रेसलर बबीता फौगाट ने आख़िर क्यों कहा कि, “किसान ऐसी हरकत नहीं करते”
महिला पहलवान बबीता फौगाट की आंखों से छलके आंसू, बोलीं- यह आंदोलनकारी फेसबुकिए है, किसान नहीं...
पहलवान से भाजपा नेता बनीं बबीता फौगाट का चरखी दादरी के बिरही कलां गांव में किसानों ने विरोध किया तो उनका दर्द बुधवार को आंसू बनकर छलकने लगा। जी हां महिला विकास निगम की चेयरमैन बबीता फौगाट ने कहा कि हमला करने वाले किसान नहीं हैं, बल्कि वे उपद्रव करने वाले विपक्षी हैं। बता दें कि रेसलर से बीजेपी नेता बनीं बबीता फौगाट को किसानों के तगड़े विरोध का सामना करना पड़ा है।
गौरतलब हो कि बबीता फौगाट ने साल 2019 में बीजेपी जॉइन की थी। वह चुनाव भी लड़ीं, लेकिन हार गई थी। इसके बाद 2020 में हरियाणा की मनोहर लाल खट्टर सरकार ने उन्हें हरियाणा वुमन डिवेलपमेंट कॉर्पोरेशन का चेसरपर्सन नियुक्त किया था। भाजपा के सात वर्ष पूरे होने पर हर वर्ष की तरह तो कार्यक्रम आयोजित नहीं किए, लेकिन इस कोरोना काल में भाजपा ने “सेवा ही संगठन” के रूप में मनाया। जिसके तहत पूरे देश के कार्यकर्ताओं ने अपने-अपने तरीक़े से कार्यक्रम किए। इसी के तहत बीते रविवार को रेसलर से राजनेता बनी बबीता फौगाट चरखी दादरी के बिरही कलां गांव में पहुँची थी। जहां बीजेपी के “सेवा ही संगठन” कार्यक्रम में वह शामिल होने पहुँची थी।
बता दें कि जैसे बबीता फौगाट बिरही कलां पहुँचती है। दर्जनों किसान, महिलाएं, मजदूर और सामाजिक संगठनों से जुड़े लोग आ धमकते है और ये लोग कृषि कानूनों का विरोध करते हुए बबीता की गाड़ी का घेराव कर लेते है। साथ ही साथ काले झंडे लेकर आए ये लोग बबीता के साथ-साथ हरियाणा सरकार के खिलाफ भी नारे लगाते। करीब 10 मिनट तक सैकड़ों लोगों ने बबीता की गाड़ी को घेरे रखा। बाद में, पुलिसकर्मियों ने भीड़ को जैसे-तैसे हटाकर बबीता की गाड़ी को वहां से निकाला।
बता दें कि बबीता फौगाट बुधवार को सोनीपत के विश्राम गृह पहुँचती है। जहां वह बिरही कलां में किसान द्वारा किए गए विरोध और किसान द्वारा लगातार विरोध करने के मामले में कहा कि, “किसानों का विरोध करना ठीक है, लेकिन किसी पर हमला करना गलत है। सरकार उनकी बात सुन रही है और लगातार बातचीत भी कर रही है। हम भी अपनी बात तथ्य के साथ रखना चाहते हैं।
मालूम हो कि प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान बबीता भावुक हो गईं और कहा कि, “जब मेडल लेकर घर पहुंचती थी तो सभी स्वागत करते थे, लेकिन अब जब उनके बीच में जाती हूं तो गालियां सुनती हूं।” किसान आंदोलन पर बोलते हुए बबीता ने आगे कहा कि आंदोलन पहले भी होते थे लेकिन वह आंदोलन मुद्दों के ऊपर होते थे। अब एक नहीं, तीन आंदोलन चल रहे हैं। एक किसान आंदोलन है, दूसरा विपक्ष आंदोलन है और तीसरा फेसबुक किसान आंदोलन। 40 नेताओं से कभी भी समाधान नहीं होगा। अगर समाधान चाहते हैं तो 5 नेताओं की एक कमेटी बनाई जाए।
बबीता यहीं नहीं रुकी उन्होंने आगे कहा, “हमें डिफरेंस समझने की जरूरत है। एक खेत वाला किसान है एक विपक्ष वाला किसान हैं और एक फेसबुक वाला किसान है। विपक्ष युवाओं को भड़काने की कोशिश कर रहा है। एक समय होगा किसानों की समस्या का समाधान भी होगा, लेकिन ऐसा ना हो कि आप एक दूसरे से नजर ना मिला सके। आंदोलन के सहारे जो उपद्रव मचा रहे हैं, वे किसान नहीं है। सभी को अपनी बात रखने का हक है। किसान अपनी बात रख सकते हैं तो वह हमारी बात भी सुनें, हम भी अपनी बात तथ्यों के साथ रखना चाहते हैं।”
इतना ही नहीं एक अन्य सवाल के जवाब में बबिता फौगाट ने कहा कि सरकार अपनी तरफ से किसानों की बातें सुन रही है और समाधान खोज रही है। तभी तो अभी तक 12 दौर की वार्ता हुई है। सरकार तीनों क़ानून को लेकर जो भी संशय है। उसे दूर करने के लिए तैयार है। संशोधन को भी तैयार है, लेकिन वे तो क़ानून रद्द कराने की जिद्द पर अड़े हुए हैं। आंदोलनकारी नहीं, किसान बनकर बातचीत के लिए आगे आएं तो जरूर समाधान निकलेगा। इतना ही नहीं उन्होंने कहा कि यह आंदोलन फेसबुकिए आंदोलन है।