कोरोना निगल गया पूरा परिवार, अब 13 साल की उम्र में नाजुक कंधों पर परिवार का बोझ धो रहा बच्चा
कोरोना वायरस ने अब तक न जाने कितने घर तबाह किए हैं। अब तो आलम ये है कि हमारी जान पहचान में लगभग सभी ने किसी न किसी प्रियजन को खोया है। फिर कुछ ऐसे भी मामले देखने को मिले जहां कोरोना एकसाथ पूरे परिवार को ही निगल गया। ऐसे में बच्चे बिना किसी बड़ों के सहारे घर में अकेले रह गए। ऐसा ही एक मामला उत्तर प्रदेश के शामली में भी देखने को मिला है। यहां एक साल में घर के चार बड़े लोगों की मौत हो गई। ऐसे में 13 साल का लड़का ही घर का मुखिया बन सभी जिम्मेदारी संभाल रहा है।
दरअसल शामली के लिसाढ़ गांव में रहने वाले मांगेराम मलिक एक किसान थे। वे खेती कर अपने घर का पेट पालते थे। उनका बेटा लोकेद्र मलिक (40) घर का अकेला कमाने वाला मर्द था। हालांकि कोरोना की पहली लहर में लोकेद्र मलिक को कोरोना ने जकड़ लिया। इसके चलते उनकी अप्रैल 2020 में मौत हो गई।
लोकेद्र मलिक के देहांत के बाद उनके माता पिता यानि बच्चों के दादा दादी ये गम सहन नहीं कर सके और उनका भी देहांत हो गया। इसके बाद 40 वर्षीय तीन बच्चों की मां सविता को भी कोरोना हो गया। चुकी घर में पहले से 3 मौतें हो चुकी थी ऐसे में सविता हॉस्पिटल जाने से डर रही थी। वह कई दिनों तक नहीं गई। फिर उसके बेटे ने मामा को ये बात बताई तो उन्होंने अपनी बहन को एक प्राइवेट अस्पताल में एडमिट करवाया। लेकिन कुछ समय इलाज चलने के बाद सविता का भी 30 अप्रैल को देहांत हो गया।
इस तरह एक ही साल में घर के चार सदस्यों की मौत हो गई। अब घर में तीन बच्चे हिमांशु मलिक (13), प्राची (11) और प्रियांश (10) रह गए हैं। ऐसे में सबसे बड़ा भाई हिमांशु महज 13 साल की उम्र में घर का मुखिया बन गया है। अब परिवार की सभी जिम्मेदारी उसके ही कंधों पर आ गई है। उसे समझ नहीं आ रहा कि वह अब क्या करें। वैसे शासन द्वारा कोरोना से परिवार में कमाने वाले व्यक्ति की मृत्यु होने पर या माता पिता दोनों का देहांत हो जाने पर बच्चों को शिक्षा एवं अन्य सुविधाएं सहित नकद धनराशि देने की घोषणा की गई है।
हिमांशु मलिक (13) और उसकी 11 साल की बहन प्राची शामली के सरस्वती मंदिर में पढ़ती है। हिमांशु हाई स्कूल में है जबकि उसकी बहन कक्षा नौ में है। वहीं उनका छोटा भाई प्रियांश (10) गांव के सरस्वती शिशु मंदिर स्कूल में क्लास 7 में पढ़ता है। परिवार में एक साथ चार लोगों की मौत का सदमा बच्चों पर भी गहरा लगा है। फिलहाल 13 साल का हिमांशु खेती कर परिवार का खर्चा चला रहा है। इस छोटी सी उम्र में ही उसके कंधों पर परिवार का बोझ आ गया है।
उधर गांव में जिसने भी ये नजारा देखा उसकी आंखें नम हो गई। हर कोई यही कहने लगा कि भगवान ऐसा दिन किसी बच्चे को न दिखाए। हिमांशु की तरह ही देश में और भी कई ऐसे बच्चे हैं जिन्हें कोरोना ने अनाथ कर दिया है। इसलिए आप सभी इससे बचने के लिए तुरंत वैक्सीन लगवा लें और कोरोना नियमों का पालन करें।