जानकी मंदिर में हुआ था राम जी और मां सीता का विवाह, पढ़ें मंदिर से जुड़ा इतिहास
शास्त्रों के अनुसार मां सीता का जन्म बैसाख माह की नवमी तिथि को हुआ था। ये मिथिला के राजा जनक की बेटी थी। मिथिला की राजधानी जनकपुर हुआ करती थी और यहां पर ही इनका भव्य महल हुआ करता था। जो कि नेपाल में है। इस जगह पर मां सीता के कई मंदिर मौजूद हैं और ये जगह नेपाल के प्रसिद्ध धार्मिक स्थलों में से है। यहां बनें जानकी मंदिर में दूर-दूर से लोग आते हैं और मां की पूजा करते हैं। ये मंदिर पूरी तरह से मां सीता को समर्पित है। इस मंदिर का इतिहास बेहद ही पुराना है और कहा जाता है कि इस मंदिर को एक राजकुमारी द्वारा बनाया गया था।
मंदिर से जुड़े इतिहास के अनुसार इस जगह पर ही मां सीता का विवाह राम जी के साथ हुआ था। इस मंदिर को नौलखा मंदिर और जानकीपुर धाम के नाम से भी जाना जाता है। इतिहासकारों के मुताबिक1657 ईस्वी में इस मंदिर में मां सीता की एक मूर्ति भी मिली थी। जो कि सोने की थी।
इस मंदिर में हर साल सीता जयंती के दिन विशेष पूजा की जाती है और रात भर तक भजन चलते हैं। जानकी मंदिर नेपाल के काठमांडू शहर से लगभग 400 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। जानकी मंदिर का उल्लेख रामायण में भी मिलता है। ये मंदिर भव्य तरीके स बनाया गया है और कुल 4860 वर्गमीटर में फैला हुआ है।
16 साल में बनकर हुआ तैयार
इस मंदिर को बनाने में करीब 16 साल का समय लगा था। इतिहास के अनुसार ये मंदिर 1895 ईस्वी में बनना शुरू हुआ था और 1911 में बनकर तैयार हुआ था। इस मंदिर का निर्माण राजपुताना महारानी वृषभभानू कुमारी के द्वारा करवाया गया था और उस समय ये मंदिर बनवाने में 9 लाख के आसपास का खर्च आया था।
इस मंदिर के पास कई सारे सरोवर और कुंड भी मौजूद हैं। जहां पर लोग आकर स्नान करते हैं। स्थानीय लोगों के अनुसार मंदिर के आसपास 115 सरोवर और कुंड हैं। जिसमें से गंगा सागर, परशुराम सागर एवं धनुष सागर सबसे ज्यादा प्रसिद्ध है।
यहां किया था राम जी से विवाह
कहते हैं कि भगवान राम ने यहीं पर माता सीता से विवाह किया था और भगवान शिव का धनुष तोड़ा था। यहां मौजूद पत्थर के टुकड़े को धनुष का अवशेष माना जाता है। सीता जयंती के अवसर पर हजारों की संख्या में श्रद्धालु यहां पर आते हैं और विधि विधान से माता सीता की पूजा अर्चना करते हैं। वहीं मंदिर के प्रांगन में विवाह मंडप स्थित है। कहा जाता है कि इस मंडप पर मां सीता ने राम जी के साथ फेरे लिए थे। मान्यता है कि इस मंडप के दर्शन करने से सुहाग की उम्र लंबी होती है। यहीं वजह है कि शादी के बाद सुहागन औरते यहां आती हैं और यहां से सिंदूर लेकर जाती हैं।
इस मंदिर में 1967 से यानि 54 साल से लगातार भगवान राम और माता सीता का जाप तथा अखंड कीर्तन चल रहा है। वहीं सीता जयंती और भगवान राम और माता जानकी के विवाह के अवसर पर यहां भक्तों का तांता लगा रहता है।
कैसे जाएं
हवाई और सड़के मार्ग के जरिए नेपाल पहुंचा जा सकता है। यहां पर पहुंचकर आप टैक्सी या बस लेकर इस जगह जा सकते हैं।