अब दुश्मन ने भी माना मैं चीनी वायरस को लेकर सही था, लैब में बना था वायरस -डोनाल्ड ट्रंप
अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक बयान जारी कर कहा है कि उनके द्वारा कोरोना वायरस को लेकर चीन पर लगाए गए सभी आरोप सच हैं और अब उनके दुश्मन भी इस बात को मान रहे हैं। दरअसल कोरोना वायरस की उत्पत्ति को लेकर कई सारे वैज्ञानिक अब दावा कर रहे हैं कि ये वायरस चाइन की लैब में ही तैयार किया गया है। वैज्ञानिकों के अनुसार चाइन ने अपनी गलती को छुपाने के लिए दुनिया को ऐसा दिखाने की कोशिश की कि ये वायरस चमगादड़ या किसी अन्य जानवर से फैला है। लेकिन असलियत में ये वायरस वुहान की लैब में तैयार किया गया है।
क्या कहा ट्रंप ने
डोनाल्ड ट्रंप ने एक बयान जारी कर कहा कि ‘अब हर कोई, यहां तक कि तथाकथित ‘दुश्मन’ ने भी ये कहना शुरू कर दिया है कि डोनाल्ड ट्रंप वुहान लैब से निकले चीनी वायरस के बारे में सही थे। चीन को अमेरिका और दुनिया को कोरोना से मौत और विनाश के लिए 10 ट्रिलियन डॉलर का भुगतान करना चाहिए।’
“Now everyone, even so-called “enemy”, are beginning to say that President Trump was right about China virus coming from Wuhan Lab. China should pay 10 trillion dollars to US & world for death & destruction they have caused,” reads the statement from former US President Trump pic.twitter.com/dA7TruJh0w
— ANI (@ANI) June 4, 2021
अमेरिका के राष्ट्रपति ने दिए हैं जांच के आदेश
कोरोना वायरस की उत्पत्ति का पता लगाने का काम अमेरिका के नए राष्ट्रपति जो बाइडन ने खुफिया एजेंसियों को सौंपा है। खुफिया एजेंसियों को 90 दिनों के भीतर वायरस के जन्मस्थान का पता करके रिपोर्ट देने को कहा गया है। इन्होंने कहा है कि ये निष्कर्ष निकालने के अपर्याप्त साक्ष्य हैं कि क्या ये किसी संक्रमित जानवर के मानवीय संपर्क से उभरा है या एक लैब दुर्घटना ने इस महामारी को जन्म दिया है।
वहीं अमेरिकी अखबार वॉल स्ट्रीट जर्नल ने एक खुफिया रिपोर्ट के हवाले से बताया है कि दुनिया में कोरोना वायरस फैलने से करीब एक माह पहले ही वुहान इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी के तीन शोधकर्ता बीमार पड़े थे। अमेरिकी खुफिया रिपोर्ट में वुहान लैब के बीमार शोधकर्ताओं की संख्या, उनके बीमार पड़ने के समय और अस्पताल से जुड़ी सूचनाएं विस्तार से दी गई है।
मिला यूनिक फिंगरप्रिंट
डेली मेल की खबर के मुताबिक, ब्रिटिश प्रोफेसर एंगस डल्गलिश और नॉवे के वैज्ञानिक डॉ बिर्गर सोरेनसेन जब कोरोना के सैंपल्स का अध्ययन कर रहे थे। उस दौरान उन्हें वायरस में एक यूनिक फिंगरप्रिंट मिला था। उस समय उन्होंने कहा था बिना लैब में छेड़छाड़ किए ऐसा नहीं हो सकता है। उन्होंने कहा कि जब उन्होंने अपनी स्टडी की फाइंडिंग्स को जर्नल में प्रकाशित करना चाहा तो कई बड़े साइंटिफिक जर्नल ने इसे खारिज कर दिया। क्योंकि उस समय लग रहा था कि कोरोना वायरस चमगादड़ या जानवरों से इंसानों में प्राकृतिक रूप से आया है। नॉवे के वैज्ञानिक डॉ बिर्गर सोरेनसेन का भी माना है कि इस वायरस को वुहान की लैब में ही तैयार किया गया है।
आपको बता दें कि ब्रिटिश प्रोफेसर एंगस डल्गलिश लंदन में सेंट जॉर्ज यूनिवर्सिटी में कैंसर विज्ञान के प्रोफेसर हैं तो नार्वे के वैज्ञानिक डॉ सोरेनसेन एक महामारी विशेषज्ञ हैं और इम्यूनर कंपनी के अध्यक्ष हैं, जो कोरोना की वैक्सीन तैयार कर रही है, जिसका नाम है बायोवैक-19 है।
गौरतलब है कि चीन के वुहान शहर से कोरोना का पहला मामला सामने आया था और यहीं से ये वायरस दुनिया में फैला था।डोनाल्ड ट्रंप ने पिछले साल मार्च की शुरुआत में ही कहा था कि उन्हें इसका पूरा भरोसा है और इसके सबूत हैं कि कोरोना वायरस को वुहान की जैविक प्रयोगशाला में विकसित किया गया। वहीं अब बाइडन प्रशासन के साथ ब्रिटेन और भारत ने भी कोरोना की नए सिरे से जांच की मांग की है।