सचिन ने अपने कैरियर के दौरान कभी नहीं किया शराब का विज्ञापन, इसके पीछे है दिलचस्प कहानी
बाज़ारवाद के इस दौर में हर तरफ़ पैसे का बोलबाला है। हर कोई चाहता है कि जहां से भी पैसे मिले बस बटोर लें। फ़िर उसके लिए क्यों न सिद्धान्तों को ही दरकिनार करना पड़ें। कई ऐसे क्रिकेटर और फ़िल्मी हस्तियां हैं। जो हर प्रकार का विज्ञापन करते है। फ़िर उसका नफा-नुकसान क्या होगा उसके बारे में तनिक भी नहीं सोचते हैं, लेकिन हम आपको एक ऐसी शख्सियत से मिलवाने जा रहें। जिन्होंने कभी शराब का विज्ञापन नहीं किया। वैसे शराब का विज्ञापन न करने के पीछे उस शख्सियत के साथ एक रोचक कहानी जुड़ी हुई है। जिसे पढ़कर आप भी कहेंगे कि वचनबद्धता हो तो ऐसी!
मास्टर ब्लास्टर सचिन तेंदुलकर तो किसी पहचान के मोहताज़ नहीं। क्रिकेट के इस भगवान को बच्चा-बच्चा जानता है, लेकिन इनसे जुड़ी एक कहानी शायद ही सभी को पता हो। तो आइए विस्तार से जानते हैं इसी को। बता दें कि सचिन तेंदुलकर एक ऐसे क्रिकेटर हैं। जिन्होंने अपने क्रिकेट करियर के दौरान कभी भी शराब का प्रमोशन नहीं किया। जी हां सचिन तेंदुलकर ने खुद इस बात का खुलासा एक इंटरव्यू के दौरान किया था। सचिन तेंदुलकर ने एक निजी हिंदी न्यूज चैनल को दिए अपने इंटरव्यू में बताया था कि उन्होंने अपने पिता को बड़ा वचन दिया था। जिसकी वज़ह से उन्होंने कभी शराब का प्रमोशन नहीं किया।
उन्होंने अपने इंटरव्यू के दौरान कहा, “मैंने अपने पिता से वादा किया था कि मैं कभी तंबाकू उत्पादों या अल्कोहल का विज्ञापन नहीं करूंगा।” इतना ही नहीं सचिन ने आगे कहा कि, “मेरे पिता ने मुझे बताया कि मैं एक रोल मॉडल हूं और बहुत सारे लोग आप का अनुसरण करेंगे। यही कारण है कि मैंने कभी तंबाकू उत्पादों या अल्कोहल का समर्थन नहीं किया।”
इसी से जुड़ी एक कहानी बताते हुए सचिन तेंदुलकर कहते हैं कि, “1990 के दशक में मेरे बल्ले पर कोई स्टिकर नहीं था। मेरे पास अनुबंध नहीं था, लेकिन टीम में हर कोई विशेष रूप से विल्स और फोर स्क्वॉयर का प्रमोशन कर रहे थे, लेकिन फिर भी मैंने अपने पिता को दिए हुए वादे को नहीं तोड़ा। मैंने इन ब्रांड्स का समर्थन नहीं किया।”
पिता से किया हुआ वादा…
सचिन ने बताया कि, “मुझे उनके ब्रांड के स्टिकर को बल्ले पर लगाकर प्रोमोशन करने के कई प्रस्ताव मिले, लेकिन मैं उन सभी का समर्थन नहीं करना चाहता था। मैं इन दोनों चीजों (सिगरेट और शराब ब्रांड्स) से दूर रहा और कभी अपने पिता से किया हुआ वादा नहीं तोड़ा।” ऐसे में है न क्रिकेट के भगवान की यह कहानी प्रेरणादायक कि आख़िर कैसे अपने पिता को दिए हुए एक वचन की वज़ह से उन्होंने कभी किसी शराब या सिगरेट के ब्रांड का प्रचार नहीं किया। ऐसे में बड़ा सवाल यही क्या बाक़ी के सेलिब्रिटी भी सचिन की राह पर चल सकते हैं? यह तो सभी को पता है कि इन क्रिकेटर्स और सेलिब्रिटीज को समाज में रोल मॉडल की तरह से देखा जाता और उनका अनुसरण भी एक बड़ा तबका करता है। फ़िर बाक़ी के क्रिकेटर या सेलिब्रिटीज आख़िर ऐसी हिम्मत क्यों नहीं जुटा पाते?
एक बात तो है कि सचिन तेंदुलकर कई मायनों में बाकी खिलाड़ियों से अलग थे, तभी तो उन्हें क्रिकेट का भगवान कहा गया। वरना ऐसे ही भगवान की संज्ञा किसी को थोड़े न मिलती है। वहीं अगर सचिन तेंदुलकर के क्रिकेट करियर की बात करें तो उन्होंने वनडे में 15,921 और टेस्ट में 18,426 रन बनाए हैं। सभी प्रारूपों को मिलाकर सचिन के नाम 100 अंतरराष्ट्रीय शतक भी दर्ज हैं। इतना ही नही बता दें कि सचिन तेंदुलकर के नाम वनडे क्रिकेट में पहला दोहरा शतक जड़ने का रिकॉर्ड है। जो उन्होंने 24 फरवरी 2010 बनाया था। वहीं उसके बाद वीरेंद्र सहवाग ने 2011 में 219 रन की पारी खेली, जबकि 2013 में रोहित शर्मा ने 209 रन बनाए।