जानिए किसके कहने पर समाजवाद के पुरोधा लोहिया ने छोड़ी थी सिगरेट…
जिंदा कौमें पांच साल तक इंतज़ार नहीं करतीं ये प्रसिद्ध कथन राम मनोहर लोहिया ने कहा था...
यह उक्ति तो सभी ने कई बार सुना होगा कि, “जिंदा कौमें पांच साल तक इंतज़ार नहीं करतीं।” हम आपको बता दें कि यह उक्ति डॉ. राम मनोहर लोहिया की है। जिसे उन्होंने कांग्रेस सरकार को उखाड़ फेंकने का आह्वान करते हुए कहा था। समाजवाद के जनप्रिय नेताओं में से एक डॉ. राम मनोहर लोहिया प्रखर वक्ता और समाज सुधारक थे। वह अपनी स्पष्टवादिता के लिए जाने जाते थे। एक बार राम मनोहर लोहिया ने भरी महफिल में इंदिरा गांधी को “गूंगी गुड़िया” तक कह दिया था। राम मनोहर लोहिया ही थे जिन्होंने कहा महिलाओं को सीता नहीं होना चाहिए, द्रौपदी बनना चाहिए। राजनीति की जानकारी रखने वाले किसी बच्चे से भी पूछ लीजिए तो वो बता देगा कि जब जब लोहिया बोलते थे। तब तब दिल्ली का तख़्ता डोलता था। आइए हम जानते हैं डॉ. राम मनोहर लोहिया से जुड़ी कुछ बातें जिसे सामान्य लोगों को नहीं मालूम…
गौरतलब हो जब देश जवाहर लाल नेहरू को अपना सबसे बड़ा नेता मान रहा था, तो वह लोहिया ही थे जिन्होंने नेहरू को सवालों से घेरना शुरू किया था। नेहरू से उनकी तल्खी का अंदाजा इस बात से ही लगाया जा सकता है कि उन्होंने एक बार तो यहां तक कह दिया था कि बीमार देश के बीमार प्रधानमंत्री को इस्तीफ़ा दे देना चाहिए। 1962 में लोहिया फूलपुर में जवाहर लाल नेहरू के ख़िलाफ़ चुनाव लड़ने चले गए।
लोहिया जी कहते थे मैं पहाड़ से टकराने आया हूं। मैं जानता हूं कि पहाड़ से पार नहीं पा सकता लेकिन उसमें एक दरार भी कर दी तो चुनाव लड़ना सफल हो जाएगा। 1967 में राम मनोहर लोहिया इकलौते ऐसे व्यक्ति थे जिन्होंने कहा था कि कांग्रेस के दिन जाने वाले हैं और नए लोगों का जमाना आ रहा है। लेकिन आज दुर्भाग्य देखिए कि समाजवादी और कांग्रेसी एक से हो चले हैं। दोनो के विचारों में कोई अंतर नज़र नहीं आता। एक दौर था जब कांग्रेस लोहिया को फूटी आंख नहीं सुहाती थी और आज मोदी सरकार को लेकर कांग्रेस और सपा लगभग एक जैसी बोली बोलती है। फ़िर सवाल तो यही बनता क्या समाजवादियों ने अपने पुरोधा के विचारों को तिलांजलि दे दी? वैसे गांधी के विचारों को भुलाने का कार्य तो कांग्रेस ने भी किया है, लेकिन उन्हें याद कौन दिलाएं।
बात राम मनोहर लोहिया की कर रहें। यहां हम आपको बता दें कि लोहिया का निजी जीवन भी कम दिलचस्प नहीं था। लोहिया अपनी ज़िंदगी में किसी का दख़ल भी बर्दाश्त नहीं करते थे। हां लेकिन वह निजी जीवन मे भी गांधी के दख़ल को बुरा नहीं मानते थे। इस बात के पीछे एक दिलचस्प क़िस्सा है। बता दूं कि राम मनोहर लोहिया को सिगरेट पीने की बुरी लत लगी थी। ऐसे में महात्मा गांधी ने उनके निजी जीवन में दख़ल देते हुए उनसे सिगरेट पीना छोड़ने को कहा। जिसके बाद राम मनोहर लोहिया ने बापू को कहा था कि सोच कर बताऊंगा। गौरतलब हो इस मामले पर तीन महीने के बाद उन्होंने महात्मा गांधी को बताया कि उन्होंने सिगरेट छोड़ दी है।
वहीं समाजवाद के सज़ग प्रहरी लोहिया के व्यक्तिगत जीवन की बात करें तो वह जीवन भर रमा मित्रा के साथ लिव इन रिलेशनशिप में रहे। रमा मित्रा दिल्ली के मिरांडा हाउस में प्रोफेसर थी। दोनों के एक दूसरे को लिखे पत्रों की किताब भी प्रकाशित हुई थी। डॉ राम मनोहर लोहिया का जन्म 23 मार्च 1910 को उत्तर प्रदेश के अम्बेडकर नगर जिले में हुआ। डॉ राम मनोहर लोहिया के पिता एक अध्यापक थे साथ ही साथ देशभक्त भी। राम मनोहर लोहिया जब ढाई वर्ष के थे, तभी उनकी माता का देहान्त हो गया था। वही लोहिया के राजनीतिक जीवन की बात करें तो उन्हें सिर्फ एक बार ही कन्नौज से 1967 लोकसभा में विजय प्राप्त हुई थी। लेकिन भारतीय राजनीति में उनका प्रभाव बहुत अधिक था। एक समय ऐसा था जब वे गैर कांग्रेस वाद के सबसे बड़े प्रतीक बन गए थे।