैं।
ज्यादातर लोग लक्ष्य के मार्ग में आने वाली कठिनाइयों के आगे अपने घुटने टेक देते हैं। वहीं कुछ लोग ऐसे भी होते हैं जो इन कठिनाइयों को पार करते हुए अपना लक्ष्य हासिल करते हैं। आज हम आपको इस लेख के माध्यम से एक युवा आईएएस हिमांशु नागपाल (IAS Himanshu Nagpal) की कहानी बताने वाले हैं, जिन्होंने महज 22 साल की आयु में यूपीएससी (UPSC) की परीक्षा पास की। हिमांशु नागपाल की कहानी मुश्किलों से जूझते नौजवानों के लिए एक प्रेरणा है।
आपको बता दें कि हिमांशु नागपाल का जन्म हरियाणा के हिसार जिले में एक छोटे से गांव भुना में हुआ था। हिमांशु में अपनी शुरुआती शिक्षा गांव के ही हिंदी मीडियम स्कूल से ग्रहण की थी। यह बचपन से ही पढ़ाई लिखाई में बहुत होशियार थे परंतु किसी वजह से वह पांचवी के बाद आगे की शिक्षा के लिए हांसी चले गए और वहां पर उन्होंने 12वीं तक की शिक्षा ग्रहण की थी। आपको बता दें कि हिमांशु में 12वीं की परीक्षा में टॉप किया था। उनका अपने पिताजी के साथ खास लगाव था और हमेशा पिताजी हिमांशु को प्रोत्साहित करते रहते थे और उनका हौसला बढ़ाया करते थे।
जैसे हर पिता का एक सपना होता है कि उसका बच्चा पढ़-लिखकर कोई बड़ा अफसर बने, ठीक उसी प्रकार से हिमांशु की पढ़ाई को देखकर उनके पिताजी चाहते थे कि उनका बेटा आईएएस अफसर बनकर देश की सेवा करे और पिताजी को पूर्ण विश्वास भी था कि उनका बेटा उनका यह सपना जरूर साकार करेगा। जब हिमांशु ने 12वीं की परीक्षा पास करी तो उसके बाद पिताजी ने अपने बेटे को दिल्ली जाने की सलाह दी थी। दिल्ली के विश्वविद्यालय के हंसराज कॉलेज में कॉमर्स विषय से स्नातक में एडमिशन लेकर हिमांशु अपने पिताजी के दिखाए गए मार्ग पर चलने लगे।
हिमांशु नागपाल और उनके पिताजी की आपस में बेहद अच्छी बॉन्डिंग थी। हिमांशु के पिता जी उनके एक अच्छे दोस्त और सलाहकार भी थे परंतु इसी बीच हिमांशु के जीवन में एक दुखद घटना हो गई। उनके पिताजी का निधन हो गया, जिसके चलते हिमांशु को काफी गहरा सदमा लगा। हिमांशु नागपाल ने बातचीत के दौरान यह बताया था कि जब उनका 12वीं का बोर्ड का परिणाम घोषित हुआ तो रिजल्ट देखने के बाद पापा की आंखों में एक अलग ही चमक देखने को मिली थी। वह समय उन्हें गर्व महसूस हो रहा था।
हिमांशु भावुक होते हुए आगे बताते हैं कि जब उन्होंने हंसराज कॉलेज में एडमिशन लिया तो पापा पहली बार उन्हें दिल्ली छोड़ने साथ में आए थे और कॉलेज भी गए। उन्होंने आगे बताया कि उनके पिताजी और वह कॉलेज के कैंपस में बैठे थे, तभी उनके पिताजी ने वहां पर लगे बोर्ड को देखा और उन्होंने कहा था कि मैं इस बोर्ड पर तुम्हारा नाम देखना चाहता हूं। उसके बाद हिमांशु के पिताजी दिल्ली वापस आ गए। दिल्ली आने के कुछ दिनों के बाद ही उनकी आकस्मिक मृत्यु हो गई थी, जिसकी खबर सुनकर हिमांशु सदमे में आ गए थे।
अचानक से ही पिताजी की मृत्यु के बाद हिमांशु पूरी तरह से टूट गए थे परंतु इस कठिन परिस्थिति में भी हिमांशु ने हिम्मत नहीं हारी और किसी न किसी तरह खुद को संभाल लिया। पिताजी की मृत्यु के सदमे से बाहर निकलने में उन्हें काफी दिन लग गए थे। किसी तरह वह सदमे से बाहर आए तो उन्होंने यह तय कर लिया था कि वह अपने पिताजी के अधूरे सपने को पूरा करेंगे। इसमें उनकी माताजी और चाचा ने उनका हौसला बढ़ाया था। हिमांशु दिल्ली आकर अपने पापा के सपने को पूरा करने की तैयारी में जुट गए।
हिमांशु नागपाल ने अपने जीवन में कई परेशानियों का सामना करा और कठिन संघर्ष करते हुए आईएएस की तैयारी में जी जान से लगे रहे। आखिर में उनकी मेहनत का फल उनको प्राप्त हुआ। उन्होंने पहले ही प्रयास में आईएएस की परीक्षा में सफलता हासिल कर ली। इस तरह होनहार बेटे ने अपने पिताजी के सपने को सच कर दिखाया।