कश्मीर समस्या पर मोदी सरकार ने चलाया ‘ब्रह्मास्त्र’ – जानिए क्या है पीएम का ‘मास्टर प्लान’
नई दिल्ली – मोदी सरकार ने आज जम्मू-कश्मीर में पिछले लंबे समय से अशांति के माहौल को देखते हुए अपना ‘ब्रह्मास्त्र’ चला दिया है। आतंकवादी हमलों और घुसपैठ की समस्या से ग्रसित इस राज्य में पत्थरबाजों और अलगाववादियों से निपटने के लिए मोदी सरकार ने कश्मीर में संघ के दखल की तैयारी कर ली है। जी हां आपने सही पढ़ा। 91 साल के इतिहास में ऐसा पहली बार होने जा रहा है जब संघ यानी कि आरएसएस कश्मीर मुद्दे पर दखल देगा। अगर, ऐसा होता है तो यह वाकई एक अच्छा प्लान है। क्योंकि संघ की ताकत और क्षमता से हम सभी वाकिफ हैं। RSS annual meeting in j k.
अलगाववादियों और आतंकियों को संघ देगा चेतावनी –
दरअसल, राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ अपनी वार्षिक समीक्षा बैठक इस बार जम्मू-कश्मीर में आयोजित करने जा रहा है। संघ की यह बैठक जुलाई में 18 से 20 तारीख तक आयोजित होगी। इस बैठक में संघ के बड़े नेता और कई मंत्री भी शामिल होंगे। जम्मू-कश्मीर में आरएसएस की इस बैठक का मूल उद्देश्य अलगाववादियों को यह स्पष्ट संदेश देना है कि जम्मू-कश्मीर भारत का एक अभिन्न भाग है। संघ की बैठक से जम्मू के क्षेत्र में रह रहे हिंदूओं में भी सुरक्षा और एकता का भाव बढ़ेगा।
अलगाववादियों तक पहुंचेगा पीेएम मोदी का संदेश –
संघ की इस बैठक के जरिए घाटी के बिगड़ते हालात के लिए जिम्मेदार अलगाववादियों को ये संदेश दिया जाएगा कि कश्मीर भी इस देश का अभिन्न अंग है और अब संघ इस बात को लेकर गंभीर है। संघ के सूत्रों के मुताबिक, इस बैठक में पत्थरबाजी और सीआरपीएफ जवानों पर हो रहे हमलों पर भी विचार-विमर्श किया जा सकता है। मनमोहन वैद्य ने कहा कि, जम्मू में पहले हमारा कार्यालय छोटा था लेकिन अब इसे बड़ा किया गया है। जम्मू-कश्मीर में होने वाली संघ की पहली बड़ी बैठक में सभी मसलों पर विचार-विमर्श होगा।
आरएसएस की बैठक से कश्मीरी हिन्दुओं में बढ़ेगी एकता –
18 से 20 जुलाई तक आयोजित होने वाली इस बैठक में संघ प्रमुख मोहन भागवत, भाजपा अध्यक्ष अमित शाह और विहिप के अन्य नेता भी हिस्सा लेंगे। गौरतलब है कि राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ की स्थापना 1925 में हुई थी। यानी संघ की स्थापना को 91 वर्ष हो चुके हैं। लेकिन संघ ने अभी तक जम्मू-कश्मीर में ऐसी किसी बैठक का आयोजन नहीं किया था। इस बैठक से मोदी सरकार ने कई निशाने साध दिए हैं। क्योंकि इस कदम से ही कश्मीरी हिन्दुओं में एकता बढ़ेगी और वे एकजुट होकर अलगावदियों व पत्थरबाजों से निपटने में सेना की मदद करेंगे।