बिहार के सुपौल निर्वाचन क्षेत्र की सांसद रंजीता और उनके पति पप्पू यादव जो कि जन अधिकार पार्टी के मुखिया है। यूं तो ये दोनों आए दिन चर्चा में रहते हैं। कभी यह दम्पत्ति सामाजिक सरोकार की वज़ह से चर्चा का विषय बनती है। तो कभी किसी अन्य कारणों से। रंजीता रंजन वैसे तो बाइक की बहुत शौक़ीन है
आप सभी को याद होगा, जब वह 2016 में अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के मौक़े पर हार्ले डेविडसन बाइक से संसद पहुँची थी। उस दौरान सांसद रंजीता ने कहा भी था कि, “महिलाओं का भी अपना पैशन होता है, हम जितनी भी महिला सांसद हैं, उनके अपने शौक है, लेकिन वो इसे जनता से छुपाती हैं।”
रंजीता और पप्पू यादव, दिल्ली पहुँचने वाले बिहारी लोगों की काफ़ी मदद करते हैं। वह बीमार को अस्पताल में अच्छा ईलाज मुहैया कराते हैं। रहने के लिए अपने आवास पर जगह मुहैया कराते हैं वग़ैरह-वग़ैरह। बिहार में बाढ़ आती है तो भी यह दम्पत्ति लोगों की मदद के लिए आगे हाथ बढ़ाती है। ऐसे में पप्पू यादव का जीवन कहीं किसी फ़िल्म से कम नज़र नहीं आता, लेकिन आज हम पप्पू यादव के न तो सामाजिक सरोकार से जुड़ी बात कर रहें और न ही हालिया दौर में उनके साथ हुए घटनाक्रम की।
आइए हम बात करते हैं जन अधिकार पार्टी के मुखिया पप्पू यादव के व्यक्तिगत जीवन की। सबसे पहले बता दूं कि पप्पू यादव ने अपनी पत्नी रंजीता से लव मैरिज किया है। उनकी लव मैरिज भी किसी फिल्मी कहानी से कम नहीं है। पप्पू यादव अपने दोस्त की बहन पर ही फिदा हो गए थे। इनके प्रेम कहानी की शुरुआत भी फ़िल्मी स्टाइल में हुई थी। यह उस दौर की बात है जब पप्पू यादव जेल में थे। उसी दौरान उन्होंने अपने एक दोस्त की बहन का फ़ोटो देखा और फ़िर क्या था। फ़ोटो देखकर ही पप्पू यादव ने उस लड़की को अपना दिल दे दिया।
गौर करने वाली बात यह थी कि दोस्त की बहन कोई और नहीं बल्कि उनकी पत्नी रंजीता ही है। परंतु दोस्त की बहन से उनकी पत्नी रंजीता बनने का यह सफर बिल्कुल ही आसान नहीं था। इसके लिए पप्पू यादव को काफी पापड़ बेलने पड़े। वैसे भी वह प्यार ही क्या? जिसे हासिल करने में मुश्किलें न आएं। कहते हैं न कि इश्क़ और जंग में सब जायज़ है। ऐसा ही कुछ इन दोनों की कहानी में था। फ़ोटो देखकर लड़की पर फ़िदा हो जाने वाले पप्पू यादव ने एक बार तो जान देने तक की कोशिश कर डाली।
पप्पू यादव का शुरुआती दौर में प्यार एक तरफ़ा था। जेल से बाहर आने के बाद उन्होंने रंजीता को काफ़ी इम्प्रेस करने की कोशिश की, लेकिन एकतरफ़ा प्यार कहाँ तक टिकता? पप्पू यादव की लाख कोशिश भी रंजीता के दिल को नहीं पिघला पाई, ऐसे में जब एक बार थक-हारकर पप्पू यादव ने प्यार में जान देने की कोशिश की। फ़िर यह बात रंजीता को पता चली। तो उनके दिल मे भी पप्पू यादव के लिए प्यार उमड़ पड़ा।
जानकारी के लिए बता दें कि अभी भी पप्पू यादव के लिए राहें बिल्कुल आसान नहीं हुई थी। यह सब वाकया उस दौरान का है जब पप्पू यादव पटना के बांकीपुर जेल में बंद थे। जेल अधीक्षक के आवास से लगें मैदान पर बच्चे क्रिकेट खेलने आते थे और पप्पू यादव को बच्चों का क्रिकेट देखना काफ़ी पसन्द था। उन्हीं क्रिकेट खेलने वालों में एक विक्की नाम का लड़का था जो पप्पू यादव का दोस्त भी। एकदिन पप्पू यादव को विक्की ने अपने फैमिली का फोटो एलबम दिखाया। एलबम देखते हुए एक टेनिस खेलती हुई लड़की का फ़ोटो दिखा। फ़िर क्या था। पप्पू यादव अपनी दोस्त की बहन रंजीता को ही मन ही मन दिल दे बैठे और उस फोटो को बड़े प्यार से निहारने लगें।
जेल से छूटने के बाद अपने प्रेम को पाने के लिए पप्पू यादव रंजीता के आगे-पीछे भौंरे की तरह मंडराने लगे। कभी वह दोस्त से मिलने के बहाने रंजीता के घर पहुँच जाते तो कभी टेनिस के मैदान पर। जहां रंजीता टेनिस खेलने जाती थी। एक तरफा प्यार की लौ जलाएं पप्पू यादव रंजीता के इधर-उधर मंडराते वहीं रंजीता को यह सब अच्छा नहीं लगता। वैसे भी रंजीता और पप्पू यादव अलग-अलग धर्म को मनाने वाले थे, ऊपर से बिहार के रहने वाले। फ़िर बात प्यार की होती तो वह एक बार परिजनों से बचते-बचाते चल भी जाती, लेकिन शादी तो असंभव थी। एक बार तो रंजीता ने पप्पू से यह कह भी दिया कि वह सिक्ख समुदाय से है, इसलिए किसी हिन्दू से शादी नहीं कर सकती। फ़िर क्या था, अपने एक तरफा प्यार को टूटते देख पप्पू यादव ने नींद की कई गोलियां खा ली, जिसकी वज़ह से उन्हें अस्पताल में भर्ती करना पड़ा। अस्पताल से ठीक होकर वह घर आ गए। जिसके बाद रंजीता का दिल भी पप्पू यादव पर आ गया।
इन सब के बावजूद अभी भी मुश्किलें एकदम से कम नहीं हुई। दोनो के राजी होने के बाद पारिवारिक बंदिशों का दौर चालू हो गया। अपने एक इंटरव्यू में पप्पू यादव ने स्वयं यह बताया था कि “हमारे परिवार वाले शादी के पक्ष में थे, लेकिन रंजीता के परिवार जन इस शादी के खिलाफ थे। जिसके बाद एक कांग्रेसी नेता ने रंजीता के परिजनों को मनाया। फ़िर पूर्णिया के गुरुद्वारा में दोनों की शादी संपन्न हुई।” ऐसे में है न दोनो की कहानी एक फ़िल्मी स्टाइल की! मालूम हो पप्पू यादव को लोग “राजेश रंजन” के नाम से भी जानते हैं। पप्पू यादव 1990 में 25 वर्ष की उम्र में ही विधायक बन गए थे। इतना ही नहीं पप्पू यादव को 2008 में विधायक “अजित सरकार” की हत्या के मामले में उम्रकैद की सज़ा सुनाई गई थी। पप्पू यादव और रंजीता रंजन से जुड़ी एक दिलचस्प बात है कि यह भारतीय लोकतंत्र की पहली ऐसी दाम्पत्य जोड़ी है। जो एक साथ लोकसभा में नज़र आई है।