ऐसा चमत्कारिक मंदिर जहाँ 2 हज़ार सालों से जल रही अखंड ज्योति, भगवान की लीला या कुछ और?
आगर-मालवा में स्थित मंदिर जिसे राजा विजय सिंह ने सपना देखने के बाद बनवाया...
धर्म और अध्यात्म हमारी रगों में समाया हुआ है। भारत के अलग-अलग हिस्सों में अनगिनत ऐसे कई मंदिर हैं। जिनका अपना एक ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व है। साथ ही साथ इन मंदिरों के साथ कुछ रोचक पहलू भी जुड़े होते हैं। ऐसी ही एक मंदिर है। जो मध्यप्रदेश के आगर-मालवा ज़िले में स्थित है। ऐसी मान्यताएं है कि इस मंदिर में क़रीब 2 हज़ार साल से निरंतर अखंड ज्योति चल रही है। फ़िर चाहें आंधी आएं या तूफ़ान। इस ज्योति की ज्वाला पर कोई असर नहीं पड़ता।
वैसे एक हरसिद्धि मन्दिर उज्जैन में भी है। जिस मन्दिर की वज़ह से ही आगर-मालवा में भी हरसिद्धि मन्दिर की स्थापना हुई। उज्जैन महाकाल की नगरी है। जिसका अपना एक अलग महात्म्य है। उज्जैन के बारे में यह किवदंती प्रचलित है कि यहां रात में कोई मुख्यमंत्री नहीं रुकता। इसके पीछे कई कारण है। इसकी चर्चा हम किसी और दिन करेंगे। अभी बात आगर-मालवा में स्थित मां हरसिद्धि मंदिर की करते हैं। हरसिद्धि मन्दिर से जुड़ी कई मान्यताएं एवं इतिहास है। बताया जाता है कि इस मंदिर का निर्माण उज्जैन के राजा विक्रमादित्य के भांजे विजय सिंह ने करवाया था। जब विजय सिंह यहां के राजा थे तब वे मां हरसिद्धि के अनन्य भक्त थे और प्रतिदिन मां हरसिद्धि के दर्शन करने के लिए उज्जैन के हरिसिद्धि मंदिर जाते थे।
मध्यप्रदेश में पग-पग पर कई धार्मिक मान्यताएं एवं चमत्कार समेटे मंदिर है। भारत देश के “हृदय” मध्य प्रदेश में कई ऐसे मंदिर है जो चमत्कारों से भरे हुए हैं। जहां कई मान्यताएं भी है। आज हम आपको मध्य प्रदेश के आगर मालवा जिले के बीजा नगरी स्थित मां हरसिद्धि के चमत्कारी मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं। मां हरसिद्धि का यह मंदिर मध्य प्रदेश के प्रमुख चमत्कारी मंदिरों में से एक है। यहां लगभग 2000 वर्षों से अखंड ज्योति जल रही है। यहां विराजित माँ हरसिद्धि दिन भर में 3 रूपों में दिखाई देती है। जो भी किसी चमत्कार से कम नहीं।
वही बता दें कि इस मंदिर का निर्माण उज्जैन के राजा विक्रमादित्य के भांजे विजयसिंह ने करवाया था। यहां नवरात्रि में भक्तों का सैलाब उमड़ता है और मन्नतधारियों का ताता लगा रहता है। मध्य प्रदेश के आगर मालवा जिले से लगभग 20 किलोमीटर दूर बीजा नगरी स्थित मां हरसिद्धि मंदिर के चमत्कारी होने का पहले बड़ा जीता जागता उदाहरण यहां की बरसों पुरानी अखंड ज्योति है। बताया जाता है कि यहां 2000 वर्षों से अखंड ज्योति जल रही है। जो हवा चलने पर भी नहीं बुझती है। जिसके दर्शन मात्र से ही कई रोग और कष्ट दूर हो जाते हैं। मां हरसिद्धि मंदिर की ख्याति पूरे प्रदेश में फैली हुई है। यहां कई बड़ी राजनीतिक हस्तियां भी मत्था टेक चुकी है।
मां हरसिद्धि मंदिर से जुड़ी कई अन्य मान्यताएं एवं इतिहास भी बताया जाता है। ऐसी किवदंती है कि मंदिर का निर्माण उज्जैन के राजा विक्रमादित्य के भांजे विजयसिंह ने करवाया था। जब विजयसिंह यहां के राजा थे तब वे माँ हरसिद्धि के अनन्य भक्त थे और प्रतिदिन मां हरसिद्धि के दर्शन करने के लिए उज्जैन की हरसिद्धि मंदिर जाते थे। उनकी इसी भक्ति को देखकर मां हरसिद्धि ने राजा विजय सिंह के सपने में दर्शन देकर कहा कि, “मैं तुम्हारी भक्ति से प्रसन्न हुई हूं। तुम बीजा नगरी में ही मेरा मंदिर बनवाओ और उस मंदिर का दरवाजा पूर्व दिशा में रखना।” राजा विजय सिंह ने ऐसा ही किया एवं मंदिर निर्माण करवाया। जिसके बाद माता ने पुनः राजा को सपने में आई और कहा कि, “मैं तुम्हारे बनाए हुए मंदिर में विराजमान हो गई हूं। तुमने मंदिर का दरवाजा पूर्व में रखा था। अब वह पश्चिम में हो गया है।”
राजा जब सुबह उठकर मंदिर पहुँचते है। तो उन्होंने देखा कि मंदिर का दरवाजा पश्चिम में हो गया है। जिसके बाद मंदिर में कई चमत्कार हुए। मालूम ही कि वर्तमान में मां हरसिद्धि का मंदिर पुरातत्व विभाग के अधीन है। मां हरसिद्धि मंदिर पर नवरात्रि में लाखों श्रद्धालु दर्शन करने आते हैं। यहां हर मान्यता पूरी होती है। मन्नत लेने वाले श्रद्धालु गोबर से उल्टा स्वस्तिक मंदिर पर बनाते हैं। जब श्रद्धालुओं की मन्नत पूरी हो जाती है तो वह मंदिर में आकर सीधा स्वास्तिक बनाते है। चमत्कारी मंदिर में विराजित मां हरसिद्धि दिन भर में तीन रूप में नजर आती है। यहां पहुंचने वाले श्रद्धालुओं के अनुसार मां हरसिद्धि सुबह बचपन, दोपहर में यौवनावस्था में और शाम को बुढ़ापे के रूप में दिखाई देती है। माता के तीन रूप में दर्शन करने के लिए यहां श्रद्धालुओं की भीड़ लगी रहती है।