जानें क्या है क्रोकर मछली जिसकी दुनियाभर में बहुत ही ज्यादा डिमांड है और जो लाखों में बिकती है
इन दोनों पाकिस्तान के बलूचिस्तान में 26 किलो वजनी मछली इन दिनों काफी चर्चा में है. इसकी वजह है इस मछली की कीमत. ये मछली क्रोकर प्रजाति की थी. ये मछली 7 लाख 80 हजार रुपए में बिकी है. ग्वादर जिले में पकड़ी गई ये मछली काफी महंगी होती है. इसके साथ ही ये मछली अपने कई गुणों के कारण भी मशहूर रहती है. इस मछली से कुछ सालों पहले भी एक क्रोकर मछली लगभग 17 लाख रुपए में बेचीं गई थी.
आपको बता दें कि क्रोकर मछली अपने औषधीय गुणों के चलते इतनी महंगी बिकती है. पानी में पाई जाने वाली कई मछलियां कई तरह के प्रोटीन और दूसरे गुणों से काफी भरपूर रहती है. लेकिन क्रोकर मछली इन सब से काफी अलग होती है. इसमें मौजूद एयर ब्लैडर का इस्तेमाल सर्जरी में किया जाता है. इससे उस तरह के टांके बनाये जाते है जो सर्जरी के बाद काम आते हैं. ये काफी आसानी से हमारे शरीर में घुल जाते है साथ ही इनका कोई साइड इफ़ेक्ट भी नहीं होता है. दिल की सर्जरी जैसे मुश्किल काम में इसका काफी इस्तेमाल होता है.
डिलीवरी के बाद भी इसे दिया जाता है
इसके अलावा भी मछली में कई तरह के पोषक तत्व भरपूर मात्रा में मौजूद रहते हैं. इसमें प्रोटीन, विटामिन और माइक्रोइलेमेंट्स रहते है. इनके साथ इस मछली के मांस का इस्तेमाल एम्नीशिया (गंध-स्वाद न आना), अनिद्रा, थकान और थक्कर आने जैसी गंभीर समस्यायों में किया जाता है. इसके साथ ही डिलीवरी के बाद महिलाओं को इसे देने से वह बहुत जल्दी ठीक होती है. इस मछली के गुणों के बारे में कई शोध भी हो चुकी है. इसी वजह से इस यलो क्रोकर मछली की दुनिया भर में काफी डिमांड रहती है. इसकी डिमांड मेडिकल में भी काफी रहती है. ये मछली शरीर में अतिरिक्त कोशिकाओं का निर्माण रोककर कैंसर से भी बचाती है. इससे शरीर में लगी चोट और संक्रमण का इलाज भी जल्दी हो जाता है.
इन मछलियों को पकड़ पाना आसान नहीं है.
ये मछलियां आम तौर से चीन और दक्षिणी पीला सागर में पाई जाती है. डिमांड के मुताबिक इन मछलियों को पकड़ना इतना आसान नहीं है. इसकी वजह ये है कि ये मछली अपने ब्रीडिंग सीजन के दौरान ऊपर की और चली जाती है. ये केवल दो महीनों के लिए भी होता है. मतलब ये कि साल के 12 महीनों में से सिर्फ इन्हे 2 महीनों में ही पकड़ा जा सकता है. ऐसे में इन्हे पकड़ने के लिए मछुआरों को काफी मेहनत करनी पड़ती है.
सत्तर के दशक में चीन में लगभग 2 लाख टन कोक्रर मछली पकड़ी गई थी. उस समय ये मछलियां चीन के अलावा दूसरे देशों में भी बेचीं गई थी. इसके बाद से ही इनकी संख्या कम होनी शुरू हो गई. अब इसे विलुप्त हो रही मछलियों की श्रेणी में रखा गया है. इन मछलियों की प्रजनन बढ़ाने पर हो चुके शोध लेकिन किसी का कोई नतीजा नहीं निकला. चीन, ताइवान, दक्षिण कोरिया और हांगकांग इसकी कमी से काफी परेशान है क्योंकि ये देश ही इससे मेडिसिन तैयार करते थे. हालिया चीन बची-खुची क्रोकर मछलियों को भी अपने काम में ला रहा है.