जानें कब है धूमावती जयंती, इसका महत्व और पूजा का मुहूर्त, सर्पदोष, गरीबी से देती है मुक्ति
भारत एक आस्तिक देश है. हमारे यहाँ पुराणों में लिखे गए हर छोटे से छोटे त्यौहार का महत्व होता है. इसके साथ ही उस दिन का भी महत्व होता है जो भगवान से जुड़ा हो या उस दिन का किसी पौराणिक कथाओं में उल्लेख हो. आज हम धूमावती जयंती के बारे में संक्षेप में बताने जा रह है. ज्ञात हो कि माता पार्वती के उग्र रूप को ही मां धूमावती के नाम से जाना जाता है. इनके अवतरण तिथि के दिन ही धूमावती जयंती मनाई जाती है.
हिन्दी पंचांग के मुताबिक देखा जाये तो इनका जन्म ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि के दिन हुआ था. इस वर्ष यह तिथि 18 जून को आने वाली है. शास्त्रों के मुताबिक इस दिन 10 महाविद्या का पूजन किया जाता है. आपको बता दें कि इनकी सवारी कौवा है ये श्वेत वस्त्र धारण करती हैं तथा अपने केश भी खुले ही रखती हैं. धार्मिक कथाओं के अनुसार इनके दर्शन मात्र से अभीष्ट फल की प्राप्ति होती है. कथाओं की माने तो इनका अवतरण पापियों को दंड देने के लिए ही हुआ था. माता धूमावती की पूजा सच्चे मन से करने से विपत्तियों से मुक्ति, रोग का नाश और युद्ध में विजय प्राप्त आदि होती है.
शास्त्रों की माने तो भगवान शिव द्वारा प्रकट की गई दस महाविद्याओं में सातवें नंबर पर पुरुषशून्या ‘विधवा’ आदि नामों से जानी जाने वाली माँ ‘धूमावती’ का नाम है. दरिद्रता, भूकंप, विधवा, भिक्षाटन, प्यास रुदन, सूखा, बाढ़, वैधव्य, पुत्रसंताप, कलह आदि इनकी साक्षात प्रतिमाएं हैं, डरावनी सूरत, रुक्षता, अपंग शरीर जिनके दंड का फल है इन सबों की मूल प्रकृति में ‘धूमावती’ ही मानी जाती हैं.
अगर आप अपन जीवन में किसी बड़े संकट से गुजर रहे है तो उसे दूर करने के लिए धूमावती जयंती के दिन इन विशिष्ट वस्तुओं से हवन करें. इसके साथ ही अगर आपके ऊपर बहुत सा कर्ज है तो उससे मुक्ति पाने के लिए आपको नीम की पत्तियों सहित घी से हवन करना चाहिए. इसके अलावा आप किसी पुराने रोग से जूझ रहे है या फिर आपको किसी बड़े संकट से छुटकारा पाना है तो मीठी रोटी व घी से हवन करें. इन दोषों के साथ में अगर आप काल सर्प दोष और क्रूर ग्रह के दोष से भी पीड़ित है तो इससे मुक्ति के लिए जटामांसी और कालीमिर्च से हवन करें आपको फायदा होगा. अगर आपका कोई परिजन जेल में फंसा है तो उसे मुक्ति दिलाने के लिए काली मिर्च से हवन करें. अगर आपको अपना भाग्य चमकाना है तो रक्तचंदन घिस कर शहद में मिलाएं और इसमें जौ मिलाकर हवन करें.
धूमावती जयंती और पूजा विधि
त्रिवर्णा, विरलदंता, चंचला, विधवा, मुक्तकेशी, शूर्पहस्ता, कलहप्रिया, काकध्वजिनी आदि माता के कई और भी नाम होंगे. माँ की कृपा से प्राणी धर्म, अर्थ काम और मोक्ष चारों पुरुषार्थ प्राप्त कर लेता है. गृहस्थ पुरषों को मां का यह मंत्र ‘ॐ धूं धूं धूमावती स्वाहा’ रुद्राक्ष की माला से जपते हुए मां के सौम्यरूप की पूजा करनी चाहिए.
धूमावती मंत्र
ॐ धूं धूं धूमावत्यै फट्, ॐ धूमावत्यै विद्महे संहारिण्यै धीमहि तन्नो धूमा प्रचोदयात, धूम्रा मतिव सतिव पूर्णात सा सायुग्मे, सौभाग्यदात्री सदैव , रुणामयि:, धूं धूं धूमावती ठ: ठ: .