माथे पर तिलक लगाते समय चावल के दाने क्यों लगाए जाते हैं? वजह है बड़ी दिलचस्प
पूजा पाठ या शुभ कार्यों के दौरान कई लोग माथे पर तिलक लगाते हैं। ये तिलक कुमकुम, चंदन, केसर इत्यादि का हो सकता है। यदि आप ने नोटिस किया हो तो तिलक लगाने के बाद अक्सर चावल भी माथे पर लगाए जाते हैं। ऐसे में क्या आप ने कभी सोचा है कि ऐसा क्यों होता है? आइए जानते हैं।
माथे पर तिलक के बाद चावल लगाने की कई वजहें हैं। जैसे एक तर्क ये है कि चावल सबसे शुद्ध अन्न होता है। यही वजह है कि छोटी पूजा से बड़े अनुष्ठानों तक इसका इस्तेमाल हर जगह होता है। यहां तक कि भगवान को जब भोग लगाया जाता है तो उसमें भी चावल का उपयोग होता है। इसके अलावा श्रद्धा और पुरानी परंपरा के चलते भी तिलक में चावल लगाया जाता है।
कुछ लोग चावल को सफलता का प्रतीक भी मानते हैं। चावल को अक्षत भी कहा जाता है। इसका अर्थ है कि वह चीज जो कभी नष्ट नहीं हो सकती है। जिसका कभी नाश नहीं होता है। जब भी कोई शुभ कार्य करते हैं तो चावल लगाने की परंपरा है। ऐसी मान्यता है कि चावल का इस्तेमाल करने से सभी कार्य बिना किसी बाधा के समय पर पूर्ण होते हैं। हवन करते समय भी देवी देवताओं को चावल ही चढ़ाया जाता है। ऐसा कहा जाता है कि चावल अर्पित करने से देवी देवता जल्दी प्रसन्न होते हैं।
हिंदू धर्म में चावल को संपन्नता का प्रतीक माना गया है। ऐसी मान्यता है कि ये चावल घर में खुशहाली और पैसा लाता है। इसलिए घर के सभी शुभ और धार्मिक कार्यों में इसका इस्तेमाल अनिवार्य हो जाता है। एक मत ये भी है कि चावल को माथे के तिलक के रोपप में लगाने से हमे पॉजिटिव एनर्जी मिलती है। ये हमारे दिमाग को सकारात्मक विचार देता है। इससे हमारा किसी काम को करने में फोकस और भी बढ़ जाता है। नरिजन वह काम बहुत अच्छे ढंग से होता है।
यहां तक कि बच्चों को पढ़ाई करते समय, स्कूल जाते समय या परीक्षा देते समय भी चावल के टीके की सलाह दी जाती है। इससे स्टूडेंट्स का पढ़ाई में फोकस बढ़ जाता है। नौकरी करने वाले लोगों को भी अपने ऑफिस चावल का तिक लगाकर जाना चाहिए। इससे उनके काम में अच्छी चीजें दूर से ही दिखेंगी और उनका प्रमोशन जल्दी होगा।
वैसे चावल को माथे पर तिलक के रूप में लगाने के अलावा उसे अपने आस-पास फेंकने की परंपरा भी है। मान्यता है कि इससे बुरी और नेगेटिव शक्तियां दूर रहती है।