कांग्रेस पार्टी की हुई फ़िर से फजीहत, सामान्य ज्ञान और इतिहास सुधारने की सीख दें रहें यूजर…
केएम करियप्पा की पुण्यतिथि पर कांग्रेस ने ट्वीट की मानेकशॉ की फोटो
कांग्रेस पार्टी का राजनीतिक वजूद दिन-प्रतिदिन रसातल में जा रहा। इसके बाद भी न तो देश की सबसे पुरानी पार्टी में कोई वैचारिक अलख जगा पा रहा और न ही पार्टी के लिए कोई हनुमान बन पा रहा। जो राजनीतिक संजीवनी बूटी उपलब्ध करा दें। राहुल गांधी की छवि देश मे कैसी है? यह कोई बताने की बात नहीं। देश का बच्चा-बच्चा उनके बारे में जानता है।
ऐसे में बीते दिन यानी कल जब देश के पहले सेना प्रमुख “कोडंडेरा मडप्पा करिअप्पा” की पुण्यतिथि थी। तो इस मौक़े पर पूरा देश उन्हें याद कर श्रद्धांजलि दे रहा था। इसी कड़ी में कांग्रेस ने भी उन्हें श्रद्धांजलि दी। हालांकि इस दौरान पार्टी ने एक गलती कर दी। फ़िर क्या था सोशल मीडिया यूज़र्स को मौका मिल गया। जिसके बाद यूज़र्स ने सोशल मीडिया पर कांग्रेस पार्टी के सामान्य ज्ञान और भारतीय इतिहास को लेकर समझ पर सवाल खड़ें कर दिए। बता दें कि हुआ कुछ यूं कि कांग्रेस पार्टी की तरफ़ से भी देश के पहले सेना प्रमुख “कोडंडेरा मडप्पा करिअप्पा” को श्रद्धांजलि दी गई, लेकिन सोशल मीडिया पर फ़ोटो के.एम.करिअप्पा की जगह फील्ड मार्शल “सैम मानेकशॉ” की पोस्ट कर दी गई। जिसके बाद पार्टी ने पहले वाले पोस्ट को डिलीट तो किया, लेकिन तब तक काफ़ी देर हो चुकी थी।
Meanwhile tdy at Rahuls Cong .. this ??
Field Marshal Manekshaw image instead of Field Marshal Cariappa on his death anniversary pic.twitter.com/8Q4WIbKPBq— Rajeev Chandrasekhar ?? (@rajeev_mp) May 15, 2021
ऐसे में कांग्रेस पार्टी ने भले ग़लत पोस्ट के बाद उसे डिलीट तो किया, लेकिन तब तक उसकी फजीहत हो चुकी थी। गौरतलब हो कि फील्ड मार्शल करिअप्पा को श्रद्धांजलि देते हुए कांग्रेस ने ट्वीट किया था कि “फील्ड मार्शल कोडंडेरा मडप्पा करिअप्पा भारतीय सेना के पहले भारतीय कमांडर-इन-चीफ और बटालियन की कमान संभालने वाले पहले भारतीय थे। उनकी पुण्यतिथि पर हम 1947 के भारत-पाकिस्तान युद्ध के दौरान उनकी वीरता और नेतृत्व के लिए धन्यवाद देते हैं।”
यहां हम कोडंडेरा मडप्पा करिअप्पा के व्यक्तिगत जीवन और उनके द्वारा की गई देश सेवा के बारे में जानें तो 15 जनवरी 1949 को ब्रिटिश राज के समय के भारतीय सेना के अंतिम अंग्रेज शीर्ष कमांडर जनरल “रॉय फ्रांसिस बुचर” से यह पदभार उन्होंने ग्रहण किया था। गौरतलब हो उसी दिन को पूरा देश “सेना दिवस” के रूप में मनाता है। केएम करिअप्पा ने वर्ष 1947 में हुए भारत-पाक युद्ध में पश्चिमी सीमा पर भारतीय सेना का नेतृत्व भी किया था।
उनका जन्म 1899 में कर्नाटक में हुआ था और उनके पिता कोडंडेरा माडिकेरी में एक राजस्व अधिकारी थे। घर में उन्हें सभी लोग प्यार से ‘चिम्मा’ कहकर पुकारते थे। करिअप्पा की प्रारम्भिक शिक्षा माडिकेरी के सेंट्रल हाई स्कूल में हुई थी। शुरू से ही वह पढ़ाई में बहुत अच्छे थे। उन्हें मैथ्स और चित्रकला बेहद पसंद थी।
इसके अलावा केएम करिअप्पा को मिली उपाधियों और पुरुस्कारों की बात करें। तो अमेरिका के राष्ट्रपति हैरी एस. ट्रूमैन ने उन्हें “आर्डर ऑफ दी चीफ कमांडर ऑफ दी लीजन ऑफ मेरिट” से सम्मानित किया था। वहीं भारत सरकार ने साल 1986 में उन्हें “फील्ड मार्शल” का पद प्रदान किया। भारतीय सेना से रिटायर्ड होने के बाद 1954 से 1956 तक उन्होंने न्यूजीलैंड और ऑस्ट्रेलिया में बतौर हाई कमिश्नर काम किया। इतना ही नहीं उन्हें ओर भी कई देशों से सम्मान मिल चुका है। ऐसे में कांग्रेस पार्टी इतने विराट व्यक्ति और देश भक्त को कैसे भूल सकती? यह बात अचंभित करती है।