कोविड से ठीक होने के बाद ब्लैक फंगस शुरू होने से पहले दिखाई देते हैं यह लक्षण, जानिए
देश में कोरोना वायरस महामारी की दूसरी लहर के दौरान नए मामलों में कमी भले आई है, लेकिन यह समस्या कम नहीं हुई है। इसी बीच अब “ब्लैक फंगस” ने देश में हाहाकार मचा दिया है। सरकार को भी ब्लैक फंगस ने मुश्किल में डाल दिया है। सरकारें अभी कोरोना से निपटने में ही अपने आपको सक्षम नहीं पा रही थी कि अब नई मुसीबत उनके सामने खड़ी हो गई है। देश में ब्लैक फंगस के मामलों में बढोत्तरी के बाद खुद प्रधानमंत्री और केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने इसे नई चुनौती बताया है।
मालूम हो “ब्लैक फंगस” रूपी बीमारी को 15 राज्यों ने महामारी के रूप में घोषित कर दिया है। “ब्लैक फंगस” को महामारी घोषित करने वाले राज्यों में छत्तीसगढ़, हरियाणा, मध्यप्रदेश, हिमाचल प्रदेश, कर्नाटक, यूपी, पंजाब, गुजरात, तमिलनाडु, राजस्थान, ओडिशा, बिहार, चंडीगढ़, उत्तराखंड और तेलांगना शामिल हैं। वहीं देशभर में ब्लैक फंगस से संक्रमित मरीजों की कुल संख्या 8848 पहुँच गई है। ब्लैक फंगस के सबसे ज्यादा मामले गुजरात में हैं। जहां 2281 लोग ब्लैक फंगस की चपेट में आ चुके हैं। इसके अलावा महाराष्ट्र में 2000 मामले, आंध्र प्रदेश में 910 मामले, मध्यप्रदेश में 720, राजस्थान में 700, कर्नाटक में 500, दिल्ली में 197, यूपी में 124, तेलंगाना में 350, हरियाणा में 250 तो वहीं बिहार में ब्लैक फंगस के अबतक 167 मरीजों की पहचान हो चुकी है।
ऐसे में आइए जानते हैं कि क्या है “ब्लैक फंगस” और कैसे करें इससे बचाव…
गौरतलब हो कि कुछ समस्याएं किसी एक समस्या के कारण उत्पन्न होती हैं। जिन्हें पहले से उत्पन्न समस्या का प्रति उत्पाद कहते हैं। ब्लैक फंगस भी कहीं न कहीं कोरोना का प्रति उत्पाद है, क्योंकि यह कोरोना महामारी के ईलाज के दौरान दी जा रही कुछ दवाइयों या कुछ अन्य कारणों से बढ़ रहा है। हां ज़रूरी बात यह है कि अगर कोई व्यक्ति पहले से ही डायबिटीज जैसी किसी गंभीर बीमारी से ग्रस्त हैं, तो उसे सावधान रहने की विशेष आवश्यकता है।
आइए पहले जानते हैं क्या होता है ब्लैक फंगस और क्या है इसके लक्षण?
There has been an increasing trend in the fungal infection being seen in COVID patients. This was also reported to some extent during SARS outbreak. Uncontrolled diabetes with COVID can also predispose to the development of Mucormycosis: AIIMS Director Dr Guleria on Black fungus pic.twitter.com/VfceT6POFS
— ANI (@ANI) May 21, 2021
डॉ. गुलेरिया ने ट्वीट में लिखा है कि, “कोविड मरीजों में फंगल इंफेक्शन देखने को मिल रहा है। एसएआरएस के प्रकोप के दौरान कुछ हद तक हमें ये भी पता चला है कि कोविड के मरीजों की डायबिटीज अगर संतुलित नहीं होगी, तो उन्हें म्यूकोर्मिकोसिस (ब्लैक फंगस) हो सकता है। वहीं मुलुंड स्थित फोर्टिस अस्पताल की सीनियर कंसल्टेंट एंडोक्रिनोलॉजिस्ट डॉ श्वेता बुडयाल के मुताबिक ब्लैक फंगस आमतौर पर साइनस, मस्तिष्क और फेफड़ों को प्रभावित करता है। हालांकि बुडयाल के मुताबिक ओरल केविटी या मस्तिष्क के ब्लैक फंगस से सबसे अधिक प्रभावित होने की आशंका रहती है लेकिन कई मामलों में यह शरीर के अन्य हिस्सों को भी प्रभावित कर सकता है जैसे कि गैस्ट्रोइंटेस्टिनल ट्रैक्ट, स्किन और शरीर के अन्य ऑर्गन सिस्टम्स। डॉ बुडयाल के मुताबिक अगर इनमें से कुछ भी लक्षण है तो ब्लैक फंगस को लेकर जांच कराना चाहिए। यह तो बात हुई ब्लैक फंगस के लक्षणों की।
अब जान लेते हैं, अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान द्वारा जारी की गई गाइडलाइंस के बारे में। जिसे जानने के बाद हम अपने आपको ब्लैक फंगस जो अधिकतर राज्यों में महामारी बन रही उससे बच सकें। गाइडलाइन्स के मुताबिक जिन व्यक्तियों को डायबिटीज की बीमारी है, जिनका शुगर लेवल ठीक नहीं है और डायबिटीज होने के बाद स्टेरॉयड या “टोसिलिजुमैब” दवाइयों का सेवन कर रहे हैं। इसके अलावा जो लोग कैंसर का इलाज करा रहे हैं और जिन्हें सांस लेने में समस्या है उन्हे यह बीमारी जल्दी हो सकती है। इसके अलावा अधिक मात्रा में स्टेरॉयड लेने वाले मरीज़ भी ब्लैक फंगस की गिरफ्त में आ सकते हैं।
ब्लैक फंगस के लक्षण…
इसके लक्षणों में नाक से खून बहना, पपड़ी जमना, नाक का बंद होना या काला-सा कुछ निकलना, चेहरे का सुन्न हो जाना या झुनझुनी-सी महसूस होना, आंख को खोलने-बंद करने में दिक्कत होना, सिर और आंख में दर्द, आंखों के पास सूजन, आंखों का लाल होना, धुंधला दिखना, कम दिखाई देना, मुंह को खोलने में या कुछ चबाने में दिक्कत होना और दांतों का गिरना आदि शामिल है।
कैसे करें बचाव…
इस बीमारी से बचने के लिए शुगर कंट्रोल करना पहली प्राथमिकता होनी चाहिए। इतना ही नहीं जो लोग शुगर के रोगी नही, लेकिन लगातार स्टेरॉयड ले रहे उन्हें लगातार अपनी शुगर चेक करते रहना चाहिए। साथ ही साथ डॉक्टर की सलाह लगातार लेते रहना चाहिए। इसके अलावा जहां तक संभव हो खुद ही स्टेरॉयड या किसी अन्य दवा के सेवन से बचें और नाक-आंख की जांच भी करते रहें।