सात जन्मों तक साथ निभाने का वादा चंद घंटो में टुटा, जानिए क्या है पूरा मामला…
रात में हुई शादी, सुबह पहुंची ससुराल के दहलीज़ पर फिर हुआ कुछ ऐसा...
शादी एक पवित्र रिश्ता होता है। जब शादी के मंडप में एक दूल्हा और दुल्हन फेरे ले रहे होते हैं। तो दोनों जन्मों-जन्म तक साथ निभाने का वादा करते हैं, लेकिन हम एक ऐसी शादी के बारे में बताने जा रहें। जिसमें डोली उठने के चंद घण्टों के बाद लड़की के घर वालों को अर्थी उठाना पड़ा। जी हां यह दुःखद ख़बर बिहार के नालंदा ज़िले की है।
बता दें कि बिहार के नालंदा के सोहसराय थाना क्षेत्र के बंधु बाजार से एक दिल दहला देने वाली खबर सामने आयी है। असल में, बंधु बाजार के निवासी मनोज पंडित के पुत्र विकास की सोमवार रात शादी हुई थी, जिसके बाद अगली सुबह वह दुल्हन को विदा कराकर अपने घर पहुँचता ही है कि उसके पहले ही एक अनहोनी दाम्पत्य जीवन में दख़ल देती है। बता दें कि जैसे ही दुल्हन अपने घर से दूल्हे के घर की दहलीज पर कदम रखती है। वह दम तोड़ देती है। जिसके बाद ख़ुशी का माहौल ग़मगीन हो जाता है। जन्मों-जन्म का साथ निभाने का वादा चंद घण्टों में ही टूट जाता है।
आपको बता दें कि बिहार के नवादा के निवासी गोपाल पंडित की पुत्री आरती की शादी बिहार शरीफ के सोहसराय बंधु बाजार निवासी मनोज पंडित के पुत्र विकास से तय थी। जिसके बाद सोमवार को दोनों कि शादी हुई। उस दौरान तक सब कुछ ठीक था। इसके बाद विकास अपनी दुल्हन को विदा करा कर घर लाया। दुल्हन के घर आने के बाद उसे गाड़ी से उतारने की रस्म चल रही थी, मगर इस बीच उसकी तबीयत बिगड़ने के बाद अचानक सब परेशान हो गए।
शादी के बाद घर पहुंची दुल्हन की महिलाएं गाल सिकाई की रस्म कर रही थीं, उसी दौरान दुल्हन की तबीयत बिगड़ने लगी। उसे इलाज के लिए सदर अस्पताल ले जाया गया। जहां डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया। इस दौरान दोनों परिवार के लोग कोरोना वायरस के डर से भी आशंकित थे। दुल्हन की कोरोना जांच भी हुई। मगर रिपोर्ट तो निगेटिव आई, लेकिन जो दिल आपस में मिलकर एक हो रहें थे। उसमें से एक ने चंद घण्टों में साथ छोड़ दिया।
इधर मृतका आरती के भाई ने बताया शादी वाली रात से ही उसे पेट दर्द और उल्टी हो रही थीं। शादी की वजह से कोई ध्यान नहीं दे पाया और सुसराल पहुँचते ही उसकी अचानक तबीयत खराब हो गई जिसके बाद उसकी अचानक मौत हो गयी। यह बुरी खबर सुनते ही दोनों परिवार में कोहराम मच गया। बेटी के डोली में विदा होने के चंद घंटों में ही उसे अर्थी पर विदा करने पर परिवार को मजबूर होना पड़ा।