परिवार ने किया अंतिम संस्कार, 15 दिन बाद जिंदा सामने आकर खड़ी हो गई महिला
घर में जब किसी व्यक्ति की मौत हो जाती है तो बहुत दुख होता है। ये दुख कई दिनों तक हमारा पीछा नहीं छोड़ता है। जो इंसान कुछ समय तक हमारे सामने चल फिर रहा था। उसका हमे अपने हाथों से अंतिम संस्कार करना पड़ता है। इस मौके पर हम बुरी तरह टूट जाते हैं। कुदरत की सच्चाई को कडवे घूंट पीकर स्वीकार करते हैं। जो इंसान एक बार मर गया अब वह कभी वापस नहीं आएगा।
लेकिन जरा सोचिए क्या होगा यदि घर में जिसका अंतिम संस्कार हुआ है वह कुछ ही दिनों बाद आपके सामने जिंदा आकर खड़ा हो जाए? यकीनन ये नजारा देख आपके होश उड़ जाएंगे। आप में से कुछ लोग तो एक पल के लिए डर भी जाएंगे। मन में कई सवाल आएंगे। ये कैसे हो सकता है? क्या ये सच में जिंदा है? कहीं ये भूत तो नहीं? कहीं ये मेरी आंखों का भ्रम तो नहीं? बस ऐसा ही कुछ आंध्र प्रदेश के विजयवाड़ा में रहने वाले एक परिवार के साथ हुआ। इस परिवार ने अपने घर की 75 साल की महिला का अंतिम संस्कार किया था लेकिन 15 दिनों बाद वह जिंदा लौट आई। आईए जानते हैं कि ऐसा कैसे हुआ।
दरअसल 75 साल की बुजुर्ग महिला मुत्याला गिरिजम्मा की कोरोना की जांच हुई थी। जब रिपोर्ट पॉजिटिव आई तो उन्हें 12 मई को विजयवाड़ा के सरकारी अस्पताल में भर्ती कराया गया। इसके बाद उनके पति हॉस्पिटल जाकर अगले दिन बीवी से मिले भी। फिर 15 मई को अधिकारियों ने उन्हें सूचना दी कि आपकी परिवार की सदस्या की कोरोना की वजह से मौत हो गई है। आप अस्पताल आकर शवगृह में उनका शव ढूंढ लें।
गिरिजाम्मा के भतीजे नागू बताते हैं कि सूचना मिलने पर मेरे चाचा अस्पताल में अपनी पत्नी का शव ढूँढने गए। वहां उन्हें शव दिखाई दिया। वे उसे अपने साथ ले आए। इसके बाद अस्पताल के अधिकारियों ने एक डेथ सर्टिफिकेट भी जारी कर दिया। परिवार वालों ने शव को जग्गैयापेट लाकर उसका अंतिम संस्कार कर दिया। इसके बाद 23 मई को गिरिजाम्मा के बेटे रमेश का भी देहांत हो गया। ऐसे में परिवार ने दोनों की सामूहिक प्रार्थना सभा का आयोजन किया।
हालांकि इस घटना के 15 दिन बाद परिवार की नजरों में मृत गिरिजम्मा घर वापस लौट आई। उन्हें इस तरह अचानक जिंदा अपने सामने खड़ा देख रिश्तेदार और पड़ोसी हैरान हो गए। उन्हें अपनी आंखों पर यकीन नहीं हुआ। उन्होंने गिरिजम्मा के सामने सवालों की झड़ी लगा दी। फिर इस राज से पर्दा उठा। गिरिजम्मा ने बताया कि वाह मरी नहीं थी बल्कि उसका अस्पताल में इलाज चल रहा था। जब वह थक हो गई तो अस्पताल से छुट्टी मिलते ही वापस आ गई।
घरवालों ने जब इस बारे में अस्पताल के अधिकारियों से बात की तो पता चला कि ये बात सच है। गिरिजम्मा के पति किसी और महिला के शव को अपनी बीवी समझ साथ ले आए थे। परिवार ने उसी का अंतिम संस्कार किया था। अब गिरिजम्मा के भतीजे नागू इस व्यवस्था पर सवाल उठाते हुए पूछ रहे हैं कि मेरी चाची को मारा हुआ बता दिया गया। अब इसमें आखिर गलती किसकी थी?
वैसे इस पूरे मामले पर आपकी क्या राय है?