23 मई को आ रहा है मोहिनी एकादशी का व्रत, समुद्र मंथन से जुड़ी है कथा
हर साल मोहिनी एकादशी वैशाख शुक्ल ग्यारस के दिन मनाई जाती है। इस साल मोहिनी एकादशी 23 मई को आ रही है। मोहिनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु की पूजा की जाती है और कई लोग व्रत भी रखते हैं। मान्यता है कि इस दिन व्रत रखने से व विष्णु जी की आराधना करने से सुख-समृद्धि बढ़ती है और परिवार में शांति बनीं रहती है। साथ ही मोह-माया के बंधन से मुक्त मिल जाती है।
मोहिनी एकादशी के शुभ मुहूर्त-
मोहिनी एकादशी तिथि 22 मई 2021, शनिवार को 9 बजकर 15 मिनट से शुरू हो जाएगी। जो कि 23 मई, रविवार को 6 बजकर 45 मिनट पर समाप्त होगी। मोहिनी एकादशी का व्रत रखने वाले लोग अगले दिन 24 मई दिन सोमवार को प्रात: 06 बजकर 01 मिनट से सुबह 08 बजकर 39 मिनट के मध्य पारण कर सकते हैं। पारण से पूर्व स्नान करें और उसके बाद भगवान विष्णु की पूजा करें। फिर ब्राह्मणों को दान दें और अपना व्रत तोड़ लें।
मोहिनी एकादशी से जुड़ी कथा
स्कंद पुराण में मोहिनी एकादशी का जिक्र किया गया है। कथा के अनुसार मोहिनी एकादशी के दिन समुद्र मंथन में निकले अमृत का बंटवारा हुआ था। समुद्र मंथन में निकले अमृत को दानव अपने साथ ले गए थे। ऐसे में दानवों से अमृत को हासिल करने के लिए विष्णु जी ने मोहिनी का रूप धारण किया था। दानवों के बीच जाकर मोहिनी ने उनसे अमृत का पात्र छीन लिया था। जिसके बाद देवताओं को ये अमृत पिलाया था। माना जाता है कि मोहिनी एकादशी व्रत से मोह आदि सब नष्ट हो जाते हैं। संसार में इससे श्रेष्ठ कोई ओर व्रत नहीं है। ये व्रत करने से एक हजार गौदान का फल प्राप्त होता है।
एक अन्य कथा के अनुसार सीता जी के वियोग में दुखी होकर भगवान राम ने मोहिनी एकादशी का व्रत रखा था। जिसके प्रभाव से उनको उस दुख से मुक्ति मिल गई थी। जबकि द्वापर युग में युधिष्ठिर ने भी अपने कष्टों से मुक्ति के लिए मोहिनी एकादशी का व्रत रखा था। इसलिए कहा जाता है कि ये व्रत रखने से कष्टों से मुक्ति मिल जाती है।
मोहिनी एकादशी की पूजा विधि
मोहिनी एकादशी के दिन सुबह उठकर घर की सफाई करें। उसके बाद स्नान कर पूजा घर में एक चौकी की स्थापना कर दें। इस चौकी पर एक पीले रंग का वस्त्र बिछा दें और विष्णु जी की मूर्ति इसपर रख दें। विष्णु जी की पूजन करें और सुमद्र मंथन की कथा को पढ़ें। इसके अलावा नीचे बताए गए मंत्रों का जाप भी जरूर करें।
– ॐ विष्णवे नम:
– ॐ नमो भगवते वासुदेवाय।
– श्रीकृष्ण गोविन्द हरे मुरारे। हे नाथ नारायण वासुदेवाय।।
– ॐ नारायणाय विद्महे। वासुदेवाय धीमहि। तन्नो विष्णु प्रचोदयात्।।
– ॐ नमो नारायण। श्री मन नारायण नारायण हरि हरि।
ये कार्य करना माना गया है वर्जित
एकादशी के दिन कई तरह की सावधानी बरतनी होती है।
- इस दिन चावल खाना वर्जित माना जता है।
- जो लोग व्रत करते हैं उन्हें केवल जमीन पर ही सोना चाहिए।
- इस दिन तुलसी के पत्ते को तोड़ने की भूल न करें। ऐसा करने से पाप चढ़ जाता है।
- बुजुर्ग लोगों का अपमान न करें और किसी से लड़ाई भी न करें।