रविशंकर प्रसाद ट्विटर पर कहा उन्हें भारतीय कानून का सम्मान करना सीखना चाहिए
ट्विटर को लेकर सूचना प्रसारण मंत्री ने कही ऐसी बात की अब उसे मानना ही पड़ेगा नया आईटी क़ानून
सोशल नेटवर्किंग साइटट्विटर और भारत सरकार के बीच शुरू हुआ विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा। आएं दिन कुछ न कुछ नया बखेड़ा इस मामले में खड़ा हो रहा है। ट्विटर है कि भारत सरकार के नियमों के पालन में आना-कानी कर रहा है। वहीं सरकार ने जैसे अब ठान लिया है कि ट्विटर को नियमों का पालन करवाकर ही रहेगी।
इसी बीच देश के केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा है कि भारत अपनी डिजिटल संप्रभुता के साथ कोई समझौता स्वीकार नहीं करेगा। सोशल मीडिया के लिए नए आईटी नियम और ट्विटर विवाद पर एक निजी समाचार चैनल से बात करते हुए उन्होंने साफ कहा कि भारत अपनी ‘डिजिटल संप्रभुता’ से समझौता नहीं करेगा और सोशल मीडिया कंपनियों को भारतीय कानून का पालन करना ही होगा।
मालूम हो कि रविशंकर प्रसाद ने कहा, “बड़ी सोशल मीडिया कंपनियां भारत से बड़ा मुनाफा बनाती हैं। इनकी देश में वृहद मौजूदगी है। सामान्य नागरिक, पत्रकार, उद्योगपतियों तक को ट्रोल किया जाता है। हम निजता का सम्मान करते हैं। लेकिन कंपनियों को आतंकी गतिविधियों, असामाजिक तत्वों, राष्ट्रविरोधी गतिविधियों से संबंधित मामलों में जानकारी मुहैया करानी पड़ेगी।”
वैसे केंद्रीय सूचना प्रसारण मंत्री के बयानों में शत-प्रतिशत सच्चाई है। जब कोई विदेशी कंपनी हमारे देश से राजस्व कमा रही। फ़िर उसकी हमारे प्रति जिम्मेदारी भी बनती है। उसको निभाने में ये कम्पनियां दूर क्यों भाग रही? इतना ही नहीं केंद्रीय मंत्री ने कहा, “हम आलोचना का सम्मान करते हैं। कोई भी आलोचना कर सकता है। ये हमारे लोकतंत्र का हिस्सा है, लेकिन कानून सर्वोपरि हैं। भारत अपनी डिजिटल संप्रभुता के साथ किसी भी रूप में समझौता नहीं कर सकता। भारत एक लोकतंत्र है जो संविधान के हिसाब से चलता है। ट्विटर को हमें लोकतंत्र की मेरिट के आधार पर लेक्चर देना बंद करना चाहिए।”
आगे अपनी बात रखते हुए सूचना प्रसारण मंत्री ने कहा कि भारत में शिकायत निवारण अधिकारी की मौजूदगी होनी चाहिए। इन कंपनियों को भारतीय संविधान का सम्मान करना सीखना होगा। कुछ लोग ट्विटर पर राजनीति करते हैं। अब वो ट्विटर के साथ मिलकर राजनीति कर रहे हैं। वहीं वॉट्सएप को लेकर उन्होंने कहा-सभी यूजर्स को संपूर्ण स्वतंत्रता है कि वो पहले की तरह प्लेटफॉर्म का इस्तेमाल करें। उनके कंटेंट को डिस्क्लोज करने की कोई आवश्यकता नहीं है। उन्होंने कहा-लद्दाख चीन का हिस्सा है? दोहरे मापदंड भारत, अमेरिका और अन्य देशों में दिखे हैं।
मीडिया के पास शिकायत निवारण का मैकेनिजम है। मुद्दा ये है कि इरादा भी होना चाहिए। इतना ही नहीं उन्होंने कहा कि ,” डिजिटल इंडिया को दुनियाभर में सम्मान से देखा जाता है। किसी भी भारतीय की सहमति के अधिकार का सम्मान किया जाना चाहिए। हम तकनीक पर भरोसा करते हैं। हम सत्ता में सोशल मीडिया की बड़ी कंपनियों की वजह से नहीं आए हैं। हम सत्ता में हैं क्योंकि भारत के लोगों ने हम पर भरोसा दिखाया है। कुल-मिलाकर देखें तो रविशंकर प्रसाद ने यह स्पष्ट कर दिया है कि इन विदेशी कम्पनियों को भारत मे अपने व्यापार बनाएं रखना है। तो भारतीय क़ानूनों और संवैधानिक नियमों का पालन करना होगा। वरना स्थिति बिगड़ सकती है।
वैसे भी जिस देश में इन सोशल नेटवर्किंग कम्पनियों ने बड़ा कारोबार फ़ैलाकर रखा है। वहां के संवैधानिक नियमों और लोगों की निजता की रक्षा करना उनका पहला धर्म होना चाहिए।
क्या है विवाद का कारण…
सरकार और सोशल मीडिया कंपनियों के बीच विवाद नए आईटी नियमों की वजह से शुरू हुआ है, जिन्हें भारत सरकार ने 26 मई से लागू कर दिया है। नए नियमों के अनुसार, व्हाट्सऐप और फेसबुक जैसी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स के जरिए भेजे और शेयर किए जाने वाले मैसेजेस के ओरिजनल सोर्स को ट्रैक करना जरूरी है। यानी अगर कोई गलत या फेक पोस्ट वायरल हो रही है तो सरकार कंपनी से उसके ऑरिजनेटर के बारे में पूछ सकती है और सोशल मीडिया कंपनियों को बताना होगा कि उस पोस्ट को सबसे पहले किसने शेयर किया था।
साथ ही साथ नया आईटी नियम यह कहता है कि सोशल मीडिया कंपनियों को किसी पोस्ट के लिए शिकायत मिलने पर उसके खिलाफ कार्रवाई करनी होगी। इसके लिए कंपनियों को तीन अधिकारियों (मुख्य अनुपालन अधिकारी, नोडल अधिकारी और शिकायत निवारण अधिकारी) को नियुक्त करना होगा। ये अधिकारी भारत के ही रहने वाले होने चाहिए और इनका कॉन्टेक्ट नंबर सोशल मीडिया वेबसाइट के अलावा एप पर होना अनिवार्य है ताकि लोग शिकायत कर सकें।
इसके साथ ही अधिकारियों के लिए शिकायत का अपडेट देने के लिए 15 दिनों की समयसीमा भी तय की गई है। साथ ही साथ कंपनियों को पूरे सिस्टम पर नजर रखने के लिए स्टाफ रखने को कहा गया है। यह नया आईटी नियम 26 मई से लागू हो गया है, लेकिन ट्विटर और फेसबुक जैसी कंपनियों ने अभी तक इन नियमों का पालन नहीं किया है।