ये 3 चीजें बर्बाद कर देती है मनुष्य का जीवन, श्रीकृष्ण ने गीता में कही थी आज हो रहा है सच
ज़िंदगी बहुत ही छोटी होती है। ऐसे में इसका हर पल अच्छे से जीना चाहिए। कब किसे क्या हो जाए कुछ कह नहीं सकते हैं। इसलिए जिंदगी के इस सफर में हमे फूंक फूंक कर कदम रखना चाहिए। एक छोटी सी गलती हमारी लाइफ बर्बाद कर सकती है। ऐसे में आज हम आपको तीन ऐसी चीजों के बारे में बताने जा रहे हैं जो मनुष्य के लिए हानिकारक होती है। यदि ये तीन चीजें मनुष्य के स्वभाव में आ जाए तो उसका जीवन बर्बाद होने से कोई नहीं रोक सकता है।
श्रीमद्भागवत में भी इन 3 चीजों के बारे में बताया गया है। गौरतलब है कि श्रीमद्भागवत हिंदू धर्म का सबसे बड़ा और पवित्र धर्म है। इस धर्मग्रंथ में भगवान श्रीकृष्ण ने संसार को धर्म के अनुसार अपने कर्म करने की सलाह दी है। इसमें दिया गया श्रीकृष्ण का यह उपदेश कलयुग के मापदंड को ध्यान में रखते हुए ही दिया गया है। इन उपदेशों को आप आज के जमाने में एक लाइफ मैनेजमेंट टिप्स के रूप में भी देख सकते हैं। यदि हम श्रीमद्भागवत में बताई गई नीतियों को समझकर अपने निजी जीवन में आजमाएं तो बहुत सी परेशानियों का हल मिल सकता है।
श्रीमद्भागवत में बताई गई नीतियों को आप इस श्लोक से समझ सकते हैं। ये श्लोक है – त्रिविधं नरकस्येदं द्वारम नाशनमात्मन:। काम: क्रोधस्तथा लोभस्तस्मादेतत्त्रयं त्यजेत्।। आप में से बहुत से लोगों को शायद संस्कृति में लिखा यह श्लोक समझ नहीं आया होगा। लेकिन आप टेंशन न लीजिए, हम आपको इस श्लोक का अर्थ विस्तार से बताएंगे। साथ ही हम ये भी जानेंगे कि कैसे महज तीन चीजें किसी भी इंसान की लाइफ बर्बाद कर सकती है।
कामभावना
एक व्यक्ति को हमेशा अपनी कामभावना पर नियंत्रण रखना आना चाहिए। आपके लिए आपका जीवनसाथी ही सबकुछ होना चाहिए। इसके अलावा किसी अन्य मर्द या पुरुष पर गंदी नजर नहीं डालनी चाहिए। काम का वेग एक ऐसी चीज है जिसके चलते मनुष्य अक्सर गलत काम कर देता है। इससे उसकी बुद्धि भ्रष्ट हो जाती है। इस कामभावन के चक्कर में वह अपनी पूरी जिंदगी तबाह कर बैठता है। इसलिए जो व्यक्ति इस कामभावना पर काबू पा लेता है वह जीवन में बहुत सुखी और चिंतामुक्त रहता है।
क्रोध
क्रोध मनुष्य का सबसे बड़ा शत्रु होता है। ये बात तो आप ने सुनी ही होगी। श्रीमद्भागवत भी इस बात से सहमति रखती है। इंसान को क्रोध आना स्वाभाविक होता है, लेकिन नुकसान अत्यधिक क्रोध आने पर होता है। हद से ज्यादा आक्रोधित होने पर इंसान होश खो बैठता है। इस क्रोध के आवेश में आकर वह अक्सर ऐसी गलती कर बैठता है जिसका पछतावा उसे बाद में होता है। ये क्रोध उससे एक के बाद एक कई गलत कार्य करवाता है।
लोभ
लोभ यानि लालच भी व्यक्ति के लिए हानिकारक होता है। इस लोभ के चलते वह कई ऐसे अनुचित कार्य करता है जो उसकी बर्बादी की वजह बनते हैं। इस लोभ से बचने के लिए आपके अंदर संतुष्टि की भावना का होना बेहद जरूरी होता है। दूसरों की अमीरी, चीजों या धन को देखकर आपके मन में लालच या जलन नहीं आनी चाहिए। ये लालच आपका ही नुकसान करती है।