पति की मौत के गम में भटक कर 1200KM दूर आ गई थी मां, महाकाल ने ऐसे बेटी से मिलवाया
कोरोना काल में न जाने कितने परिवार उजड़ गए। इस महामारी के दौर में लोगों की न सिर्फ आर्थिक स्थिति डगमगाई बल्कि मानसिक रूप से भी वे हिल गए। कोरोना के चलते बहुत से लोगों ने अपनों को खोया। कुछ तो अपनों को खोने का गम बर्दाश्त नहीं कर सके। ऐसे में किसी ने आत्महत्या कर ली तो किसी का मानसिक संतुलन ही बिगड़ गया।
बिहार के गया की रहने वाली 65 वर्षीय वृद्धा माधवी के साथ भी ऐसा ही हुआ। माधवी के पति की 11 नवंबर 2020 को कोरोना के चलते मौत हो गई थी। वे मेडिकल कंपनी में मैनेजर के रूप में काम कर चुके थे। पति की मौत ने माधवी को हिला दिया। वह पति के जाने का गम बर्दाश्त नहीं कर सकी और उनका मानसिक संतुलन बिगड़ गया।
इसके बाद वह गया के पाखंडियों की बातों में आ गई और मोक्ष पाने के लिए पैसे लुटाती रही। फिर कुछ दिनों पहले वह ट्रेन से महाकाल की नगरी उज्जैन आ गई। हालांकि लॉकडाउन की वजह से उन्हें कहीं रहने का आश्रय नहीं मिला। ऐसे में एक लड़के ने उन्हें महाकाल थाने जाने की सलाह दी। उसने कहा कि वे लोग आपकी मदद जरूर करेंगे। फिर थाना प्रभारी थाना महाकाल ने महिला की स्थिति देखते हुए उन्हें 20 मई को अंकित ग्राम सेवाधाम आश्रम भेज दिया।
उधर उज्जैन से 1200 किलोमीटर दूर गया में माधवी की बेटी अपनी मां को ढूंढने की कोशिश करती रही। इसके लिए उसने न्यूजपेपर में मिसिंग के कई विज्ञापन भी दिए। फिर एक दिन उन्हें अचानक फोन आया और मां के उज्जैन में होने की बात पता चली। दरअसल महिला से पूछताछ में महाकाल थाना पुलिस को कुछ खास पता नहीं चल पाया था। लेकिन उन्हें महिला के पास एक डायरी भी मिली थी। जब पुलिस ने इन नंबरों पर कॉल करना शुरू किया तो एक नंबर माधवी की बेटी का भी निकला।
मां की खबर सुनते ही बेटी की खुशी का ठिकाना नहीं रहा। वह तुरंत अपने पति के साथ गया से उज्जैन आई और मां से मिली। आश्रम में जब मां बेटी का फिर से मिलन हुआ तो भावनाओं की नदी सी बह गई। आंसुओं की धारा रुकने का नाम नहीं ले रही थी। ये नजारा जिसने भी देखा उसकी आंखें भी खुशी से नम हो गई। हर कोई यही कहने लगा कि महाकाल की लीला भी न्यारी है। उसने बिछड़ी हुई मां बेटी को मिला दिया। इस दौरान महाकाल थाना पुलिस के काम की भी सराहना हुई।