क्या ममता की चाटुकारिता की वजह से जेल जाएंगे अलपन, जानिए क्या कहते है क़ानून और विशेषज्ञ…
गृह मंत्रालय ने अलपन बंदोपाध्याय को आपदा प्रबंधन अधिनियम के तहत भेजा नोटिस, अलपन जाएँगे जेल?
कोरोना काल में देश भले बेहाल हो, लेकिन राज्य सरकारें लगातार केंद्र को घेर रही है। इसी बीच अब नया विवाद उत्पन्न हो गया है। जी हां कोरोना को लेकर विपक्षी दल अभी तक हमलावर थे, लेकिन अब केंद्र और राज्य की अलग तरीक़े से ठन गई है। मामला पश्चिम बंगाल की ममता बनर्जी और केंद्र के नरेंद्र मोदी सरकार से जुड़ा हुआ है। बता दें कि इस तक़रार में अब फंसते बंगाल के पूर्व सचिव अलपन बंदोपाध्याय दिख रहें। मालूम हो कि बंगाल के मुख्य सचिव पद से सेवानिवृत्त हुए अलपन बंदोपाध्याय के मुख्यमंत्री ममता के सलाहकार बनने के चंद घंटे बाद ही उन्हें केंद्र की तरफ से एक कारण बताओ नोटिस थमा दिया गया है। इस नोटिस में पूर्व सचिव बंदोपाध्याय को 72 घंटे का वक्त देते हुए केंद्र ने लिखित स्पष्टीकरण मांगा है कि उनके विरुद्ध आपदा प्रबंधन ऐक्ट 2005 की धारा 51 के तहत ऐक्शन क्यों न लिया जाए?
जानकारी के लिए पता हो कि इस प्रावधान के तहत दो साल तक की कैद हो सकती है। इसी मामले पर अब अलग-अलग विशेषज्ञों की अलग-अलग राय है। कुछ विशेषज्ञों का कहना है कि यह कदम ज़्यादा देर टिकने वाला नहीं है। वही कुछ विशेषज्ञ कह रहे कि सेवा नियमों के उल्लंघन को लेकर अलपन पर कार्रवाई की जा सकती है। जिसके तहत अलपन को दो साल की जेल हो सकती है। इसी मामले पर वरिष्ठ अधिवक्ता विकास रंजन भट्टाचार्य ने कहा कि कारण बताओ नोटिस कानूनी कसौटी पर टिकने वाला नहीं है। वहीं त्रिपुरा के महाधिवक्ता के रूप में कार्य कर चुके माकपा नेता ने कहा कि किसी बैठक में अनुपस्थिति किसी भी तरह से आपदा प्रबंधन अधिनियम के तहत जारी निर्देशों का उल्लंघन नहीं है, इसलिए जारी किया गया कारण बताओ नोटिस कानूनी कसौटी पर टिकने वाला नहीं है।
इन सब से इतर वकील लोकनाथ चटर्जी ने अलपन के मामले में कहा है कि, “आपदा प्रबंधन कानून के प्रावधानों के अनुसार, कार्रवाई नहीं करने वाले व्यक्ति के खिलाफ कार्रवाई की जा सकती है। उन्होंने कहा कि यह उनके सेवा नियमों और आपदा प्रबंधन कानून का उल्लंघन है। वही वकील जयंत नारायण चटर्जी ने कहा कि आपदा प्रबंधन कानून की धारा 51-बी के तहत कारण बताओ नोटिस जारी करने का कोई प्रावधान नहीं है।
क्या कहती है आपदा प्रबंधन एक्ट-2005 की धारा 51-बी…
आपदा प्रबंधन एक्ट 2005 की धारा 51 (बी) कहता है कि जो कोई भी इस अधिनियम (Disaster Management Act, 2005) के तहत केंद्र सरकार या राज्य सरकार या राष्ट्रीय कार्यकारी समिति या राज्य कार्यकारी समिति या जिला प्राधिकरण द्वारा या उसकी ओर से दिए गए किसी भी निर्देश का पालन करने से इनकार करता है तो उस पर दोष सिद्ध होने पर जुर्माना लगाया जा सकता या एक साल के कारावास अथवा दोनों सजाएं दी जा सकती हैं।
बता दें कि गृह मंत्रालय की ओर से दिए गए नोटिस में आपदा प्रबंधन एक्ट- 2005 (Disaster Management Act, 2005) की धारा 51-बी के तहत अलपन बंदोपाध्याय पर आरोप लगाया जा रहा है। वहीं इस क़ानून को कई धाराओं में भी बांटा गया है। इनमें है धारा 51 – बाधा डालना, धारा 52 – मिथक / झूठे दावे, धारा 53 – सामग्री का दुरुपयोग, धारा 54 – गलत चेतावनी, धारा 56 – कर्तव्य पूरा न करना, धारा 57 – आदेश का उल्लंघन और धारा 58 (निजी कंपनियों), धारा- 60 कोर्ट द्वारा हुए अपराध के संज्ञान और धारा 59 किसी अभियोजन के लिए पूर्व मंजूरी (धारा 55 व 56 के मामलों में / सरकारी विभागों के लिए) के संबंध में है।
क्या है पश्चिम बंगाल और केंद्र सरकार के बीच विवाद की जड़…
ग़ौरतलब हो कि इस विवाद की जड़ में चक्रवात यास पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की समीक्षा बैठक में ममता बनर्जी का शामिल न होना है। बीते शुक्रवार को पीएम मोदी चक्रवात से हुए नुकसान का जायजा लेने पीएम पश्चिम बंगाल पहुंचे थे। उनकी सीएम ममता बनर्जी और मुख्य सचिव अलपन बंदोपाध्याय के साथ समीक्षा बैठक थी, लेकिन आरोप है कि ममता बनर्जी ने पीएम को आधे घंटे तक इंतजार कराया।
मुख्य सचिव के साथ बैठक में पहुंची ममता ने अपनी रिपोर्ट सौंप दी और यह कहकर चली गईं कि उन्हें कुछ दूसरी बैठकों में हिस्सा लेना है। इस बैठक के बाद ही केंद्र की ओर बंगाल सरकार को पत्र भेजकर बंदोपाध्याय को कार्यमुक्त करने को कहा गया था। 60 साल की उम्र पूरी कर चुके बंदोपाध्याय को सोमवार को रिटायर्ड होना था, लेकिन उसके पहले ही कोविड मैनेजमेंट के लिए केंद्र से मिली इजाजत से उनका तीन महीने का कार्यकाल बढ़ाया गया था। लेकिन इसी बीच वह ममता बनर्जी के सलाहकार बन गए। ऐसे में अब देखना होगा कि ममता बनाम केंद्र की यह लड़ाई किस करवट बैठती है और अलपन बंदोपाध्याय जेल की हवा खाते हैं या नहीं?