चांदी को क्यों कहा जाता है “मिरर ऑफ सोल”? जानें इसके उपयोग से कैसे जीवन मे होगा चांदी ही चांदी
चांदी के उपयोग से जीवन बनता है खुशहाल, पति-पत्नी के रिश्ते बनते हैं प्रगाढ़
पृथ्वी पर अनगिनत आश्चर्यजनक वस्तुएं और जगह विद्यमान है। जिसे देखकर या प्राप्त कर हम सुकून प्राप्त करते हैं। आपको बता दें कि भूमि एवं दिशाओं के सहयोग से उत्पन्न गुण और दोषों को जानने के शास्त्र को व्यवहार में “वास्तु शास्त्र” कहते हैं। जो कि एक अति प्राचीन शास्त्र है। हर धर्म में इसे अलग-अलग नाम से जाना जाता है। सभी धर्म के धर्म-गुरुओं ने मानव कल्याण के लिए शास्त्रों का सर्जन किया है। ऐसे में भूमि के कई नाम है, जिसका उल्लेख शास्त्रों में मिलता है। वेणु के पुत्र “पृथु” के नाम से इसका नाम पृथ्वी पड़ा। इसे धात्री, धरा, धरिणी, अनंता, वसुंधरा, वसुधा, बसुमती, विपुला क्षमा, क्षिति माता इत्यादि नामों से जाना जाता है। शास्त्रों में पृथ्वी को लेकर कहा गया है कि, “माता भूमि: पुत्रो अहं पृथिव्या:।”
पृथ्वी के आंचल में मां की ममता होती है। ऐसा हमारे धर्म ग्रंथों में मान्यता है। पृथ्वी ने अपने अंदर अनमोल खजाने का भंडार छुपा रखा है। फिर वह चाहे सोना, चांदी, हीरा, लोहा या फिर कोई अन्य खनिज पदार्थ हो। सभी पृथ्वी से ही प्राप्त होते हैं। जल और ईंधन भी पृथ्वी से ही प्राप्त होते है। कोई भी ऐसी चीज नहीं है जो हमें पृथ्वी प्रदान ना करती हो। जैसे बच्चों को मां हर सुविधा प्रदान करती है वैसे ही पृथ्वी हमें सब कुछ देने का काम करती है। बस पुरुषार्थ व्यक्ति को करना है। कोई भी चीज पाना इस धरा में असंभव नहीं।
वास्तु शास्त्र में चांदी का एक विशेष स्थान माना गया है। मानव को चंगा रखें चांदी, आजकल आपकी तो चांदी है, इत्यादि मुहावरे अनादि काल से प्रचलित है। ऐसे में हम जानते हैं धरा द्वारा प्रदत्त चांदी मानव जीवन के लिए कितना महत्वपूर्ण है। इसके अलावा क्या-क्या है चांदी के आभूषण वग़ैरह धारण करने के फ़ायदे।
गौरतलब हो मेडिकल साइंस ने भी चांदी के बारे में काफी कुछ बताया है। “जेम्स रे थेरेपी” में बताया गया है, कि शरीर में चांदी के आभूषण पहनने से चांदी का अंगों के साथ स्पर्श होने से मानव के नर्वस सिस्टम में आराम मिलता है। चांदी के उपयोग से डिप्रेशन और नर्वसनेस नहीं आती। शरीर में उत्पन्न होने वाले जहरीले तत्वों का नाश करने का काम चांदी करता है। हेपेटाइटिस जैसे रोगों को को भी ठीक करने में भी चांदी मदद करती है।
चांदी से मानसिक रोग में भी फायदा होता है। चांदी में आपके भावों को वश में करने की शक्ति होती है। चांद की ऊर्जाए सागर की लहरों के उतार-चढ़ाव को काबू करने में भी सक्षम होती है इसीलिए चांदी पहनने वाले के मन के उतार-चढ़ाव में सुकून भरा स्पर्श प्रदान करती है। विद्वानों ने चांदी को “मिरर ऑफ सोल” यानी आत्मा का आईना कहा है। इसका मतलब यह हुआ कि चांदी का स्पर्श आपको अपने अंदर झांकने का मौक़ा देती है। चांदी धातु अच्छी ‘कंट्रोलर की’ है। इसे धारण करने वाला स्वयं पर कंट्रोल करने लगता है। स्वयं का शिक्षक बन जाता है। चांदी मानव जीवन में सब्र और धैर्य को बढ़ावा देती है। चांदी ऊर्जावान धातु है, शरीर से नकारात्मक ऊर्जा को निकाल कर सकारात्मक उर्जाओं का सृजन करने का काम चांदी करती है। चांदी के गहने पहनकर चंद्रमा की चांदनी में घूमने के अनगिनत फायदे हैं। चांदी बिना मांगे स्नेह, ममता, प्यार आप तक पहुंचा देती है। चांदी गृहस्थ जीवन में पति-पत्नी के बीच मे मधुरता लाती है।
संत-महात्मा भी चांदी के पात्र में भोजन करके ऊर्जा प्राप्त करते रहें हैं। चांदी को “सिल्वर फीलिंग मेटल” भी कहा गया है। चांदी, चंद्रदेव की शुद्ध धातु मानी गई है। प्राचीन समय में मकानों की खुदाई में सिक्कों से भरे हुए चांदी के कलश मिलते हैं। ऐसे मे यह मालूम पड़ता है कि प्राचीन समय मे जब भी भवन का निर्माण होता था। भूखंड के मध्य में यानी ब्रह्म स्थान पर सांसारिक जीव अपनी सामर्थ्य अनुसार एक, तीन, पांच या सात कलश विराजमान करते थे।
जिसे विराजमान करते समय “ॐ वास्तु पुरुषाय नमः” बोलकर विराजमान किया जाता था। कलश विराजमान करने का उद्देश भूखंड के नकारात्मक ऊर्जाओं को चांदी दूर कर देती थी। नकारात्मक ऊर्जाओं का वेग कम कर देती थी या समाप्त कर देती थी। प्राचीन समय में खाना चांदी के बर्तन में खाने का प्रचलन था। यह प्रचलन नहीं एक विज्ञान है चांदी के पात्र में भोजन ऊर्जावान बन जाता है। चांदी का उपयोग करने से हमेशा चांदी होती है ऐसा नीतिकारों का कहना है। ऐसे में अगर आप भी अपने जीवन में सबकुछ चांदी ही चांदी चाहते हैं। तो चांदी का उपयोग करें। फ़िर वह चाहें जिस रूप में हो। इससे आपके जीवन की समस्याएं तो दूर होगी ही, साथ ही साथ मानसिक विकार भी दूर होंगे।