एक बड़ी ही खूबसूरत शायरी है कि, “वाक़िफ़ कहाँ ज़माना हमारी उड़ान से। वो और थे जो हार गए आसमान से। जी हां यह शायरी अयांश के माता-पिता पर सटीक बैठती है। अयांश जो कि दुर्लभ बीमारी से पीड़ित था और इतने पैसे भी माता-पिता के पास नहीं जो अयांश के ईलाज पर उसके माता-पिता ख़र्च कर सकें, लेकिन अयांश के माता-पिता ने न ही हिम्मत हारी और न ही अपने हौसलें को कमज़ोर होने दिया। जिसकी बदौलत अयांश को 16 करोड़ रुपए का इंजेक्शन लग पाया।
16 करोड़ कितनी बड़ी रक़म होती है। यह हम सबको पता है, लेकिन फ़िर भी अयांश के माता-पिता ने यह रक़म क्राउड-फंडिंग के माध्यम से जुटाई और बच्चे को इंजेक्शन लगवाया। बता दें कि हैदराबाद का रहने वाला अयांश गुप्ता जिसकी उम्र महज़ तीन वर्ष है। वह एक दुर्लभ बीमारी स्पाइनल मस्कुलर एट्रोफी (एसएमए) से पीड़ित हैं। उन्हें दुनिया की सबसे महंगी दवा ज़ोलगेन्स्मा (Zolgensma) दे दी गई है। उसके लिए उनके माता-पिता ने क्राउड-फंडिंग के माध्यम से 16 करोड़ रुपये जुटाए। योगेश गुप्ता और रूपल गुप्ता के बेटे अयांश को 9 जून को सिकंदराबाद के रेनबो चिल्ड्रेन हॉस्पिटल में कंसल्टेंट पीडियाट्रिक न्यूरोलॉजिस्ट डॉ रमेश कोन्नकी की देखरेख में यह दवा दी गई।
मालूम हो कि ज़ोलगेन्स्मा (Zolgensma) दुनिया की सबसे महंगी दवा है, जो फिलहाल भारत में उपलब्ध नहीं है। इसे 16 करोड़ रुपये की लागत से अमेरिका से आयात किया गया। वही अगर अयांश को हुई बीमारी की बात करें। तो स्पाइनल मस्कुलर एट्रोफी एक न्यूरोमस्कुलर रोग है, जो एसएमएन-1 जीन को नुकसान पहुंचाता है।
इससे पीड़ित बच्चों की मांसपेशिया कमजोर हो जाती है। आगे चलकर उन्हें सांस लेने में कठिनाई और कुछ भी निगलने में कठिनाई होती है। एसएमए आमतौर पर 10 हजार बच्चों में से एक को प्रभावित करता है। वर्तमान में भारत में एसएमए से पीड़ित लगभग 800 बच्चे हैं। अधिकांश बच्चे जन्म के दो साल के भीतर ही मर जाते हैं, लेकिन अयांश उन 800 बच्चों में अकेला ऐसा क़िस्मत वाला बच्चा है। जिसके माता-पिता ने उसे मौत के मुंह से बाहर निकालने में सफ़लता प्राप्त की है।
वहीं बता दें कि ज़ोलगेन्स्मा (Zolgensma) सिंगल-सिंगल डोज इंट्रावेनस इंजेक्शन जीन थेरेपी है। इसमें नष्ट हो चुके एसएमएन-1 को एडेनो वायरल वेक्टर के माध्यम से बदल दिया जाता है। इससे पहले, दो बच्चों को अगस्त 2020 और अप्रैल 2021 में सिकंदराबाद के रेनबो चिल्ड्रेन हॉस्पिटल में ही यह दवा दी जा चुकी है। उन दोनों बच्चों को नोवार्टिस द्वारा अनुकंपा के आधार पर दवा मुफ्त में प्रदान की गई थी।
डॉ. रमेश कोन्नेकी ने इस दुर्लभ बीमारी को लेकर कहा कि, “वर्तमान में, एसएमए से पीड़ित बच्चों के लिए तीन सिद्ध उपचार हैं। उन्हें ज़ोलगेन्स्मा, स्पिनराज़ा, और रिस्डिप्लम में से कोई भी दवा दी जाती है। दुर्भाग्य से इनमें से कोई भी दवा वर्तमान में भारत में उपलब्ध नहीं है और सभी बेहद महंगी हैं। स्पिनराज़ा और रिस्डिप्लम को जीवनभर लेने की जरूरत पड़ती है। जिसकी कीमत लगभग 40-70 लाख रुपए प्रति वर्ष पड़ती है। इलाज महंगा होने के कारण एसएमए से प्रभावित सैंकड़ों बच्चों का उपचार नहीं हो पाता।”
वहीं जीवनरक्षक इंजेक्शन अयांश को दिए जाने के बाद उसके माता-पिता काफी खुश हैं। अयांश के पिता योगेश गुप्ता ने कहा कि, “हम रेनबो चिल्ड्रन हॉस्पिटल की टीम के आभारी हैं, जिसने अयांश की अच्छी देखभाल की। सभी दानदाताओं और इम्पैक्ट गुरु के भी आभारी हैं, जिन्होंने अयांश को दुनिया की सबसे महंगी दवा दिलाकर जीवन का उपहार दिया है। कृपया अयांश के शीघ्र स्वस्थ होने के लिए प्रार्थना करना जारी रखें। हम आप सभी के समर्थन के बिना इतनी दूर कभी नहीं पहुच पाते।”
वही बात करें कि अयांश के माता-पिता ने इतनी बड़ी रक़म कैसे इकट्ठा की तो बता दें कि इसके लिए एक मुहिम चलाई गई। जिसमें दान देने वालों की लंबी फेहरिस्त जुड़ी। बॉलीवुड और खेल जगत की कई हस्तियों ने सहयोग दिया। बॉलीवुड से अजय देवगन, अनिल कपूर, श्रद्धा कपूर, आलिया भट्ट, राजकुमार राव कार्तिक आर्यन, सारा अली खान, अर्जुन कपूर, अनुराग बसु, के अलावा क्रिकेटर्स में से आर अश्विन, वाशिंगटन सुंदर, दिनेश कार्तिक ने अपने सोशल मीडिया पेजों पर अपने फॉलोअर्स से अयांश के लिए फंड की अपील की। अहम सेलेब्रिटी डोनर्स में विराट कोहली, अनुष्का शर्मा, अर्जुन कपूर और सारा अली खान शामिल रहे। वही अहम कॉरपोरेट डोनर्स में धर्मा प्रोडक्शन्स, टी सीरीज और सिपला कम्पनी शामिल हैं। तब जाकर इतनी बड़ी राशि एकत्रित हुई।
जानकारी के लिए बता दें कि अयांश जब महज 13 महीने का था। तब उसकी इस दुर्लभ बीमारी का रूपल और योगेश को पहली बार पता चला था। Zolgensma के ब्रैंड नेम से मिलने वाली Onasemnogene abeparvovec दवा का इस्तेमाल स्पाइनल मस्कुलर एट्रोफी के इलाज में होता है। Avexis की ओर से विकसित की गई इस ड्रग के निर्माण के अधिकार Novartis दवा कंपनी ने हासिल किए हैं। अमेरिकी फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (FDA) ने 2019 में इस ड्रग को मंजूरी दी थी।