भगवान परशुराम के जीवन की यह घटनाएं जान कर आप आश्चर्यचकित रह जाएंगे !
भगवान विष्णु के छठे अवतार के रूप में परशुराम की मान्यता है। उन्होंने जमदग्नि के यहां जन्म लिया था। इसलिए उनको जामदग्न्य के नाम से भी जाना जाता है। परशुराम के बहुत सारे किस्से मशहूर है। जैसा कि हम सब को पता ही है कि उन्होंने मात्र अपने पिता के आदेश पर अपनी माता को अपने हाथों से मार दिया था। ऐसी बहुत सारी कथाएं हम आपको आज बताएंगे।
परशुराम ने बछड़े के लिए किया ‘कार्तवीर्य अर्जुन’ का वध :
कार्तवीर्य नाम के राजा युद्ध जीतने के बाद परशुरामजी के पिता के आश्रम में रुक गए थे। जब वह वापस अपने राज्य जाने लगे तो उन्हें एक कामधेनु का बछड़ा पसंद आ गया। क्योंकि वह बहुत ही बलशाली थे। वो उसे वहां से ले जाना चाहते थे जैसे ही इस बात की जानकारी परशुराम को हुई तो उन्होंने उस राजा का वध कर दिया।
21 बार क्षत्रिय विहीन धरती :
कार्तवीर्य राजा की मृत्यु के पश्चात उनके पुत्रों को बहुत क्रोध आया और उन्होंने परशुराम के पिता का वध कर दिया। परशुराम ने क्रोध में आकर कार्तवीर्य के सभी पुत्रों को मार डाला। साथ में क्षत्रिय राजाओं को भी मार डाला जिन्होंने उनका साथ दिया था। परशुराम ने 21 बार क्षत्रियों का वध किया था।
ब्राह्मणों को दान कर दी पृथ्वी :
परशुराम के लगातार क्षत्रियों के मारने पर महाऋषि ऋचिक ने उन्हें यह घोर कर्म करने से मना किया। तब जाकर परशुराम माने और उन्होंने सारी पृथ्वी ब्राह्मणों के नाम कर दी और खुद महेंद्र पर्वत पर जाकर रहने लगे।
लक्ष्मण से विवाद :
रामायण काल से यह घटना बहुत चर्चित है कि जब राम माता सीता के स्वयंवर में गए थे और उन्होंने शिव धनुष तोड़ा था तो उस धनुष के टूटने पर परशुराम को बहुत गुस्सा आ गया था। वह राम और लक्ष्मण से झगड़ पड़े थे। ऐसे में लक्ष्मण ने उनसे बहुत ही बुरे तरीके से व्यवहार किया था। यह सब रचना भगवान के द्वारा रचित थी। क्योंकि परशुराम को बहुत ही ज्यादा अहम हो गया था कि दुनिया में वही सब कुछ हैं।
तोड़ दिया था श्रीगणेश का एक दांत:
परशुराम जी एक बार भगवान शिव से मिलने गए। भगवान शिव जी उस समय ध्यान में थे। इसलिए श्री गणेश ने उन्हें मिलने से रोक दिया। परशुराम को बहुत गुस्सा आया और उन्होंने फरशे से गणेश जी पर वार कर दिया। गणेश जी ने अपने आप को बचाने के लिए अपना दांत आगे कर दिया। जिसकी वजह से उनका एक दांत टूट गया। तब से ही गणेश जी को एकदंत के नाम से जाना जाता है।
भीष्म, द्रोण और कर्ण को सिखाई थी शस्त्र विद्या :
त्रेता युग में भगवान राम के समय पर परशुराम जी मिथिलापुरी गए थे और उन्होंने वहां पर श्री राम को वैष्णव धनुष उपहार में दिया था। साथ ही कथाओं के अनुसार यह भी पता चलता है कि महाभारत के समय भीष्म द्रोण और कर्ण को परशुराम जी ने की शस्त्र विद्या सिखाई थी।
भीष्म से नहीं जीत सके परशुराम जी :
भीष्म पितामह ने एक बार काशी की अम्बा जी को हर लिया था। हरने के बाद वह दुबारा उनको उनके घर छोड़ने आए थे। परंतु अंबा ने उनसे कहा कि वह उनसे विवाह कर लें। भीष्म ने इस बात से इंकार कर दिया। अम्बा उनके गुरु परशुराम के पास पहुंचीं। परशुराम ने भीष्म से अंबा से विवाह करने के लिए कहा पर भीष्म नहीं माने तो उन दोनों में भीषण युद्ध हुआ। अंत में परशुराम ने हारकर अपने शस्त्र नीचे रख दिए।
भगवान राम की ले ली थी परीक्षा :
परशुराम के अंदर बहुत ही अहम था। इसलिए उन्होंने भगवान राम की परीक्षा लेनी चाहिए। उन्होंने भगवान राम को ऐसे धनुष पर प्रत्यंचा चढ़ाने के लिए कहा जिसपर बड़े से बड़े योद्धा भी प्रत्यंचा नहीं चढ़ा पाते हैं। जब राम जी ने उस पर प्रत्यंचा चढ़ा दी तो परशुराम जी के तप का अहम नष्ट हो गया। तभी राम ने परशुराम को ऐसी दिव्य दृष्टि दी जिससे उन्हें पता चला कि भगवान राम असली में भगवान के स्वरूप है।