महिला ने इंसानियत को दिया नया मुकाम, जॉब छोड़ कोविड-19 संक्रमित लाशों का कर रही अंतिम संस्कार
कोरोना महामारी ने लाखों लोगों की जान ली है। एक समय पर तो स्थिति ऐसी भी हुई जब श्मशान घाट में लाशों को जलाने या दफनाने के लिए जगह भी नहीं बची। लोगों को यहां भी अपने प्रियजनों का अंतिम संस्कार करने के लिए लंबा इंतजार करना पड़ा। इसके साथ ही कुछ ऐसे मामले भी देखने को मिले जब कोरोना पॉजिटिव व्यक्ति के अंतिम संस्कार में उनके ही सगे रिश्तेदार संक्रमित होने के डर से शामिल नहीं हुए।
इस बीच आज हम आपको एक ऐसी महिला से मिलाने जा रहे हैं जिसने अपनी अच्छी खासी नर्स की जॉब सिर्फ इसलिए छोड़ दी क्योंकि वह इंसानियत की खातिर इस मुश्किल दौर में कोरोना संक्रमित लाशों का अंतिम संस्कार करनया चाहती थी। इंसानियत की सच्ची मिसाल कायम करने वाली इस महिला का नाम मधुस्मिता प्रुस्टी (Madhusmita Prusty) है।
मधुस्मिता कोलकाता के फोर्टिस में नर्स की नौकरी करती थी। लेकिन वह अपनी नर्सिंग की जॉब छोड़ भुवनेश्वर में कोविड संक्रमित और लावारिस शवों का अंतिम संस्कार करने आ गई। इस काम में उनके पति भी उनकी सहायता करते हैं।
Odisha | Madhusmita Prusty quit nursing job at Kolkata’s Fortis to help her husband in cremating COVID-infected & unclaimed bodies in Bhubaneswar
“Nursed patients for 9 yrs. Returned here in 2019 to assist my husband in performing abandoned bodies’ last rites,” she said (23.05) pic.twitter.com/DYHBB0nD6F
— ANI (@ANI) May 23, 2021
ANI को दिए इंटरव्यू में मधुस्मिता ने बताया कि ‘9 वर्षों तक मैंने नर्ज के रूप में मरीजों की सेवा की। मैंने साल 2019 में लावारिस शवों का अंतिम संस्कार करने में अपनने पति की मदद करने के लिए यहां आई थी।’
I performed last rites of 500 bodies in 2.5 years & over 300 Covid bodies last year in Bhubaneswar. Being a woman, I was criticised for doing so but I continued working under a trust run by my husband: Madhusmita Prusty, who quit nursing job to cremate unclaimed bodies in Odisha pic.twitter.com/oips5OYsAD
— ANI (@ANI) May 23, 2021
वे आगे कहती हैं ‘बीए ढाई सालों में मैंने भुवनेश्वर में500 शवों और 300 से ज्यादा कोरोना पॉजिटिव शवों का अंतिम संस्कार किया है। चुकी मैं एक महिला थी तो इस कारण कई लोगों ने ये काम करने को लेकर मेरी आलोचना भी की, हालांकि मैं अभी भी अपने पति की उनके एक ट्रस्ट के अंतर्गत इस काम में मदद कर रही हूं।’
वैसे सोशल मीडिया पर महिला के इस काम की काफी तारीफ़ें भी हो रही है। किसी ने कहा कि ‘महिला जो काम कर रही हैं वह कई सगे रिश्तेदार करने से कतराते हैं।’ फिर एक अन्य कमेंट आता है ‘आप अपनी जान जोखिम में डालकर कोरोना संक्रमित लाशों का अंतिम संस्कार कर रही हैं। आपको मेरा सलाम। आप जैसे लोग कम ही देखने को मिलते हैं।’