यहां चूहे लगाते हैं इच्छाधारी नाग की परिक्रमा ..!
इस बार हम आपको एक ऐसे मंदिर में ले जा रहे हैं, जिसका अपना ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व भी है और जिससे जुड़े हैं कई चमत्कार. यह है राजा गंधर्वसेन की नगरी गंधर्वपुरी का गंधर्वसेन मंदिर . यह सिंहासन बत्तीसी की एक ‘कहानी’ का स्थान है.
भारत की प्राचीन और ऐतिहासिक नगरी गंधर्वपुरी के गंधर्वसेन मंदिर के गुंबद के नीचे एक ऐसा स्थान है, जिसके बीचोबीच बैठता है पीले रंग का एक इच्छाधारी नाग, जिसके चारों ओर दर्जनों चूहे परिक्रमा करते हैं। आखिर क्यों इस रहस्य को कोई आज तक नहीं जान पाया.
सांप और चूहे के बीच दुश्मनी तो जग जाहिर है.
सदियों से चली आ रही इस दुश्मनी के बारे में कहा जाता है कि इन दोनों में कभी दोस्ती नहीं हो सकती. लेकिन हम आपको बताने जा रहे हैं एक भव्य और ऐतिहासिक मंदिर के बारे में, जहां यह चमत्कार देखने को मिलता है.
सिंहासन बत्तीसी की कहानी में राजा गंधर्वसेन की नगरी गंधर्वपुरी का ज़िक्र मिलता है. मध्यप्रदेश के देवास ज़िले की इसी नगरी में मौजूद है गंधर्वसेन मंदिर, जहां यह चमत्कार हर रोज़ होता है.
नागराज का चूहापाली स्थान
गंधर्वपुरी के इस गंधर्वसेन मंदिर के गुंबद के नीचे एक ऐसा स्थान है, जिसके बीचोबीच विराजते हैं पीले रंग के इच्छाधारी नाग, जिनके चारों ओर दर्जनों चूहे परिक्रमा करते हैं. इस गांव के लोग इसे नागराज का ‘चूहापाली’ स्थान कहते हैं जो हज़ारों साल पुराना है.
गांव वालों की मान्यता
गांववालों की मानें तो उन्होने नाग और चूहों को अपनी आंखों से तो नहीं देखा, लेकिन हर रोज़ परिक्रमा करने के स्थान पर चूहों की सैकड़ों लेंडिया और उसके ठीक बीच में नाग की लेंडी पाई जाती है.
लोगों का कहना है कि उस जगह को कई बार साफ किया जाता है लेकिन पता नहीं कहां से नागराज और चूहों की लेडिंया वहां फिर से आ जाती है.