मोदी सरकार का ऐतिहासिक फैसला: अब किसानों को डीएपी खाद पर 500 से बढ़कर 1200 रूपये मिलेगी सब्सिडी
भले ही किसानों की आड़ में सेकुलरिज्म के झंडाबरदार मोदी सरकार को बदनाम करने के लिए किसान आंदोलन की आंच को हवा दे रहें हो, लेकिन एक बात तय है कि मोदी सरकार लगातार किसानों के हित मे कार्य कर रही। किसानों की सबसे बड़ी समस्या क्या है उसे अपनी उपज का उचित मूल्य नहीं मिलता, खाद-बीज की कालाबाजारी से किसान आएं दिन परेशान रहता है। ऐसे में केंद्र सरकार अब किसानों को सस्ती दर पर डीएपी खाद उपलब्ध कराने की दिशा में बढ़ गई है।
केंद्र सरकार ने बुधवार को किसानों के हित में खाद सब्सिडी बढ़ाने का बड़ा फैसला किया है। सरकार ने डीएपी पर अब 140 फ़ीसदी सब्सिडी बढ़ा दी है। बताया जा रहा है कि अब किसानों को डीएपी का एक बैग 2400 रुपये के बजाय सिर्फ़ 1200 रुपये में मिलेगा। सरकार के इस निर्णय से किसानों को डीएपी पर 500 रुपये प्रति बोरी से बढ़कर अब 1200 रुपये प्रति बोरी की सब्सिडी मिलेगी।
गौरतलब हो कि सरकार इस सब्सिडी के लिए 14,775 करोड़ रुपये का अतिरिक्त व्यय करने जा रही है। प्रधानमंत्री मोदी ने एक बैठक में यह बात कही कि अंतर्राष्ट्रीय मूल्यवृद्धि के बावजूद किसानों को पुरानी दरों पर ही खाद मिलना जरूरी है। बता दें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने खाद की कीमतों के मुद्दे पर बुधवार को उच्च स्तरीय बैठक लेते हुए इस पर प्रजेंटेशन लिया। मीटिंग में चर्चा हुई कि अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर फॉस्फोरिक एसिड, अमोनिया आदि की बढ़ती कीमतों के कारण खाद की कीमतों में वृद्धि हो रही है। प्रधानमंत्री ने जोर देकर कहा कि अंतर्राष्ट्रीय कीमतों में बढ़ोतरी के बावजूद किसानों को पुरानी दरों पर ही खाद मिलनी चाहिए।
जिसके बाद इस बैठक में डीएपी खाद के लिए सब्सिडी 500 रुपये प्रति बैग से, बढाकर 140 प्रतिशत यानी 1200 रुपये प्रति बैग, करने का निर्णय लिया गया। इसी बैठक के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि उनकी सरकार किसानों के कल्याण के लिए प्रतिबद्ध है और यह सुनिश्चित करने के लिए हरसंभव प्रयास करेगी कि किसानों को मूल्य वृद्धि का दुष्प्रभाव न भुगतना पड़े। केंद्र सरकार हर साल रासायनिक खादों पर सब्सिडी पर करीब 80,000 करोड़ रुपये खर्च करती है। डीएपी में सब्सिडी बढ़ाने के साथ ही खरीफ सीजन में भारत सरकार 14,775 करोड़ रुपये अतिरिक्त खर्च करेगी। विशेष बात यह कि अक्षय तृतीया के दिन पीएम किसान के तहत किसानों के खाते में 20,667 करोड़ रुपये की राशि सीधे ट्रांसफर करने के बाद, किसानों के हित में यह एक महीने के भीतर दूसरा बड़ा फैसला है।
वहीं मालूम हो कि आपदा में अवसर तलाश रही कांग्रेस ने बुधवार को ही यह आरोप लगाया था कि केंद्र सरकार ने डाइ अमोनिया फास्फेट (डीएपी) खाद की 50 किलोग्राम की बोरी पर 700 रुपये और कुछ अन्य उर्वरकों की कीमतों में वृद्धि कर दी है, जिससे किसानों पर सालाना 20 हजार करोड़ रुपये का अतिरिक्त बोझ पड़ेगा। उसने कहा था कि यह देश के अन्नदाताओं को गुलाम बनाने की साजिश है। इतना ही नहीं कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने सरकार से यह आग्रह किया था कि इन बढ़ी हुई कीमतों को वापस लिया जाए। उन्होंने कहा था, ‘‘ऐसा लगता है कि देश के 62 करोड़ किसानों- मजदूरों को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी गुलाम बनाने की साजिश कर रहे हैं।
पिछले करीब साढ़े छह साल में मोदी सरकार ने खेती में इस्तेमाल की जाने वाली हर चीज़ की कीमत बढ़ाकर किसान पर पहले ही 15,000 रुपया प्रति हैक्टेयर सालाना का बोझ डाल रखा है।’’ ऐसे में अब केंद्र सरकार ने कहीं न कहीं डीएपी पर सब्सिडी बढाकर कांग्रेस को करारा जवाब दिया है। जो कांग्रेस सरकार घोटालों की सरकार बन गई थी मनमोहन सरकार के नेतृत्व में। वह आज मोदी सरकार को किस मुँह से घेरने की कोशिश करती यह समझ से परे है। वैसे डीएपी खाद पर सब्सिडी बढाकर केंद्र सरकार ने एक तीर से दो निशाना लगाया है। एक तो इससे किसानों को होगा फ़ायदा और दूसरा यह कि कांग्रेस को मिला करारा जवाब। ऐसे में क्या अब भी मोदी सरकार किसान विरोधी ही कहलाई जाएगी। जब वह लगातार किसानों के हित में कार्य कर रही?
कहीं न कहीं एक बात तो स्पष्ट है कि तथाकथित लिबरल गैंग देश के किसानों को भ्रमित ही कर रही, वरना मोदी सरकार लगातार सबका साथ-सबका विकास के एजेंडे को धार दे रही है। जिसके अंतर्गत ही डीएपी की सब्सिडी बढाना हो या पीएम किसान के तहत किसानों के खाते में पैसे ट्रांसफर करना शामिल है। वैसे लिबरल गैंग और विपक्षियों की चाल ज़्यादा समय तक चलने वाली नहीं, क्योंकि कोरोना काल में सब दूध का दूध और पानी का पानी हो रहा कि कौन देश के साथ है और कौन विदेशी एजेंडे को हवा दे रहा।