ऐसा क्या हुआ था जो देश की प्रधानमंत्री इंदिरा ने सोनिया गांधी से कहा घबराओ मत मैं भी जवान थी
भारत में गाँधी परिवार अपनी पुश्तैनी राजनीति के लिए जाना जाता है. पंडित जवाहरलाल नेहरू से शुरू हुई राजनीति इंदिरा गांधी, राजीव गांधी, सोनिया गांधी अब राहुल गांधी तक आ पहुंची है. इस परिवार ने कांग्रेस पार्टी से लेकर बखूबी देश को भी संभाला है. इस परिवार ने भारत जैसे सबसे बड़े लोकतान्त्रिक देश को तीन प्रधानमंत्री दिए है. पहले पंडित जवाहरलाल नेहरू, दूसरी उनकी बेटी इंदिरा गांधी और तीसरे राजीव गांधी. पंडित नेहरू की बेटी इंदिरा ने फ़िरोज़ खान से विवाह किया था. इंदिरा के बेटे राजीव गांधी ने सोनिया गांधी से लव मैरिज की थी.
भारत के पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय राजीव गांधी जब कैंब्रिज यूनिवर्सिटी में पढ़ाई कर रहे थे उसी दौरान उनकी मुलाकात सोनिया गांधी से हुई थी. पहली मुलाकात के बाद इनकी दोस्ती हो गई. दोस्ती धीरे-धीरे प्यार में बदलते गई. इसके बाद 25 फरवरी 1968 को राजीव गांधी – सोनिया गांधी के साथ शादी के पवित्र बंधन में बंध गए . एक बार एक इंटरव्यू के दौरान सोनिया गांधी ने अपनी सास इंदिरा गांधी से अपने रिश्तों के रिलेशन और बॉन्डिंग के बारे में बताया था. इंदिरा गांधी को राजीव गांधी और सोनिया के अफेयर के बारे में वर्ष 1965 के दौरान पहली बार पता चला था.
इसके बाद होने वाली सास और भारत की पीएम इंदिरा गांधी ने सोनिया गांधी को मिलने के लिए बुलाए. उनसे मिलने से पहले सोनिया गांधी काफी नर्वस थी. सोनिया ने अपने इंटरव्यू में यह भी बताया कि, जब मैं उनसे मिली तो वह प्रधानमंत्री नहीं थी फिर भी मैं नर्वस और बहुत घबराई हुई थी. उस दौरान मुझे सही से इंग्लिश भी नहीं आती थी और वह मुझे से फ्रेंच भाषा में बातें करनी लगी. इस मुलाकात के दौरान सोनिया गांधी काफी नर्वस थी लेकिन उन्हें इंदिरा ने कहा कि घबराओ मत मैं भी जवान थी और मुझे भी प्यार हुआ था, इसलिए मैं इस बात को समझ सकती हूँ.
सोनिया गांधी ने इसके साथ यह भी बताया था कि, इंदिरा गांधी जैसी दिखती थी वह वैसी थी नहीं. सोनिया ने कहा था कि इंदिरा गांधी मेरे खाने से लेकर सभी चीजों का ध्यान रखती है. वह मेरा ख्याल मेरी माँ की तरह रखती थी. हर चीज के लिए मुझसे पूछती थी. उनकी वजह से मुझे कभी महसूस नहीं हुआ कि मैं बाहर देश से आई हूँ.
इंदिरा गांधी का असली नाम प्रियदर्शिनी था. वह 19 नवंबर 1917-31 अक्टूबर 1984 तक भारत गणराज्य की प्रधानमन्त्री रहीं. वे भारत की प्रथम और अब तक एकमात्र महिला प्रधानमंत्री रहीं. वे वर्ष 1959 से 1960 तक भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की अध्यक्ष रहीं. जनवरी 1978 में उन्होंने फिर से यह पद ग्रहण किया. उन्हें 1972 में भारत रत्न पुरस्कार, 1972 में बांग्लादेश की स्वतंत्रता के लिए मैक्सिकन अकादमी पुरस्कार, 1973 में एफएओ का दूसरा वार्षिक पदक और 1976 में नागरी प्रचारिणी सभा द्वारा साहित्य वाचस्पति (हिन्दी) पुरस्कार के अलावा और भी कई पुरुस्कारों से सम्मानित किया गया.
कांग्रेस ने 1977 के आम चुनाव में पहली बार हार का सामना किया था. 1980 में सत्ता में लौटने के बाद इंदिरा अधिकतर पंजाब के अलगाववादियों के साथ बढ़ते हुए द्वंद्व में उलझी रहीं. जिसकी वजह से सन् 1984 में अपने ही अंगरक्षकों द्वारा उनकी राजनैतिक हत्या कर दी गई थी.