प्रसव के बाद जीवन के लिए संघर्ष करती कोरोना पॉजिटिव मां, नवजात से उसकी पहली मुलाकात दिल को छू लेने वाली। वीडियो देखें…
मुसीबत कितनी भी हो, लेकिन जीने की चाह नहीं छोड़नी चाहिए। इसे ही चरितार्थ किया कोरोना पीड़ित एक माँ ने...
हौसले बुलंद हों, तो जीतने से कोई नहीं रोक सकता है। फिर चाहें वह महामारी ही क्यों न हो। ऐसी ही एक कहानी है एक ऐसे माँ की, जिसने न सिर्फ़ स्वस्थ बच्चे को जन्म दिया, बल्कि कोरोना महामारी पर विजय भी हासिल की। पश्चिम बंगाल में 25 वर्षीय डॉक्टर आरफ़ा सजादीन और उनके नवजात शिशु का कोविड-19 के संक्रमण के बाद पूरी तरह से स्वस्थ होना स्वास्थ्य कर्मियों के लिए जहाँ मनोबल बढ़ाने वाला है। वही हम सभी को यह सीख भी देता है कि हौंसले और जज़्बा मजबूत हो तो बड़ी से बड़ी समस्याओं से निज़ात पाई जा सकती है। बता दें कि कोरोना काल में जहाँ हर तरह नकारात्मकता का माहौल छाया हुआ है। ऐसे में इस तरह की खबरें लोगों का हौसला बढ़ाने के लिए काफी है। साथ ही साथ लोगो के चेहरे पर मुस्कान और खुशी भी लाती हैं।
बता दें कि हावड़ा की रहने वालीं 25 वर्षीय डॉ. आरफा सजादीन डिलिवरी के 10 दिन पहले कोरोना संक्रमित हो गईं। जिसके बाद हालत इतनी बिगड़ गई कि तुरंत हावड़ा स्थित आईएलएस हॉस्पिटल में भर्ती कराना पड़ा। उन्हें वेंटिलेटर पर रखना पड़ा। तब वह 37 हफ्ते की गर्भवती थीं। डॉक्टरों के लिए जहाँ मां-बच्चे को बचाना एक बड़ी चुनौती थी। वह भी उस दौरान जब वह गर्भवती महिला वेंटिलेटर पर हो। उनका ग्लूकोज खतरनाक स्थिति पर था। लिहाजा सीजेरियन ऑपरेशन का निर्णय लेना पड़ा। डॉक्टर खुद मानते हैं कि डॉ. आरफा की हालत इतनी क्रिटिकल थी कि एक बारगी तो सबने उम्मीद ही छोड़ दी थी। उनके फेफड़ों में संक्रमण बुरी तरफ फैल चुका था। लेकिन आखिरकार 10 दिन बाद उन्होंने संक्रमण को हरा दिया। इसी दौरान उन्होंने एक बच्चे को जन्म दिया। इसमे खुशी की बात यह रही कि बच्चे का कोरोना टेस्ट निगेटिव निकला।
डॉक्टर के मुताबिक, महिला को डिसेमिनेटेड इंट्रावास्कुलर कोगुलेशन (डीआइसी) नामक बीमारी निकली थी। यह एक गंभीर रोग है, जिसमें रक्त के थक्के को नियंत्रित करने वाले प्रोटीन अति सक्रिय हो जाते हैं। यह खतरनाक होता है। इतना ही नहीं बता दें कि डॉक्टर आरफ़ा सजादीन की यह पूरी कहानी बड़ी चौंकाने वाली रही है। जन्म के तुरंत बाद डॉक्टर आरफ़ा सजादीन और उनके शिशु को अलग-अलग कर दिया गया था। इस नवजात को एनआईसीयू में भर्ती कराया गया। जबकि मां, जो कोरोना वायरस पॉजिटिव पाई गई थीं उनकी हालत गंभीर हो गई और उन्हें वेंटिलेटर पर रखना पड़ा।
#HeartWrenching: Dr. Arfa Sajadin, who had tested positive for Covid-19, battled for 10 days on the ventilator after her delivery. She broke down after taking her baby for the first time in her arms. Both mother & the baby are fine & ready to go home thanks to ILS hospital Howrah pic.twitter.com/2Oh9ksetl8
— Pooja Mehta (@pooja_news) June 8, 2021
डिलीवरी के बाद महिला ने 10 दिनों तक वेंटिलेटर पर जिंदगी की जंग लड़ी। शुक्रवार को वे पहली बार मिले। दिल को छू लेने वाली मुलाकात को कुछ लोगों ने कैमरे में कैद कर लिया और यह दिल को झकझोर देने वाला वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया। इसी मामले में पश्चिम बंगाल के हावड़ा में आइएलएस (ILS) अस्पताल के डॉक्टरों का कहना है कि मां और बच्चा दोनों ठीक हैं और घर जाने के लिए तैयार हैं। जब डॉक्टर आरफ़ा सज़ादीन का आईसीयू में इलाज चल रहा था, तब डॉक्टर उन्हें वीडियो कॉल के ज़रिए उनके बच्चे को दिखाते रहते थे। वही 10 दिन बाद जब डॉ. आरफा ठीक हुईं और उनके बच्चे को गोद में रखा गया, तो उनकी आंखों से आंसू बह निकले। वे मानती हैं कि उनमें जीने की चाह थी। जिस कारण यह सब सम्भव हो पाया।